मेरठ की तीन सौ कालोनी अवैध, मेरठ। मेरठ विकास प्राधिकरण प्रशासन की ओर से महानगर की अवैध कालोनियों के खिलाफ ध्वस्तीरकरण का एक बड़ा अभियान छेड़े जाने की आहट सुनाई देने लगी है। माना जा रहा है कि एमडीए के सभी जोनों में बड़ी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई अमल में लायी जा सकती है। एमडीए के सूत्रों की मानें तो अवैध कालोनियों तथ शहर में यहां वहां किए गए अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चढाने की पठकथा लिखी जा रही है। हालांकि यह कहना अभी जल्बाजी होगी कि एमडीए प्रशासन जो पठकथा लिख रहा है, उस पर कब तक अमल किया जा सकेगा। लेकिन सूत्रों की मानें तो बहुत जल्द ही तमाम अवैध कालोनियों पर बड़ी कार्रवाई संभव है।
मैराथन मिटिंग में वीसी एमडीए ने कसे पेंच:
सुनने में आया है कि अवैध निर्माणों व अवैध कालोनियों को लेकर स्टाफ के कुछ कर्मचारियों के रवैये से खिन्न वीसी एमडीए ने एक ने दिन पहले एक मैराथन मिटिंग में तमाम स्टाफ खासतौर से जोन में डयूटी करने वाले स्टाफ जिनमें जोनल अधिकारी, अवर अभियंता व मेट सरीखे शामिल के पेंच कसे हैं। अवैध कालोनियों व निर्माणों को लेकर खींचाई भी की गई सुनने में आयी है। हालांकि इस दौरान स्टाफ के कुछ लोगों ने कुछ सवाल भी उठाए ये सवाल मीडिया व आरटीआई एक्टिविस्टों को लेकर थे। ऐसे सवाल उठाने वालों ने यहां तक कह दिया बताया जाता है कि उन्हें ब्लैकमेल किया जाता है, लेकिन इस प्रकार की बातें करनेवाले शायद यह भूल गए कि ब्लैक मेल किसी गलती पर किया जाता है। कोई गलती की होगी तभी कोई ब्लैक मेल करेगा अन्यथा किसी की क्या हिम्मत है जो इस प्रकार की बात करें। यदि आपा ठीक है तो फिर किसी के ब्लैक मेल से डरने का सवाल ही नहीं।
सौ नहीं चार सौ हैं अवैध कालोनियां:
मेरठ महानगर में सौ नहीं बल्कि लगभक चार सौ अवैध कालोनियां है। सूत्रों की मानें तो यह बात जोनल स्टाफ के पेंच कसने के चली मैराथन बैठक में सामने आयी। इससे पहले जब एमडीए की ओर से अवैध निर्माणों को चिन्हित करने के लिए ड्रोन-ड्रोन खेला जा रहा था तब एमडीए सचिव की ओर से सौ अवैध कालोनियों की सूची होने की बात मीडिया डोमन में थी, लेकिन अब सुनने में आया है कि मैराथन बैठक में चार सौ अवैध कालोनियों की बात समाने आयी है । यदि यह बात सही मान ली जाए तो फिर आसानी से समझा जा सकता है कि एमडीए का जोनल स्टाफ किस प्रकार की और कैसी डयूटी कर रहा है। मेरठ जैसे महानगर में हालांकि चार सौ कालोनियां कुछ भूमाफिया टाइप बिल्डर ज्यादा भी नहीं मान रहे हैं। उनका तो यहां तक दाबा है कि चार सौ से काफी ज्यादा यह संख्या हो सकती है। शायद काउंटिंग करने वालों ने कुछ अवैध कालोनियों को किन्हीं कारणों से अपनी गिनती में शामिल नहीं किया है।
कुछ इस प्रकार का एक्शन है प्रस्तावित:
महानगर की अवैध कालोनियों व अवैध कांप्लैक्सों को लेकर जिस प्रकार की कार्रवाई की बातें सुनने में आ रही हैं उसमें उन कालोनियों को ध्वस्त किए जाने की श्रेणी में शामिल किया है जो अभी प्रारंभिक स्तर पर हैं। ऐसी कालोनियां जिनमें सड़क बनवा दी गयी है। जहां चार दीवारी खड़ी कर दी गयी हैं तथा बिजली के खंभे भी लगाए गए हैं, वहां सीधे जेसीबी मशीन का एक्शन होगा। ऐसी कालोनियों के लिए किसी प्रकार की रियायत जैसी कोई बात नहीं है।
