जितेन्द्र जैन को शांतिधारा का सौभाग्य, पर्यूषण महापर्व पर श्री शन्तिनाथ दिगम्बर जैन पंचायती मन्दिर असौड़ा हाऊस मेरठ में मंगलवार को श्री जी का अभिषेक हुआ। शान्ति धारा का सौभाग्य जिसमें सौधर्म इंद्र एवं स्वर्ण झारी से शांतिधारा का सौभाग्य जीतेन्द्र को मिला, मूलनायक शांतिनाथ भगवान की प्रतिमा का प्रक्षालन करने का सौभाग्य अजय संजय को मिला एवं रजत झारी द्वारा शांति धारा का सौभाग्य मनोज लकी को मिला। सिद्धांत शास्त्री जी ने अपने प्रवचन में बताया कि तप चाहे सुर राय कर्म शिखर को बज्र है। आज का दिन कर्म निर्जरा के साथ मोक्ष प्राप्ति का दिन हैं। जिस प्रकार सोने को तपाया नही जाये तो उसके सुंदर आभूषण तैयार नही होते उसी प्रकार बिना तपस्या के मोक्ष संभव नही कर्मो की निर्जरा के लिए तपानुचरण तपस्या करना जरूरी है कोयले को भी शुद्ध सफ़ेद होने के लिए आग मे तपना होता हैं तभी वह अपने सफ़ेद पर्याय को प्राप्त कर पाता है उसी प्रकार हमारे लिए भी तपस्या करनी चाहिए। संयम के साथ तप करना भी जरूरी हैं जैसे मंदिर ओर शिखर तो सत्य ओर संयम रूप हैं लेकिन शिखर पर स्वर्ण कलश होने से उसकी महिमा बड़ जाति है उसी प्रकार सत्य और संयम की महिमा तप से हि बढ़ती हैं। तन मिला तो तप करो करो कर्म का नाश रवि शशी से भी अधिक हैं तुममें दिव्य प्रकाश तप के द्वारा हि हमारा शरीर पवित्र होगा सुंदर होगा हमारे भीतर सूर्य से भी ज्यादा तेज हैं लेकिन वह तप से हि प्रकट होते पायेगा इसलिए तप को अपनाओ तप से हि मुक्ति होती ओर मोक्ष की प्राप्ति होगी हमे शरीर नही आत्मा का श्रृंगार करना है हमे बाह्य प्रदर्शन से बचकर आत्म दर्शन की ओर आत्म सात होना है। सांय 7ः30 बजे मंगलज्योति एवं आरती हुई एवं प्रश्नमंच कराया गया। इसके पश्चात कल के दिन होने वाली रथ यात्रा के पत्रों का चयन बोलियो द्वारा हुआ। सहयोग में सुभाष विपिन रमेश विपुल, प्रीती, मेघना, चाची दीपा कुसुम पंकज अनिल संजय रोकेश आदि उपस्थित रहे ।