कैंट बोर्ड फंसा पेमेंट की जांच में, डोर टू डोर ठेकेदार मयंक चौधरी से कैंट बोर्ड के कुछ अफसरों का यह रिश्ता क्या कहलता है जो उसको तमाम कायदे कानून को ताक पर रखकर करीब तीन करोड़ सुना जा रहा पेमेंट ज्यादा कर दिया। सुनने में तो यहां तक आया है कि जो पेमेंट ज्यादा किया गया है, उसमें एक बड़ा हिस्सा पेमेंट करने वाले अफसर व उसकी मदद करने वाले स्टाफ के भी हिस्से में आया है। इन बातों में कितनी सत्यता है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा लेकिन यह मामला पूर्व सीईओ व उनके सिपाहसालारों के गले की फांस बनता नजर आ रहा है, क्योंकि मध्य कमान लखनऊ से डायरेक्टर डीएन यादव इसकी जांच को आ रहे हैं। डीएन यादव का नाम मेरठ कैंट स्टाफ के लिए नया नहीं है, वह पूर्व में सीईओ कैंट रह चुके हैं और उनके कार्यकाल में मछेरान के ध्वस्तीकरण समेत कई अवैध निर्माणों पर जेसीबी चलायी गयी थी। यह बात अलग है कि जिन अवैध निर्माणों को डीएन यादव ने होने नहीं दिया, वहां सील लगा दी गयी थी, डीएन यादव के यहां से चले जाने के बाद किए गए अवैध निर्माण कैँट बोर्ड के अफसराें को मुंह चिढ़ाते नजर आ रहे हैं। इन अवैध निर्माणों को करने वाले कहने की कोशिश कर रहे हैं कि डीएन यादव सरीखे एक ईमानदार अफसर का कार्यकाल जब खत्म हो जाता है तो फिर खुलकर खेलने का मौका मिलता है। सवाल पूछा जा रहा है कि क्या डीएन यादव ऐसे मामलों की भी सख्ती से खबर लेंगे जिनमें उनके द्वारा रोके जाने के बाद भी अवैध करा दिए गए। कौन इसके लिए जिम्मेदार हैं। किनकी लापरवाही या कहें सेटिंग गेटिंग की वजह से जहां पर डीएन यादव के कार्यकाल में सील लगा दी गयी थी, वहां पर सील लगाए जाने के बाद भी अवैध निर्माण करा दिए गए। अवैध निर्माण कराने वालों से कैँट बोर्ड के स्टाफ का यह रिश्ता क्या कहलता है। डीएन यादव इसकी भी पड़ताल शायद करें। भ्राजपा नेता पुनीत शर्मा ने बताया कि उनकी शिकायत पर यह जांच हो रही है। इसी तरह की शिकायत विभाग में सेनेट्री सेक्शन के योगेश यादव ने भी की है।