अपने भुल कर दूसरों के गुनाह का फैसला,
-गुनाह में शामिल थे-दूसरों के तय कर रहे थे गुनाह-
MEERUT/जो खुद गुनाह में शामिल थे, वो दूसरों के गुनाहों का हिसाब कर रहे थे। लेकिन इससे भी बड़ा सवाल यह कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर क्या सैन्य अफसर कार्रवाई करेंगे। बात हो रही हैं कैंट बोर्ड के मनोनीत सदस्य डा. सतीश शर्मा को लेकर आए दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले की। दरअसल डा. सतीश शर्मा को कैंट बोर्ड का सदस्य मनोनीत किए जाने के खिलाफ स. नरेन्द्र नागपाल ने दिल्ली हाईकोर्ट में रिट दायर की थी। उन्होंने रिट में गंभीर आपत्तियां लगायी थीं। तमाम कैंट एक्ट का उल्लेख अपनी रिट में किया था। तकनीकि रूप से उनकी आपत्तियों को जायज ठहराया गया। सुनवाई चली। कोर्ट का फैसला भी आया, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण आदेश डा. सतीश शर्मा को जिन अवैध निर्माणों को लेकर नोटिस दिए गए हैं कैंट अफसर उन पर कार्रवाई करें। इतना ही नहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने बाकायदा इसकी मियाद भी तय की है।
बड़ा सवाल आगे क्या
स. नरेन्द नागपाल की रिट और उस पर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले से भी बड़ा सवाल यह कि अब वो सैन्य अफसर क्या कदम उठाएंगे जिनके साथ बैठकर दूसरों के अवैध निर्माणों पर मनोनीत सदस्य डा. सतीश शर्मा फैसला लेते थे। फैसले के बाद वो नोटिस बोर्ड में रखे जाते थे। कुछ को नोटिस जाते थे। कुछ के खिलाफ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाती थी। क्या अब आगे भी पहले की तर्ज पर अपने गुनाह को भूलकर दूसरों के गुनाहों को फैसला करने का सिलसिला जारी रहेगा।
विशेष शक्तियां हैं निहित
रिट दायर करने वाले स. नरेन्द्र नागपाल बताते हैं कि बोर्ड के अध्यक्ष को विशेष शक्तियां प्रदत्त होती हैं। जिनका यूज कर वो किसी भी सदस्य को एक माह के लिए बोर्ड से विरत कर सकते हैं। स. नागपाल का कहना है कि अब तो हाईकोर्ट का आदेश भी है, क्या इसके बाद भी कैंट अफसर पूर्व की भांति बैठकों को करेंगे या फिर कुछ बदलाव नजर आएगा। हालांकि किसी नतीजे पर पहुंचना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन रिट दायर करने वाले स. नरेन्द्र नागपाल ने सवाल तो खड़ा कर ही दिया है जिसका माकूल जवाब भी शायद होना चाहिए। हालांकि स. नरेन्द्र नागपाल ने यह भी जोर देकर कहा है कि वह इस मामले को लेकर अब सुप्रीमकोर्ट जा रहे हैं।