बाल लीला का सुनाय प्रसंग, सरस्वती शिशु विद्या मंदिर ग्राउंड, गंगानगर, मेरठ में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से आयोजित श्रीमद भागवत कथा में संस्थान के संस्थापक एवं संचालक श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या भागवताचार्या महामनस्विनी विदुषी सुश्री पद्महस्ता भारती ने आज प्रभु की बाल-लीला व होली महोत्सव प्रसंग प्रस्तुत किए। कथा ज्ञान यज्ञ में मुख्य अतिथि पूर्व महापौर हरिकांत अहलूवालिया, विभाग सम्पर्क प्रमुख आर एस एस अरुण जिन्दल, जगदीश त्यागी सचिव डीपीएम कालिज मेरठ राकेश गुप्ता (बिल्डर) ने प्रज्वलित कर कथा ज्ञान यज्ञ का आरंभ कराया एवं एस ओ गंगा नगर दिनेश कुमार ने आज की कथा के संपन्न होने पर पूजा अर्चना की। डॉ. शुभा मालवीय, चिन्मय ग्रोवर, राकेश कुमार सिंह, कपिल शर्मा, गिरीश बंसल पारस गुप्ता, राजकुमार कौशल व अन्य श्रद्धालुगण उपस्थित रहे। साध्वी जी ने बताया कि इस संसार के मूढ़ बुद्धि लोग मुझे मनुष्य शरीर में देखकर साधारण मनुष्य समझ लेते हैं, पर वे मेरे परम भाव को नहीं जानते कि मैं ही सभी भूत प्राणियों का स्वामी हूँ, गोकुल की गलियों में दौड़ते हुए इस गोप बालक को देखकर कौन कह सकता है कि वे परमात्मा है। वन में अपनी पत्नी के खा जाने पर विलाप करते हुए वृक्षां व लताओं से अपनी पत्नी के समाचार पूछने वाले प्रभु राम को देखकर भला कौन कह सकता है कि यही परमात्मा हैं। परमात्मा की लीलाएं सदैव मनुष्य के लिए रहस्य बनी रहीं हैं, क्योंकि वह परमात्मा को अपनी बुद्धि के द्वारा समझना चाहता है, जो संभव नहीं। इसलिए रावण, कंस, दुर्योधन जैसे लोग भी प्रभु की लीलाओं से धोखा खा गए। स्वामी नरेशानंद जी ने अपने विचारों में संस्थान के बारे में बताया। इस मौके पर साध्वी सुश्री पदम्प्रभा भारती जी, साध्वी सुश्री अभिनंदना भारती जी, साध्वी सुश्री बोघ्या भारती जी, साध्वी सुश्री सुमन भारती जी व गुरुभाई गालैम जी। इन भजनों को ताल व लयबद्ध किया- साध्वी सुश्री शैलजा भारती जी, साध्वी सुश्री सम्पूर्णा भारती जी, साध्वी सुश्री उज्जैशा भारती जी, साध्वी सुश्री निधि भारती जी, साध्वी सुश्री वीणा भारती जो, साध्वी सुश्री ज्योति भारती जी, साध्वी सुश्री अभया भारती जी और स्वामी करूणेशानंद जी व गुरुभाई पवन जी ने भी सहयोग किया।