योगेश हमसे कर ले दोस्ती या खुद.. बात काफी पुरानी है, एक फिल्म बनी थी पापी जिसके हीरा सुनील दत्त थे। उसमें एक गाना था, रख दिया पिस्तौल तेरे सामने ए यार ले.. हमसे कर ले दोस्ती या खुद को गोली मार ले.. शुक्रवार की दोपहर बाद का वक्त था। खबर मिली की मेरठ छावनी परिषद के सीईओ ने सेनेट्री सेक्शन के इंस्पेक्टर योगेश यादव को सस्पेंड कर दिया है। तभी अचानक फिल्म पापी की उक्त पंक्ति न जाने क्याें अचानक गुगनानी शुरू कर दी। योगेश यादव और नावेन्द्र नाथ की अदावत किसी से छिपी नहीं है। दफ्तर में नावेन्द्र खेमे में गिने जाने वाला स्टाफ भी पाला खींचकर आस्तीन चढ़ाए रहता था। लेकिन मामला डोर टू डोर ठेकेदार को भुगतान में गडबडी यानि सरकार को राजस्व की हानि के आरोप से जुड़ा होने की वजह से मिनिस्ट्री से जांच तो आनी थी यह भी तय था। जांच और मामला जब भारी पड़ता नजर आया तो डेमेज कंट्रोल की कोशिशें होने लगीं, लेकिन इसके लिए योगेश का पाले में आना जरूरी था। सरकारी महकमे में एक कहावत बड़ी मशहूर है कि अफसर हमेशा अफसर की पैरवी करते हैं, अपने स्टाफ के कर्मचारी की नहीं। अफसरों का यह आपसी प्रोटोकाल माना जाता है। मिनिस्ट्री में जो शिकायत की गयी उस मामले को भी इसी तर्ज पर सुलटाने का प्रयास किया। बात जब बात से बनती नहीं दिखाई दी तो जैसा कि आमतौर पर ऐसे मामलों में किया जाता है, वैसा ही किया गया। किसी राजेन्द्र टांग को तैयार किया गया। उसने पैसे मांगने जैसे गंभीर आरोप लगाकर थाना सदर बाजार में तहरीर भी दे दी। दरअसल इस सारी कवायद के पीछे मकसद हमसे कर ले दोस्ती या खुद को गोली मार ले..रख दिया पिस्तौल तेरे सामने ओ यार ले.. यहां फिल्म पापी के इस गाने की पंक्ति न जाने क्यों बार-बार याद आती हैं। लेिकन बड़ा सवाल अभी भी बाकि है। सस्पेंशन की कार्रवाई तो कर दी गयी है, लेकिन क्या इससे उलझी गुत्थियां सुलझ सकेंगी। तक तक जाने को नावेन्द्र नाथ व योगेश की काल लगायी लेकिन आउट आफ रेंज बताया।