फिर टूटा मौत के मांझे का कहर,
मेरठ/चाइनीज मांझे का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। रविवार को गंगानगर थाना क्षेत्र में चाइनीज मांझे का कहर देखने को मिला। यहां स्कूटी से गुजर रहे एक युवक की गर्दन में चाइनीज मांझा फंस गया। उसकी गर्दन को जख्मी कर दिया। गनीमत यह रही कि स्कूटी पर इस युवक के साथ सीसीएसयू के छात्र नेता विनित चपराना मौजूद थे, उन्होंने वक्त रहते स्कूटी सवार अपने साथी माइकल की जान बचा ली। जैसे ही मांझा गर्दन में उलझा विनित चपराना ने तुरंत स्कूटी रूकवाई माइकल को संभालना और उसकी गर्दन में फंसा माझा निकाला, लेकिन गर्दन को जख्मी होने से नहीं बचा सके। गनीमत यह रही है कि जख्म गंभीर नहीं था। माइकल को तो विनित चपराना ने बचा लिया, लेकिन इस घटना ने चाइनीज मांझे को लेकर पुलिस की सख्ती की पोल खोल कर रख दी है। गंगानगर में जिस स्थान पर चाइनीज मांझे से यह हादसा हुआ वहां समीप ही कुद कदम की दूरी पर सूबे की योगी सरकार में दिनेश खटीक का आवास है। जिस वक्त यह हादसा हुआ बड़ी संख्या में आसपास से लोग गुजर रहे थे। उन्होंने यह वाक्या मोबाइल में कैद कर लिया। कुछ ने सोशल मीडिया पर वायरल भी कर दिया। वहीं दूसरी ओर विनित चपराना ने कहा कि चाइनीज मांझा मौत का मांझा साबित हो रहा है। अब तक यह कई को गंभीर घायल कर चुका है। मेडिकल के कमालपुर निवासी एक युवक की भी जान ले चुका है। प्रदेश भर की यदि बात करें तो एक सिपाही की चाइनीज मांझे की चपेट में आकर मौत हो चुकी है। शास्त्रीनगर इलाके में जिस रोज चाइनीज मांझे से कमलपुर निवासी युवक की मौत हुई, उसी दिन लोहियानगर थाना की पीआरवी पर तैनात एक होमगार्ड भी पीवीएस के समीप चाइनीज मांझे की चपेट में आकर बुरी तरह जख्मी हो गए। लालकुर्ती में दो साल की मासूम भी चाइनीज मांझे की चपेट में आकर जख्मी हो गयी। लंबी फेरिस्त हैं मौत के मांझे के शिकार होने वालों की। पूरे शहर को इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। तभी चाइनीज मांझे का कारोबार करने वालों पर अंकुश लग सकता है।
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दुकानें छोड़कर भाग गए थे मांझा कारोबारी
मेडिकल थाना क्षेत्र में चाइनीज मांझे की चपेट में आकर युवक की दर्दनाक मौत के बाद एसपी सिटी के आदेश मांझे के नाम पर मौत का सामन बेचने वालों की धरपकड़ के लिए अभियान चलवाया था। उस अभियान के दौरान देहलीगेट थाना के खैरनगर स्थित पतंग मांझा मार्केट में कई दुकानदार भाग गए थे।
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वारदात दर वारदात फिर भी चाइनीज मांझा
चाइनीज मांझे से मौत व घायल होने की तमाम घटनाओं के बाद भी इसकी बिक्री पर रोक नहीं है। प्रतिबंधित होने के बावजूद इसकी बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है। बिक्री हो रही है तभी तो चाइनीज मांझे से हादसे भी हो रहे हैं। कमालपुर के सुहेल की मौत ने चाइनीज मांझे की बिक्री पर रोक के दावों की पोल खोलकर रख दी है। चाइनीज मांझे से होने वाली दुर्घटनाओं की बात करें तो :-
महिला की ऊंगली कटीं
बीते साल 27 सितंबर को स्कूटी से बच्चों को ट्यूशन छोड़कर आ रही एक महिला की गर्दन चाइनीज मांझे ने अंगुली को बुरी तरह काट दिया। खूनी पुल पर राजकीय इंटर कालेज के सामने बंटी का परिवार रहता है। उनकी पत्नी करिश्मा बच्चों को छोड़कर घर वापस आ रही थी। जब वह तान्य आटोमोबाइल के पास पहुंची तभी अचानक वहां तार से लटका मांझा उसकी गर्दन में उलझ गया। करिश्मा ने गर्दन बचाने का प्रयास किया तो मांझे ने उसके दांये हाथ की अंगुली कट गई। अंगुली पर सात टांके लगाए गए।
