शास्त्री नगर सेंट्रल मार्केट पर खतरा
मेरठ/शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट स्थित 661/6 समेत सभी 499 ऐसी दुकानों पर खतरा मंडराने लगा है जो आवासीय प्लाट पर बना दी गयी हैं। इस मामले की अंतिम सुनवाई मंगलवार को सुप्रीमकोर्ट में हो चुकी है। सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित कर लिया गया है। आदेश सुनाने से पहले सुप्रीमकोर्ट ने पिटिशनर को सात दिन का समय देते हुए पूछा है कि शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट स्थित 661/6 को किस प्रयोजन के लिए आवंटित कराया गया था। तथा आवास विकास से सवाल किया गया है कि शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट में 499 प्लाट किस प्रयोजन के लिए आवंटित किए गए थे और वहां वर्तमान में क्या है।
दरअसल में साल 1990 में शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट में आवंटन प्रक्रिया आवास विकास परिषद ने शुरू की थी। जिसमें 661/6 शामिल था। बताया जाता है कि इस प्लाट पर तब दो दुकानें बनायी गयी थीं। जिसके ध्वस्तीकरण के आदेश कर दिए गए थे। मौके पर पहुंचे ध्वस्तीकरण दस्ते के साथ सेंट्रल मार्केट के व्यापारी नेताओं ने मारपीट कर दी थी। तत्कालीन सपा नेताओं ने इस मामले में काफी मदद की थी। तब के सीएम अखिलेश यादव से सिफारिश कर कार्रवाई को रूकवा दिया गया था। बाद में साल 2014 में आवास विकास परिषद ने हाईकोर्ट से एक आदेश ध्वस्तीकरण के पक्ष में ले लिया। यह बात अलग है कि आवास विकास परिषद के अफसर तमाम प्रयास के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं कर सके। बताया जाता है कि उसके बाद 19 दिसंबर 2014 को 661/6 प्लाट पर किए गए निर्माण पर कार्रवाई के विरोध में सुप्रीमकोर्ट की शरण में चले गए। दो दुकानों पर स्टे मिल गया। हालांकि इस बिल्डिंग में कई अन्य दुकानें भी हैं, इन दो दुकानों पर सुप्रीमकोर्ट के स्टे के चलते बाकि दुकानों पर भी कार्रवाई टाली जाती रही। अफसरों को डर था कि यदि स्टे वालाी दुकानों को अन्य दुकानों पर कार्रवाई के दौरान नुकसान पहुंचा तो मामला अवमानना का बन जाएगा और कार्रवाई हो जाएगी। इसी डर से अधिकारी हिम्मत नहीं जुटा सके। एडवोकेट राहुल मलिक ने जानकारी दी कि मंगलवार को सुप्रीमकोर्ट में भी अंतिम सुनवाई हो चुकी है। आदेश सुरक्षित रख लिया है। साथ ही सुप्रीमकोर्ट ने पिटिशन व आवास विकास परिषद को सात का वक्त जो सवाल पूछा गया है उसका उत्तर दाखिल करने को दिया है।
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