टूटी कैंट अफसरों की नींद-नोटिस, करीब दो साल से जो फाइल दबी पड़ी थी, उसको लेकर आखिरकार मेरठ कैंट बोर्ड की नींद टूट ही गयी। एक ही झटके में दो चार या दस बीस नहीं बल्कि 102 डेयरी संचालकों को सीईओ कैंट के आदेश पर सेनेट्री सेक्शन ने नोटिस थमा दिए हैं। दो माह के भीतर कैंट से डेयरियों को बाहर करने का फरमान सुनाया गया है। इतना ही नहीं 12 से 20 लाख रुपए तक पैनल्टी यानि जुर्माना की भी चेतावनी नोटिस में दी गयी है। कैंट बोर्ड के नोटिस से डेयरी संचालकों में हड़कंप मचा हुआ। पैरवी के लिए डेयरी संचालक इधर-उधर दौड़ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि फिलहाल हाईकोर्ट से किसी प्रकार की राहत की उम्मीद नजर नहीं आ रही है।
डेयरियां लौटीं-सोए रहे अफसर
जिन डेयरियों को नोटिस भेजे गए हैं उनमें से ज्यादातर को पहले चरण में अदालत के आदेश के बाद जो कार्रवाई की गयी थी, उसमें हटा दिया गया था। कैंट इलाके से आबादी के बीच चलने वाले ज्यादा तक पशु डेयरियों को बाहर कर दिया गया था। तोपखाना, रजबन इलाके में कैंट बोर्ड ने बड़ी कार्रवाई की थी। खूब वाह-वाही लूटी गयी थी। लेकिन उसके बाद इससे जुड़े तमाम अफसर सो गए या उन्हें सुला दिया गया। मसलन उस ओर से पीठ फेर कर बैठ गए। नतीजा यह हुआ कि जिन डेयरियों को कैंट क्षेत्र से बाहर किए जाने का दावा किया गया था, उनसे में से ज्यादतार डेयरियां वापस अपनी जगह आ गयीं। कार्रवाई को लेकर जो फाइलें तैयार की गयी थीं, उन पर अरसे से धूल जम गयी थी। कैंट बोर्ड का निजाम बदला। सीईओ ज्योति कुमार आए तो फाइलों की धूल भी हट गयी। लिस्ट तैयार की गयी तो 102 डेयरी संचालकों के नाम सामने आ गए। इनमें से ज्यादातर वो हैं जिन्हें पहले कैंट की आबादी वाले इलाके से बाहर कर दिए जाने का दावा गया था। लेकिन सवाल यही कि यदि खदेड दिया गया था तो दोबारा कैसे आ गयी। क्यों सोए रहे अफसर सवाल तो बनता है।