कैंट बोर्ड: टूट ना जाए सपना

कैंट बोर्ड: नहीं होंगे चुनाव
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कैंट बोर्ड: टूट ना जाए सपना, छावनी परिषद मेरठ के प्रस्तावित बोर्ड का हिस्सा मसलन मैंबर बनने का कई मठाधीशों का सपना इस बार टूट सकता है। कई निवर्तमान मैंबर ऐसे हैं जो एक बार फिर बोर्ड के मैंबर बनने के लिए मैदान में उतरकर दिन रात कसरत में लगे हैं। इसके लिए जमकर पैसा भी बहाया जा रहा है। लेकिन जो हालात नजर आ रहे हैं उसके चलते एक बार फिर से बोर्ड का मैंबर बनने के सपने पर ग्रहण लग सकता है। जानकार इसके पीछे ठोस साक्ष्य भी दे रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसा इसलिए,  क्योंकि जिनको कैंट बोर्ड प्रशासन ने छावनी अधिनियन की धारा के 34 के नोटिस थमा दिए हैं उनका चुनाव लड़ा इस बार संदिग्ध है। जानकारों का यह भी कहना है कि अवैध निर्माण या अवैध कब्जे सरीखे मामलों में कैंट बोर्ड प्रशासन की ओर से दिए जाने वाले 34 के  नोटिस के बाद किसी के लिए भी चुनाव लड़ना मुश्किल होता है। दरअसल नामांकन की जांच के दौरान ऐसे नामांकन पत्र स्वत: ही निरस्त हो जाएंगे। नियम तो यही कहता है लेकिन इसके बाद भी किसी ने जुगाड़ कर नामांकन निरस्त होने से बचा भी लिया तो ऐसे मामलों को लेकर कुछ लोग कोर्ट में चुनौती देने को पहले ही तैयार बैठे हैं। जिसके चलते एक बार फिर से कैंट बोर्ड का मैंबर बनने का सपना टूटना तय है। ऐसे मामलों में जिनको अदालत में चुनौती देने की बात सुनने में आ रही है, दोहरी मार की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। इसी के चलते कहा जा रहा है कि आठ में से यदि वार्ड  तीन की बीना वाधवा निवर्तमान उपाध्यक्ष को अपवाद मान लिया जाए तो ऐसा कोई नजर नहीं आ रहा है जिसके बारे में पक्की तौर पर कहा जा सके कि एक बार फिर कैंट बोर्ड के मैंबर होंगे। चुनाव लड़ने और एक बार फिर से बोर्ड के मैंबर बनने के सपने को बोर्ड प्रशासन की धारा 34 के तहत दिए गए नोटिस गले की फांस बन सकते हैं।

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