बी आई लाइन बंगला-45 में एक्शन कब

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बी आई लाइन बंगला-45 में एक्शन कब, मेरठ छावनी के बीआई लाइन स्थित बंगला नंबर 45 में रहने वालों द्वारा सेना के हित को ध्यान में रखते हुए बंगला सरेंडर कर दिए जाने के बाद अब रिज्यूम यानि बंगले पर कार्रवाई की गेंद सब एरिया मुख्यालय के उच्च पदस्थ अफसरों के पाले में पहुंच गयी है। सीईओ कैंट या फिर डीईओ सरीखे अफसरों का इसको लेकर की जाने वाली कार्रवाई से कोई सरोकार नहीं रह गया है। उल्लेखनीय है कि इस बंगले का एक बड़ा हिस्सा पहले से ही आर्मी की हायरिंग में है। दरअसल इस बंगले में राजीव कुमार पुत्र नंद किशोर गुप्ता निवासी 214-ए गंज बाजार सदर का कब्जा था। यहां उनका परिवार रहता था। गाेवंश की सेवा भी यहां की जा रही थी। जानकारों का कहना है कि येन-केन-प्रकारेण इस बंगले पर वर्तमान में कैंट बोर्ड के वार्ड पांच से पूर्व मैंबर अनिल जैन काबिज हैं। विगत 15 दिसंबर 2022 को राष्ट्रपति को भेजे गए एक पत्र जिसकी कापी राजीव कुमार ने सब एरिया कमांडर के अलावा रक्षा मंत्री व रक्षा सचिव को भी प्रेषित की है, में कहा है कि वह स्वेच्छा से ओल्ड ग्रांट के इस बंगले को भारत सरकार को सरेंडर कर रहे हैं। इस पत्र में उन्होंने पूर्व मैंबर पर अवैध रूप से अपने नाम मुटेशन कराने की कोशिश व  संपत्ति को खुर्दबुर्द कराने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि मुटेशन को लेकर की जा रही कार्रवाई को लेकर आगह करते हुए एक पत्र विगत 11 जुलाई 2022 को उन्होंने डीईओ कार्यालय भी भेजा था। माना जा रहा कि उसके बाद ही डीईओ कार्यालय द्वारा इस बंगले को लेकर एक नोटिस भी बंगले पर चस्पा कर दिया गया था। राजीव कुमार द्वारा बंगला सरेंडर कर दिए जाने का पत्र राष्ट्रपति व रक्षा मंत्री भारत सरकार को भेजे जाने के बाद इसको खाली करा कर वहां सेना का कब्जा लेने की कार्रवाई सीधे सीधे सब एरिया कमांडर के अधिकार क्षेत्र में है। मसलन सब एरिया कमांडर सेना के हितार्थ इस बंगले पर कब्जा लेने के लिए अधिकृत हैं। लेकिन इसको लेकर की जा रही देरी पर सवाल भी उठ रहे हैं। कि ऐसा क्या कारण है कि राजीव कुमार द्वारा सरेंडर किए जाने के बाद भी कब्जा लेने की कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसको लेकर मंशा पर भी सवाल उठ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर यह भी सुनने में आया है कि राजीव कुमार के लिए इसमें पूर्व मैंबर को मौका देना घाटे का साैदा साबित हुआ। नौबत यहां तक आ गयी कि राजीव कुमार के लिए  ही बंगले के दरवाजे तक बंद कर दिए गए। उनके गोवंश भी छीन लिए गए। इस संबंध में पूर्व मैंबर कैंट बोर्ड अनिल जैन से जब संपर्क किया गया तो काल रिसीव नहीं की गयी।

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