फाइलों में तो साफ हैं नाले, बारिश की दस्तक के साथ ही शहर के कई प्रमुख इलाकों में नाला सफाई के नगर निगम के दावों की पोल खुल गयी है। नालों की सफाई यदि बात करें तो तीन दिन से रूक रूक कर हो रही बारिश ने नाला सफाई के निगम के दावों की पोल खोलकर रख दी है। लिसाड़ी रोड, ब्रहमपुरी, खत्ता रोड, माधवपुरम, नौचंदी मेला स्थल के आसपास के भवानी नगर सरीखे ये वो इलाके हैं जहां थोड़ी सी बारिश में पानी भर गया था। लोग घरों में कैद होकर रह गए थे। बारिश के दौरान पानी भर जाने की बात समझ में आती है, लेकिन बारिश के रूकने के घंटों बाद भी पानी की निकासी ना हो। बाजार व घरों के आगे पानी भरा रहे इससे साफ है कि नाले साफ नहीं हुए हैं। यदि नाले ठीक से साफ कराए गए होते तो पानी भरने के साथ बारिश के रूकने के बाद निकल भी जाता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वजह साफ है कि निगम अधिकारी दावे कुछ भी करें लेकिन नाले साफ नहीं हुए हैं। कई नाले ऐसे हैं जहां सड़क की सतह तक मिट्टी जम चुकी है। वहां झाड़ी और पेड़ तक उग आए हैं। हापुड़ रोड ओडियन नाला समेत महानगर के कई ऐसे नाले हैं जिनकी दशा बद से बदत्तर हाे चुकी है। महानगर के कई ऐसे इलाके हैं जहां चंद मिनटों की बारिश में पानी भर जाता है। नगर निगम के अधिकारियों का दावा है कि महानगर के तमाम नाले एक बार तो साफ हो चुके हैं। सफाई का पहला चरण पूरा हो चुका है। वर्तमान में दूसरे चरण की सफाई चल रही है। महानगर में 16 बडे़ नाले हैं, 160 मंझोले और 273 छोटे नाले हैं। इन तमाम नालों की एक बार सफाई का दावा नगर निगम के अधिकारी लगातार कर रहे हैं।
नगर विकास मंत्री की तीस जून की मियाद पूरी
सूबे के नगर विकास मंत्री अरविंद शर्मा ने मेरठ समेत प्रदेश भर के सभी नालों की सफाई तीस जून कराने का अल्टीमेटम अधिकारियों को दिया था। पटेल नगर नाला नगर निगम से चंद कदम की दूरी पर है। निगम अधिकारी अपने से चंद कदम की दूरी का नाला नहीं साफ कर पाए तो फिर बाकी नालों की क्या स्थिति होगी और किस प्रकार की सफाई करायी गई है सफाई के निगम अधिकारियों के दावों में कितना दम है इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। हालांकि कुछ नाले जरूर साफ हुए हैं। निगम के कुछ नाले ऐसे हैं जो दशकों से साफ ही नहीं हुए हैं।
जिले के प्रभारी मंत्री ने लगायी थी फटकार
विगत दिनों नालों की सफाई का जायजा लेने निकले जिले के प्रभारी मंत्री जहां भी गए उन्हें चौंक व कचरे से अटे हुए नाले दिखाई दिए। इस दौरान महापौर व नगरायुक्त भी मौजूद रहे। नालों की दशा देखकर प्रभारी मंत्री धर्मपाल का पारा चढ गया और उन्होंने नगरायुक्त को सख्त लहजे में नाला सफाई कराने का निरीक्षण दिया। उन्होंने कहा कि कहा, क्या यही सफाई है? बरसात से पहले की क्या यही तैयारी है? क्या इन नालों की सफाई नहीं होगी? सवाल सुनकर सामने खड़े अफसरों के होश उड़ गए। कैंट क्षेत्र के आबूनाले को लेकर डीएम दीपक मीणा ने कैंट बोर्ड के सीईओ ज्योति से मोबाइल पर बातचीत की।
क्या कहते हैं पब्लिक के नुमाइंदे
वार्ड 78 के पार्षद संदीप ने बताया कि उनके वार्ड में दो छोटे नाले हैं। अशोक की लाट सुभाष बाजार वाले नाले की सफाई अभी तक नहीं करायी जा सकी है। मानसून दस्तक दे चुका है।
वार्ड 86 के इकरामुद्दीन ने बताया कि उनके वार्ड का जीजीआईसी नाला कई बार लेटर दिए जाने के बाद भी निगम अफसर साफ नहीं करा रहे हैं। नाला ना साफ होने से पूरा इलाका डूब जाएगा।
वार्ड 6 मोहकमपुर क्षेत्र के प्रशांत कसाना ने बताया कि नालों की सफाई के लिए मशीन मांगते मांगते वह थक गए हैं। उनके वार्ड के नाले गंदगी से अटे पडे़ हैं। बारिश शुरू हो चुकी है, लेकिन नाले साफ नहीं हुए हैं।
वार्ड 48 माधवपुरम के पार्षद दीपक वर्मा ने बताया कि इस बार मानूसन में माधवपुम टापू में तब्दील हो जाएगा। उन्होंने बताया कि रैपिड प्रोजेक्ट पर काम कर रही कंपनी ने नाला ऊपर उठा दिया है।
नगर निगम कार्यकारिणी के पूर्व सदस्य अब्दुल गफ्फार का कहना है कि इस बार बारिश में मेरठ का टापू बनना तय है यह बात नगर निगम के अफसर भी जानते हैं। नाला सफाई फाइलों में तो बहुत अच्छी हो रही है, लेकिन जमीनी हकीकत प्रभारी मंत्री के सामने आ चुकी है।
नगर निगम कार्यकारिणी के पूर्व सदस्य अजय गुप्ता भाजपा नेता का कहना है कि निगम प्रशासन का यह दायित्व है कि मानसून से पहले सभी नाले तल्ली झाड साफ करा दिएं जाएं। सीएम मुख्यमंत्री व नगर निकास मंत्री भी इसको लेकर बेहद गंभीर हैं। निगम को भी गंभीर हो जाना चाहिए।
वर्जन
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. हरपाल सिंह का कहना है कि एक बार तो तो शहर के सभी नालों की सफाई करायी जा चुकी है। जहां कुछ कमी रह गयी है वहां पर सफाई करायी जा रही है। इस साल बारिश मे कहीं पानी नहीं भरेगा।