कैंट के स्कूलों को सेक्शन-12 का नोटिस-बैक फायर तो नहीं

कैंट के स्कूलों को सेक्शन-12 का नोटिस-बैक फायर तो नहीं
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कैंट के स्कूलों को सेक्शन-12 का नोटिस-बैक फायर तो नहीं,
केंद्र और सूबे में भाजपा की सरकार और मेरठ कैंट विधानसभा क्षेत्र भाजपा का गढ़। भाजपा के गढ़ में स्कूल संचालकों को सेक्शन-12-पीपीई एक्ट के नोटिस ने बैक फायर का काम किया है। जानकारों की मानें तो यह सेक्शन-12-पीपीई एक्ट के नोटिस रक्षा संपदा अधिकारी के लिए मुसीबत बनने जा रहे हैं, इसकी बड़ी और तकनीकि वजह देश 62 में से किसी भी एक छावनी में सेक्शन-12-पीपीई एक्ट के नोटिस का प्रयोग नहीं किए जाने की जानकारी सूत्रों ने दी है, फिर ऐसा क्या हुआ जो मेरठ में कैंट मे आकर डीईओ का चार्ज लेते ही विनीत कुमार ने केंद्र व प्रदेश की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के गढ़ में सेक्शन-12-पीपीई एक्ट के नोटिस कई कॉन्वेंट स्कूलों को थमा दिए हैं। करीब दो दर्जन स्कूल संचालकों के पास ये नोटिस पहुंचे हैं, इन नोटिसों को दिए जाने के मन्तव्य तलाशे जा रहे हैं। इसका मन्तव्य क्या रहा, यह तो रक्षा संपदा अधिकारी ही स्पष्ट कर सकते हैं। जानकारों की मानें तो सुनने में आया है कि ये नोटिस डीईओ के लिए मुसीबत का सबब बनने जा रहे हैं और मुसीबत भी छोटी बड़ी नहीं बल्कि रक्षा मंत्री कार्यालय स्तर की बतायी जा रही है।
यह हुआ
दरअसल हुआ यह कि जिन स्कूल को सेक्शन-12-पीपीई एक्ट के नोटिस भेजे गए हैं, उन सभी के सत्ताधारी पार्टी भाजपा से कनेक्शन हैं और तो और कुछ तो भाजपा की सक्रिय राजनीति में भी हैं।  उनके तमाम केंद्रीय मंत्रियों खासतौर से रक्षामंत्री से संबंध हैं। सुनने में आया है कि जिनको यह नोटिस भेजे गए हैं उनके स्तर से भाजपा के राज्यसभा सांसद की मार्फत उनका प्रयास रक्षामंत्री को यह समझाने का होगा कि देश की किसी भी छावनी में इस प्रकार के सेक्शन-12-पीपीई एक्ट के नोटिस नहीं जारी किए गए हैं, फिर मेरठ कैंट में ऐसा क्या हुआ है जो यह नोटिस भेज दिए गए हैं। आरोप तो यहां तक लगाए जा रहे हैं कि सेक्शन-12-पीपीई एक्ट के नोटिस जहां भेजे गए हैं वहां बीस से 25 लाख की डिमांड है यह स्पष्ट नहीं कि इस बीस से पच्चीस लाख की डिमांड की बात कहां से और कैसे आयी है, लेकिन उच्च पदस्थों में इन नोटिसों के बाद चर्चा गरम है। हालांकि यह संवाददाता इस प्रकार की डिमांड के आरोपों को एक सिरे से खारिज करता। लेकिन आरोपों तथा सेक्शन-12-पीपीई एक्ट के नोटिस के पीछे के निहितार्थ जानने के लिए डीईओ कार्यालय में गुरूवार को काल 2.41 बजे आफिस के लैंड लाइन पर काल कर दूसरे ओर से बात कर रहे अंकित नाम के कर्मचारी से डीईओ से बात कराने व मिलने का मांगा। पर इस कर्मचारी ने डीईओ से बात कर उत्तर देने की बात कही। जब इस कर्मचारी से इंतजार के बाद भी कोई उत्तर नहीं मिला तो फिर यह संवाददाता स्वयं डीईओ आॅफिस से सेक्शन-12-पीपीई एक्ट के नोटिसों और जो चचार्एं आम हैं उनको लेकर सत्यता से रूबरू होने के लिए माल रोड स्थित रक्षा संपदा कार्यालय पहुंचा। वहां अंकित नाम के कर्मचारी ने बताया कि साहब लंच पर गए हैं जब उससे पूछा कि लंच समय तो दोपहर एक बजे से दो बजे तक का है और अब तो 3.15 से ऊपर का वक्त है तो उसने कोई उत्तर नहीं दिया जिसकी वजह से डीईओ से इस पूरे मामले में उत्तर नहीं मिल सका और ना ही संपर्क हो सका । यह संवाददाता उनके उत्तर की प्रतिक्षा में है यदि उत्तर मिलेगा तो उसको भी प्रमुखता से स्थान दिया जाएगा।
यह संभव है
सूत्रों ने जानकारी दी है कि सेक्शन-12-पीपीई एक्ट के नोटिस जिन्हें भेजे हैं उन्होंने भाजपा के सांसदों खासकर राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेयी से संपर्क किया है। डा. वाजपेयी ने इस संवाददाता से बातचीत में नोटिसों को अकारण बताया और जानकारी दी कि उन्होंने मंत्रालय में उच्च स्तर पर बत कर ली है। उन्होंने नोटिसों को लेकर नाराजगी जाहिर की। वहीं दूसरी ओर एक स्कूल संचालक ने बताया कि नाम न छापे जाने की शर्त पर उन्होंने यह भी बताया कि राज्यसभा सांसद ने इस मामले को रक्षामंत्री तक पहुंचाने तथा इस सीट पर किसी दूसरे अफसर को भिजवाने की बात भी रक्षामंत्री से करने को कहा। जिन्होंने नोटिस के साथ संपर्क किया उन्होंने बताया कि सांसदों ने भी माना है कि डीईओ कार्यालय से भेजे गए इस प्रकार के सेक्शन-12-पीपीई एक्ट के नोटिस गैर जरूरी हैं। इनको लेकर अब तमाम नोटिसों के साथ रक्षामंत्री से मिलने की बात भी कही जा रही है। साथ ही नाम न छापे जाने की शर्त पर भाजपा के बडे़ नेता ने यह भी जानकारी दी कि इन अधिकारी की आगरा में पोस्टिंग को लेकर भी खासी चर्चा थी, जिसकी जानकारी उन्होंने इस संवाददाता को देने तथा उसको लेकर पूरा ब्योरा पब्लिक के सामने लाने का आग्रह किया है।

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