आरटीई़: अधिकारियों की हां-स्कूलों की ना, आरटीई को लेकर प्रशासन के अधिकारी भले ही कुछ भी दावा करें, लेकिन निजी स्कूलों ने प्रशासन के दावों को एक सिरे से खारिज कर दिया है। इस मामले को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रही जीपीए का प्रयास सीएम योगी से मिलने का है। हालांकि जीपीए निरंतर प्रयासरत है। अब तक केंद्रीय शिक्षा मंत्री , प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह , राष्ट्रीय बाल अधिकार सरक्षंण आयोग, से लेकर तमाम संबंधित महकमों को आरटीई के अंतर्गत बच्चों के दाखिलों को लेकर पत्र एवम ज्ञापन दिए गए है। जिला प्रशासन भी सजग होता प्रतीत दिखाई दिया और प्रशासन ने आरटीई के दाखिलों को लेकर निजी स्कूलों पर दबाब बनाने की रणनीति के तहत नोटिस भेजे मीटिंग भी आयोजित की गई, अधिकारियों द्वारा स्कूलो को चेतावनी दी गई। अधिकारियों की चेतावनी का जिले के स्कूलों पर कोई असर नही पड़ा उल्टे स्कूलो ने बच्चों के घर जाकर चेकिंग करनी शरू कर दी, जबकिं यह कार्य लेखपाल और तहसीलदार के कार्यक्षेत्र में आता है। तहसीलदार के निरक्षण के बाद ही अभिभवको को आय प्रमाण पत्र बनता है उसकी अनदेखी कर स्कूलो ने खुद ही बच्चों के घर जाकर जांच की जाने लगी। जीपीए द्वारा बेसिक शिक्षा अधिकारी और नगर मजिस्ट्रेट से की गई जब बच्चों की पढ़ाई का तीन महिनो से ज्यादा का समय बर्बाद हो गया तब जाकर जिले के नगर मजिस्ट्रेट श्री गंभीर सिंह ने खुद अपने हाथों में कमान संभाली ली है बच्चों के आरटीई के एडमिशन कराने के लिए स्कूलों का दौरा किया और कुछ बच्चों के एडमिशन कराये। दाखिला नही लेने वाले स्कूलो को एफआईआर एवम मान्यता रद्द करने की चेतावनी दी है। नगर मजिस्ट्रेट के इस साहसिक कदम की जितनी प्रसंशा की जाये उतनी कम है।अनेकों स्कूल ऐसे है जो दाखिला नही ले रहे हैं। एसोसिएशन की अध्य्क्ष सीमा त्यागी ने कहा कि नगर मजिस्ट्रेट की सख्ती से जहां अभिभावकों में उम्मीद की किरण जगी है वही जीपीए को भी उम्मीद जगी है कि उनके प्रयास सार्थक होने की तरफ बढ़ रहे हैं।