जो बसे हैं उन्हें तो एमडीए को देनी ही होगी कीमत:
जिन अवैध कालोनियों में काफी मकान बन गए हैं जहां काफी लोग रहने भी लगे हैं। वहां बस्ती भी बस गयी है, ऐसी कालोनियों के लिए एमडीए प्रशासन की ओर से कुछ रियायत की बात बतायी गयी है। ऐसी कालोनियों को एक दम ध्वस्त तो नहीं किया जाएगा, लेकिन ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से बस चुकी कालोनियों को बचाने के लिए कालोनी काटने वाले बिल्डर को कंपाउंडिंग कराने की अर्जी दाखिल करनी होगी। यह रियायत केवल बसावत वाली कालोनियों के लिए मुकर्रर की गयी है। ऐसी कालोनियों को लेकर संबंधित बिल्डर को नोटिस दिए जाएंगे। नोटिस में जो मियाद तय की गयी है उस मियाद के भीतर अपनी कालोनी को कंपाउंड कराना अनिवार्य होगा। कंपाउंडिग वाले केसों में देरी की कोई गुंजाइश नहीं है।
ध्वस्तीकरण ही नहीं राजस्व पर भी जोर:
मेरठ विकास प्राधिकरण प्रशासन केवल ध्वस्तीकरण पर ही जोर नहीं दे रहा है। बताया जाता है कि वीसी एमडीए का सबसे ज्यादा जोर व ध्यान सूबे की योगी सरकार की मंशा के अनुरूप रेवेन्यू जेनरेट करना है। वीसी का प्रयास है कि अधिक से अधिक रेवेन्यू सरकार तक पहुंचे। इसके लिए वह लगातार अपने जोनल अधिकारियों व अवर अभियंताओं को निर्देशित भी करते रहते हैं।
दरअसल वीसी का प्रयास है कि एक तीर से दो निशाने साधे जाएं। इसी क्रम में उन्होंने अवैध कालोनियों को वर्गीकरण कर लिया बताया जाता है। इस वर्गीकरण में सबसे ऊपर वो अवैध कालोनियां है जो प्रारंभिक स्तर पर हैं। मसलन जिनका ध्वस्त किया जाना जरूरी है। उनको कोई रियायत नहीं मिलेगी। कुछ वो कालोनी है जहां काफी मकान बन गए हैं तथा तीसरे वर्गीकरण में वो कालोनियां हैं जो पूरी तरह से अवैध तो हैं, लेकिन वहां काफी लोगों ने घर बनाकर रहना शुरू कर दिया है।
जानकारों का कहना है कि ऐसी अवैध कालोनियों को सीधे ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से रियायत की श्रेणी में रखा गया है। इसके पीछे वीसी एमडीए की सरकार के लिए रेवेन्यू यानि राजस्व जेनरेट करने की है। जैसा कि चार्ज लेने के साथ ही उन्होंने सभी को बता दिया था कि अवैध निर्माणों को रोकने के साथ साथ सबसे ज्यादा ध्यान रेवेन्यू जेनरेट पर भी दिया जाना चाहिए।
कुछ चर्चित अवैध कालोनियों में ये हैं शुमार:
महानगर क्षेत्र में जिन कालोनियों पर सीधे गाज की बात कही जा रही है उनमें अवैध कालोनियों के लिए सबसे ज्यादा बदनाम किला रोड का इलाका है। यहां खुद को भाजपा नेता बताने वाले कोई प्रजापति ने अवैध कालोनी काटी है। इनके अलावा सुभाष उपाध्यक्ष व पवित्र मित्रा की भी अवैध कालोनी यहां मौजूद है। दिल्ली रोड मोहद्दीनपुर के समीप मैट्रो प्लाजा में भोजनालय चलाने वाले भाजपा नेता की अवैध कालोनी, उदय सिटी में दौराला के भूमाफिया की अवैध कालोनी हालांकि यह पुरानी है। ऐसी ही कई अवैध कालोनियां रडार पर हैं।