निगम को 33 करोड़ का फटका, शासन के निर्देश पर मंडलायुक्त द्वारा कराई गयी जांच को लटकाकर अफसरों ने नगर निगम के खजाने काे 33 करोड़ से ज्यादा का फटका लगा दिया है। हैरानी तो इस बात की है कि सरकारी खजाने का फटका लगाने वाले अफसरों की नींद अभी भी टूटती नजर नहीं आ रही है। जिस जांच की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गयी थी उसको पूरी करने के बजाए उस पर कुंडली मारे बैठे हैं। इतना आरोपियों से रिकबरी के बजाए लगतार उनकी सेलरी रिलीज की जा रही है। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि नगर निगम मेरठ के इस भर्ती घोटाले का खुलासा किसी अन्य ने नहीं बल्कि निगग के पूर्व नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. प्रेम सिंह ने किया था। तमाम साक्ष्यों के साथ उन्होंने शासन को अवगत कराया था। शासन के निर्देश पर ही पूर्व में मंडलायुक्त ने तत्कालीन नगरायुक्त को मामले की जांच कर कार्रवाई किए जाने तथा कृत्य कार्रवाई की जानकारी से शासन को अवगत कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन शासन के निर्देश के बाद भी जांच आज तक अटकी है। भर्ती घोटाले के दौरान नौकरी पाने वाले जिन कर्मचारियों से रिकबरी की जानी थी उनसे रिकबरी किया जाना तो दूर की बात रही।
सीएम योगी को कराया अवगत:
नगर निगम मेरठ में तेइस कर्मचारियों के भर्ती घोटाले में जांच के नाम पर अब तक के तमाम जिन अफसरों ने जांच कर शासन के निर्देशानुसार रिकबरी करने के बजाए घोटाले में कथित रूप से लीपापोती का काम किया है उसकी शिकायत निगम के पूर्व नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. प्रेम सिंह ने अब सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ से की है। सीएम योगी को भेजे एक एक पत्र में डा. प्रेम सिंह ने अवगत कराया है कि तेइस कर्मचारियों के भर्ती घोटाले से संबंधित अनेक पत्र शासन को भेजे गए थे। जिसके चलते शासन के निर्देश के बाद तत्कालीन नगरायुक्त मनीष बंसल ने 7 अगस्त 2021 को तत्कालीन अपर नगरायुक्त ममता मालवीय की अध्यक्षता में तीन सदस्यी कमेटी जिसमें संतोष शर्मा वित्त एवं लेखाधिकारी एवं अवधेश कुमार प्रभारी कार्मिक को शामिल करते हुए एक माह के भीतर जांच कर आख्या प्रस्तुत करने के आदेश किए गए थे। डा. प्रेम सिंह ने सीएम को अवगत कराया है कि यह दुख का विषय है कि पंद्रह माह बीत जाने के बाद भी यह जांच पूरी नहीं की जा सकी है। शासन को भेजे गए पत्र में उन्होंने यह भी जानकारी दी है कि भर्ती घोटाले से संबंधित तमाम साक्ष्य उन्होंने जांच समिति अध्यक्ष ममता मालवीय व नगरायुक्त मेरठ अमित पाल शर्मा को भी प्रेषित किए हैं, लेकिन इसके बाद भी तेइस कर्मचारियों के निगम के भर्ती घोटाले में कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। उन्होंने सीएम से मांग की है कि इस मामले में जांच में देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर निलंबन सरीखी कार्रवाई की जाए। भर्ती घोटाले का लाभ पाने वाले सभी 23 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर उनका वेतन आहरण रोका जाए साथ ही अब तक जो 33 करोड़ का फटका नगर निगम मेरठ को लगाया जा चुका है उसकी भी रिकबरी की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि नगर निगम के वित्तीय हित को ध्यान में रखते हुए पूरे मामले की जांच किसी आईएएस अधिकारी से करायी जानी चाहिए।