पंड़ित जी को लेकर फैलाए गए झूठ का पोस्टमार्टम,
NEW DWLHI, पंड़ित नेहरू और महात्मा गांधी को लेकर अंग्रेजों से पेंशनवादी मानसिकता वाले कुछ लोगों ने जिनका स्वतंत्रता संग्राम में कोई योगदान नहीं है सिवाय माफी मांग कर पेंशन लेने के उस विचारधारा ने तमाम झूठ समाज में पराेसा है और दो-दो रुपए के लिए हाथ फैलाने वाले कुछ सोशल मीडिया के चिंटू और गोदी मीडिया के भडवो ने इसको विस्तार देने का काम किया है। लेकिन 14 नवंबर को जब पूरा देश बाल दिवस के रूप में पंड़ित जी का जन्म दिन मना है उस दिन पेंशनवादी मानसिकता वालों के इस झूठ का पोस्टमार्टम करने से बेहतर कोई दूसरा दिन हो ही नहीं सकता।
——————————
● झूठ 1: पंडित जवाहरलाल नेहरू के कपड़े पेरिस में धुलते थे?
सच्चाई: पंडित नेहरू ने अपनी आत्मकथा में स्पष्ट लिखा है कि उनके बारे में इस तरह की बातें फैलाई जाती हैं। लेकिन एक बात तो यह है कि कोई कैसे हर रोज पेरिस से अपने कपड़े धुलवा सकता है। दूसरी बात यह है कि जब देश आजादी की लड़ाई लड़ रहा हो और गरीबी की चपेट में हो तो इस तरह की बात सोचना भी अय्याशी है।
● झूठ 2:
नेहरू जी ने क्रांतिकारियों के लिए कुछ नहीं किया?
सच्चाई: पंडित नेहरू जेल में बंद भगत सिंह से मिलने गए और उनकी रिहाई के लिए पूरे प्रयास किए। चंद्रशेखर आजाद भी नेहरू जी के संपर्क में थे। उत्तर प्रदेश में सारे क्रांतिकारियों के अगुवा श्री गणेश शंकर विद्यार्थी नेहरू जी के नेतृत्व में ही काम कर रहे थे।
● झूठ 3:
सरदार पटेल को दरकिनार करके महात्मा गांधी ने पंडित नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया?
सच्चाई: महात्मा गांधी ने 1935 के बाद से ही यह स्पष्ट कर दिया था कि जवाहरलाल नेहरू उनके उत्तराधिकारी हैं। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी महात्मा गांधी ने यह बात कही थी। 1937 और 1946 के चुनाव में नेहरू जी कांग्रेस के निर्विवाद नेता थे और जनता की पहली पसंद इसलिए, उन्हें प्रधानमंत्री बनाया गया। इसके अलावा जब देश का पहला चुनाव हुआ और उससे पहले पटेल का निधन हो चुका था।
● झूठ 4:
कश्मीर के मुद्दे को पंडित नेहरू ने उलझा दिया?
सच्चाई: भारत की आजादी के काफी समय पहले से ही पंडित नेहरू का ध्यान इस बात पर था कि अगर पाकिस्तान की मांग उठती है तो मुस्लिम बहुल होने के कारण कश्मीर के पाकिस्तान में जा सकता है। इसलिए उन्होंने शेख अब्दुल्ला के माध्यम से कश्मीर की जनता को कांग्रेस पार्टी के साथ किया। यह पंडित नेहरू की कूटनीति ही थी जिसकी वजह से कश्मीर राज्य का भारतीय संघ में विलय हुआ।
● झूठ 5:
अक्सर कहा जाता है कि सरदार पटेल की कश्मीर के मामले में कोई भूमिका नहीं थी और नेहरू अकेले यह काम कर रहे थे?
सच्चाई: यह है कि पंडित नेहरू शेख अब्दुल्लाह से और सरदार पटेल राजा हरि सिंह से बातचीत कर रहे थे। कश्मीर का मिशन दोनों नेताओं का संयुक्त मिशन था।
● झूठ 6:
धारा 370 को लेकर नेहरू जी को दोष दिया जाता है?
सच्चाई: जिस दिन संविधान सभा में धारा 370 पास हुई उस दिन पं. नेहरु अमेरिका में थे। सरदार पटेल ने अपने दम पर कांग्रेसी संविधान सभा सदस्यों को समझा कर बिना किसी बहस के धारा 370 पास कराई। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भी धारा 370 का विरोध नहीं किया था।
● झूठ 7:
पंडित नेहरू ने सुभाष चंद्र बोस की जासूसी कराई?
सच्चाई: पंडित नेहरू और सुभाष चंद्र बोस सच्चे दोस्त थे। बोस की मृत्यु के बाद पंडित नेहरू और सरदार पटेल ने गोपनीय रूप से उनकी पत्नी और बेटी को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जो लंबे समय तक गुप्त रूप से जारी रही। इसी सहायता को आज जासूसी के नाम से प्रचारित किया जाता है।
● झूठ 8:
पंडित नेहरू ने इंग्लैंड के प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था कि सुभाष चंद्र बोस को गिरफ्तार किया जाएगा?
सच्चाई: यह पत्र पूरी तरह फर्जी है। इसमें ब्रिटेन की प्रधानमंत्री के नाम की स्पेलिंग तक गलत है। सच्चाई यह है कि पंडित नेहरू ने लाल किले में बंद आजाद हिंद फौज के सिपाहियों का मुकदमा एक वकील की हैसियत से लड़ा और सारे कमांडरों और सैनिकों की रिहाई कराई।
● झूठ 9:
नेहरू जी ने इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बना कर वंशवाद को बढ़ावा दिया?
सच्चाई: पंडित नेहरू सबसे पहले अपना उत्तराधिकारी जयप्रकाश नारायण को और उसके बाद राम मनोहर लोहिया को बनाना चाहते थे। लेकिन दोनों नेता इसके लिए तैयार नहीं हुए। नेहरू जी के बाद उनके सबसे विश्वस्त लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री बने। नेहरु जी ने इंदिरा जी को प्रधानमंत्री नहीं बनाया।
● झूठ 10:
नेहरू जी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की स्थाई सदस्यता ठुकरा दी?
सच्चाई: इस तरह के दावे भी सरासर झूठ है। पंडित नेहरू ने अपने जीवन काल में ही संसद में स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव कभी भारत के सामने नहीं आया। दूसरी बात ताइवान की जगह चीन को ही संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता मिलनी थी जो उसे पहले से हासिल थी।