सहयोग का सुंदर कांड पाठ, सहयोग सामाजिक संस्था मेरठ द्वारा श्रावण पूर्णिमा पर 28वें सामूहिक सुंदर काण्ड का पाठ ब्रह्मपुरी में किया गया।जिसका शुभारंभ श्रीमती कुसुम लता और मदन मोहन वर्मा ने संयुक्त रूप से हनुमान जी की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलित और पुष्प माला अर्पित कर किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्था के मुख्य संरक्षक डॉ प्रेम कुमार शर्मा ने श्रावण मास का महत्व बताते हुए कहा कि यह मास सभी मासों में सर्वोत्तम है। उन्होंने कहा कि श्रावण मास का समापन श्रावण पूर्णिमा पर होता है। इस दिन रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है । संस्था अध्यक्ष दिनेश कुमार शांडिल्य ने कहा कि श्रावण ब्राह्मणों का त्योहार है। प्राचीन काल में ब्राह्मण भी अपने यजमानों की लंबी आयु के लिए उनकी कलाई पर मोली का रक्षा सूत्र बांधते थे। पूर्णिमा पर ब्राह्मण पुराना जनेऊ उतार कर नया जनेऊ धारण करते हैं,जिसे श्रावणी उपाकर्म कहते हैं। पं विजय शर्मा ने बताया कि श्रावणी पूर्णिमा के दिन संस्कृत दिवस भी मनाया जाता है,जो देव भाषा है और अंग्रेजी सहित सभी भाषाओं की जननी है। प्राचीन काल में गुरु कुल में ने विद्यार्थियों का प्रवेश और ने शिक्षा सत्र का आरंभ श्रावणी पूर्णिमा से होता था। इसके बाद संस्था के संरक्षक सत्य पाल दत्त शर्मा ने सुंदर काण्ड का पाठ कराते हुए कहा कि प्रभु राम कहते हैं कि जो मेरी शरण में आता है उसकी मैं प्राणों की तरह रक्षा करता हूं। इसलिए हमें प्रभु की निर्मल भक्ति करनी चाहिए। । कार्यक्रम के अंत में गीता वर्मा ने-वो तो छम छम करता आए री सखी, हनुमान बजरंग बली और ये दानेदार माला मेरे किस काम की जिसमें तस्वीर न हो श्री राम की सुंदर भजन सुनाकर भक्तों को झूमने को मजबूर कर दिया। अंत में अवनीश वर्मा ने सभी का आभार जताया।