दम तोड़ता नजर आ रहा है प्लान

दम तोड़ता नजर आ रहा है प्लान
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दम तोड़ता नजर आ रहा है प्लान, 

जाम से शहर बेदम-प्लान तोड़ता नजर आ रहा दम

शहर को जाम से मुक्त बनाने के लिए बनाए गए तमाम प्लान खातसौर से हापुड़ स्टैंड व बेगमपुल चौराहे को ई रिक्शा मुक्त करने के नाम पर जो प्लान लागू किया गया है वह दम तोड़त नजर आ रहा है। लोग कहने लगे हैं कि दो चौराहों को खुला-खुला दिखाने के नाम पर आसपास के इलाके को जाम के गर्त में धकेल देना मुनासिब नहीं। बेगमपुल और हापुड़ स्टैंड चौराहा भले ही खुला-खुला नजर आता हो, लेकिन जो प्लान लागू किया गया है उसके साइड इफैक्टों ने जान ले ली है।

साइड इफैक्ट कर रहे बेदम

बेगमपुल की यदि बात करें तो इसको खुला-खुला या ई रिक्शा मुक्त करने के नाम पर जो प्लान लागू किया गया है वह बेदम कर रहा है। सोमवार हालांकि महानगर के ज्यादाता बाजारों में सप्ताहिक अवकाश का दिन होता है, लेकिन साप्ताहिक अवकाश होने के बावजूद सोतीगंज का हापुड रोड वाले चौराहे पर दिन में कई बार जाम लगा। दोपहर करीब 12 बजे तो हाल ऐसी हो गयी कि जाम में फंसे तमाम लोग बेदम नजर आ रहे थे। जाम से निकलने के प्रयास में लोग रॉग साइड से निकल रहे थे। इससे हालत और भी ज्यादा खराब हाे गयी। चौराहे से लेकर सोतीगंज और सोतीगंज का दूसरा छोर यानि दिल्ली रोड वाला चौराहा जाम की चपेट में था। इसके अलावा बच्चा पार्क तक की रोड पर लंबी कतार लग गयी थी। बेगमबाग से कचहरी तक का रास्ते जाम रेंगने की दशा में थे।

प्लान बना है स्टाफ पर आफत

जो प्लान लागू किया गया है वो सबसे ज्यादा मुसीबत ट्रैफिक पुलिस के उन सिपाहियों पर आफत है जो वहां डयूटी कर रहे हैं। मई की जानलेवा गर्मी और जाम में फंसे बेतरकीब वाहनेां को निकलना और यातायात को दोबारा से सामान्य तरीके से चालू कराना कहने को भले ही कोई कुछ भी दावा करे लेकिन आसान नहीं। छोटी सड़क और सैकडों वाहनों का रेला। इसको केवल ग्राउंड जीरो पर खुद मौजूद रहकर ही समझा जा सकता है।

ये इलाके भी हैं बदहाल

हापुड़ स्टैंड चौराहा भी प्लान का हिस्सा है। भगत सिंह मार्केट, प्रहलाद नगर, गोला कुंआ, शाहघास, नौगजा पीर, खंदक बाजार, कसाइयों वाली गली, बनिया पाड़ा जाटव गेट, लिसाडी रोड सरीखे इलाकों पर हापुड़ स्टैंड प्लान का साइड इफैक्ट साफ देखा जा सकता है। गर्मी का मौसम है और सुबह के नौ बजे यहां जाम सरीखे हालात बनने लगते हैं। दस बजते बजते हाल यह हो जाता है कि वाहन बजाए तेजी से निकलने के रेंगने लगते हैं।

जरूरी है रखा जाए सबका ख्याल

इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रयास शानदार है। चौराहे ही नहीं बल्कि पूरा शहर अवैध वाहनों से मुक्त होना चाहिए। केवल ई रिक्शा ही क्यों जितने भी डग्गामार रहे हैं उनका भी कार्रवाई हो, लेकिन यह भी ध्यान में रखा जाए कि ई रिक्शा या दूसरा डग्गामार चलाने वाला कोई गरीब ही होगा। गरीबी में ही कोई ऐसा काम करेगा। यदि इस पर भी पहरा बैठा दिया या सीज कर दिया तो फिर उसके परिवार का क्या, इसलिए प्लान ऐसा हो जो शहर को जाम से मुक्त भी करा दिया जाए और किसी गरीब का चुल्हा भी ठंड़ा ना हो।

सीएम योगी जता चुके हैं चिंता

मेरठ की जाम की समस्या को लेकर सूबे के सीएम तक चिंता जता चुके हैं लेकिन मर्ज बढता गया ज्यों-ज्यों दवा की।  शहर की सबसे बड़ी समस्या है। मेरठ ही नहीं पूर्व में तो यानि साल 2019 में तो लखनऊ में भी मेरठ के जाम की समस्या पर मंथन हो चुका है। तत्कालीन मंडलायुक्त सुरेन्द्र कुमार ने भी इसको लेकर काफी ठोस पहल की थीं। उनकी अुगवाई में कई योजनाएं भी शुरू की गयी थीं। तमाम महकमें के अफसरों को इसमें शामिल किया गया। लेकिन बाद में वही हुआ जो आमतौर पर किसी योजना को शुरू करने वाले अफसर का तवादला होने के बाद होता है यानि तमाम प्रयासों पर पानी का फिर जाना।

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