विगत 17 दिसंबर 2022 को दिसंबर हापुड़ रोड पर पावरलूट फैक्ट्री संचालक वाजिद पुत्र तौफिक निवासी ढवाई नगर किसी काम से जा रहा था। उसी दौरान अचानक चाइनीज मांझा आकर उसके गर्दन से लिपट गया। उसकी गर्दन बुरी तरह कट गयी। अस्पताल ले जाया गया। जहां गर्दन में टांके आए। पुलिस ने मामला तो दर्ज किया, लेकिन आज तक गिरफ्तारी किसी की नहीं की गई।
विगत 12 फरवरी 2024 को कंकरखेड़ा के मेहंदी मोहल्ला निवासी शुभम स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में एक कंपनी में कार चालक है। रविवार शाम चार बजे वह ड्यूटी खत्म कर बाइक पर सवार होकर अपने घर जा रहा था। ट्रांसपोर्ट नगर गेट के सामने उसकी गर्दन चीनी मांझे में उलझ गई। परिजन मौके पर पहुंचे। उसके अस्पताल में भर्ती कराया। उसकी गर्दन में 40 टांके आए।
विगत 14 फरवरी 2024 को कंकरखेड़ा के साधु नगर के रहने वाले नितिन चंद्रा जिला पंचायत के कर्मचारी हैं। शाम को वह अपने साथी के साथ खरखौदा से लौट रहे थे। कुटी चौराहे के पास उनकी गर्दन में मांझा फंस गया। वह लहूलुहान हो गए। उन्हें बेगमपुल स्थित एक निजी अस्पताल में लाया गया, जहां पर डाक्टरों ने 30 टांके लगने पडेÞ।
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हवा हुए रोक के आदेश
यूं कहने को चाइनीज मांझे पर रोक लगी हुई है, लेकिन लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जब यह मांझा जानलेवा साबित हो रहा है। मेरठ जिले में तो क्या मासूम और क्या बुजुर्ग यह मांझा लोगों के लिए नासूर बन चुका है। अब तक कई जानें भी जा चुकीं हैं, जबकि राह चलते कितने ही लोगों के साथ दुर्घटना हो रही हैं. बार-बार हादसों से यह स्पष्ट होता है कि इसकी बिक्री धड़ल्ले से जारी है और लोगों की जान पर बन आ रही है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जुलाई 2017 में जानलेवा चाईनीज मांझे की बिक्री पर देश भर में प्रतिबंध लगाया था। तब एनजीटी ने आॅर्डर में कहा था कि स्वतंत्रता दिवस पर पतंग उड़ाना देश की परंपरा रही है, लेकिन खतरनाक मांझे से पशु-पक्षी और लोग बुरी तरह जख्मी हो जाते हैं। इसके बाद सरकार की तरफ से भी कई बार चाइनीज मांझे की रोकथाम के लिए शासन स्तर से निर्देश दिए गए। स्थानीय प्रशासन ने भी अभियान चलाए, लेकिन मांझे के शिकार होने वाले मामले बढ़ते ही गए। दुर्घटनाओं में कोई कमी नही आई।
इनकी भी हुई मौत
23 सितंबर, 2021 को एनएच 58 पर बी फार्मा के छात्र अजय (24) की गर्दन में मांझा लपेटे जाने से मौत हो गई थी। इसी तरह के मामले में 13 अक्टूबर, 2021 को चाइनीज मांझा से गले में गहरा घाव होने से रोहटा रोड पर एक मिस्त्री की मौत हो गई थी। साल 2021 5 फरवरी को बेगम बाग के गुड्डू की भी इसी तरह मौत हो गई थी, जबकि एक गार्ड की भी मौत चाइनीज मांझे की वजह से हो चुकी है।
राजेन्द्र अग्रवाल ने उठाया था संसद में मामला
मेरठ-हापुड़ लोकसभा के पूर्व सांसद सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने पूर्व लोकसभा में शून्यकाल के दौरान चाइनीज मांझा अथवा इसी प्रकार के हानिकारक मांझे के भंडारण, बिक्री व उपयोग पर प्रभावी प्रतिबंध लगाने और इस प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई किये जाने की मांग की थी।
सांसद ने कहा था कि ‘चाइनीज मांझे के कारण निरंतर दुर्घटनाएं हो रही हैं। इस मांझे की चपेट में आने वाले टू-व्हीलर पर चलने वाले व्यक्तियों की गर्दन कट जाती है और यह मांझा विद्युत का सुचालक होने के कारण हाईटेंशन तारों को छूता हुआ राह चलते व्यक्तियों को झुलसा देता है इन कारणों से प्रत्येक वर्ष अनेक व्यक्ति विशेष कर बच्चे घायल हो रहे हैं और अनेकों की मृत्यु हो चुकी है’, लेकिन हुआ उसके बाद भी मांझा बेचा जा रहा है, हादसे इस बात का सूबत हैं।