कैंट बोर्ड की CBR खोल रही पोल, 22B और संविदा ठेकेदार पर कार्रवाई के नाम पर कैंट बोर्ड मेरठ अफसरों की कारगुजारी CBR चींख-चीख कर बता रही है। पहले बात कर लेते हैं 22B को लेकर की कारगुजारियों की। इस बंगले पर हाईकोर्ट के आदेश पर इंजीनियरिंग सेक्शन ने सील लगाई थी। जब सील तोड़े जाने की सूचना सेनेट्री सेक्शन ने दी तो फिर इंजीनियरिंग सेक्शन ने बोम्बे माल व 210-B की तर्ज पर हाईकोर्ट को पंकज जौली के अवमानना कृत्य की सूचना क्यों नहीं दी। याद रहे कि बोम्बे माल व 210-B में भी अवमानना किए जाने पर बड़े स्तर पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई अवमानना पर कोर्ट ने ही करायी थी। दोनों ही मामलों में आरोपी दो महिलाओं समेत कुल तीन जेल भेजे गए थे। ऐसा क्या कारण था जो 22B की जब सील टूटी तो कैंट बोर्ड ने हाईकोर्ट को सूचना क्यों नहीं दी। क्या इसकी जांच नहीं की जानी चाहिए। हालांकि पूरी कारगुजारी को लेकर आज एक शिकायती पत्र सचिव रक्षा मंत्रालय को भेजा गया है। इस पूरे मामले में अब क्रॉनोलॉजी समझ लीजिए। जब सील टूटी तो कार्रवाई के लिए डीएम को पत्र भेजा गया। जबकि कायदा यह कहता है कि ऐसे मामलों में पत्र सीधे एसएसपी को भेजा जाता है। इस प्रकार के मामलों में एसएसपी ही एफआईआर की कार्रवाई कराते हैं। डीएम को पत्र क्यों भेजा गया इसका उत्तर कैंट बोर्ड प्रशासन ही दे सकता है। सील तोड़ने के आरोपी पर एफआईआर की जानकारी दी गई। क्या इसकी जानकारी की गयी कि FIR हुई भी या नहीं या किन धाराओं में हुई। इस प्रकार के अवमानना के मामले में हाईकोर्ट बगैर किसी देरी के आरोपी को जेल भेज देता है। फिर 22B के मामले में क्या आरोपी पर कार्रवाई को कैंट बोर्ड प्रशासन के स्तर से क्या कार्रवाई की गयी। अब बात कर ली जाए CBR की जो चींख चींख कर कह रही है कि कार्रवाई के नाम पर आरोपियों को कानून से बचाव का रास्ता ही बताया गया है। अन्यथा बोम्बे व 210B सरीखा हश्र था।