आबूलेन बंगला नंबर-172 सीईओ साहब! रोक सको तो रोक लो

लैटर- अवैध निर्माणों पर हो कार्रवाई
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आबूलेन बंगला नंबर-172 सीईओ साहब! रोक सको तो रोक लो, आबूलेन बंगला नंबर-172 सीईओ साहब! रोक सको तो रोक लो, मेरठ का दिल कहलाने वाले आबूलेन स्थित बंगला नंबर 172 के एक हिस्से में मौजूद पीपीपी कान्फ्रेस हाल का सौदा हो गया है और इसमें बड़े अवैध निर्माण की तैयारियां इन दिनों चल रही हैं। यह बात गले नहीं उतर सकती कि इस बंगले से चंद कदम की दूरी पर स्थित छावनी परिषद कार्यालय जहां सीईओ ज्योति कुमार तथा उनके कार्यालय में मौजूद अमले को जानकारी न हो यह बात गले नहीं उतर सकती, इसलिए कहना पड़ रहा है कि आबूलेन बंगला नंबर-172 सीईओ साहब! रोक सको तो रोक लो। यह बात इस बंगले में अवैध निर्माण की तैयारियों को लेकर कही गयी है।

पीपीपी कान्फ्रेंस हाल का किया है सौदा

आबूलेन बंगला नंबर-172 में तो यूं तो दास मोटर्स से लेकर जैन स्टील का कारखाना, विनीत डोसा और पीपीपी कान्फ्रेस हाल और कई अन्य अवैध निर्माण अब तक कराए जा चुके हैं। इस बंगले को खरीदने वाले भूमाफियाओं व उनके दूसरे सफेदपोश साझीदार जो पहले से अवैध निर्माणों के मामलों को लेकर खासे बदनाम हैं के लिए यदि सब कुछ ठीकठाक रहा तो इस बंगले को अवैध निर्माण के बाद एक नयी पहचान मिलने वाली है। इस नयी पहचान को देने के लिए ही इस बंगले में युद्ध स्तर पर अवैध निर्माण कराने की तैयारी चल रही है। पीपीपी कान्फ्रेस हाल का जो पुराना स्वरूप नजर आता था, उसको वजूद खत्म कर दिया गया है। सूत्रों ने जानकारी दी कि आबूलेन के बंगला नंबर-182 के जय प्लाजा  की तर्ज पर इस बंगला-172 में भी वैसा ही कोई अवैध कांप्लैक्स भी बनाया जा सकता है।

ऊंची-ऊंची दीवारों के पीछे ऐसा क्या

आबूलेन बंगला नंबर-172 जहां पहले कभी पीपीपी कान्फ्रेंस हाल हुआ करता था वहां वर्तमान में ऐसा क्या चल रहा है जिस पर पर्दा डालने के लिए मजबूत ऊंची-ऊंची दीवारों करा दी गयी हैं। भीतर के स्टेटस की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहले से लोहे के जो शटर लगे थे वो भी नहीं हटाए गए हैं। उन शटर के पीछे भी मजबूत ऊंची-ऊंची दीवारें बना दी गयी हैं। पीपीपी कान्फ्रेंस हाल की नाले वाले रास्ते पर भी मजबूत ऊंची दीवारें खड़ी कर दी गयी हैं। जो हालात नजर आ रहे हैं उसके चलते ऐसा लगता है कि वहां पर परिंदा भी पर न मार सके इतने पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पीपीपी कान्फ्रेंस हाल जो अब अतीत बन चुका है उसकी ऊंची दीवारों के पीछे कुछ तो ऐसा है जिसकी पर्दादारी है।

क्या संज्ञान लेगा कैंट बोर्ड

मेरठ कैंट स्थित ओल्ड ग्रांट के दूसरे बंगलों में किए गए अवैध निर्माणों की तर्ज पर आबूलेन बंगला-172 में अवैध निर्माण के नाम पर जो कुछ तैयारियां नजर आ रही हैं, उसके बाद यह सवाल जरूर पूछा जाएगा कि क्या सीईओ कैंट इस बंगले में चल रही अवैध निर्माण की तैयारियों का संज्ञान लेंगे या फिर जय प्लाजा और आबूलेन इलाके में दूसरे अवैध निर्माणों पर कार्रवाई के नाम बंगला-172 में भी केवल फाइलों में ही कैंट बोर्ड के अफसर दो कदम आगे और चारी कदम पीछे होते रहेंगे। हालांकि देर से ही सही इस बात का भी उत्तर मिल ही जाएगा।

आबूलेन-172 का इतिहास

आबूलेन स्थित बंगला-172 के यदि इतिहास की बात की जाए तो जीएलआर में यह बंगला किसी मुखर्जी के नाम दर्ज था। बाद में साल 1960 के दशक में इस बंगले के कई परिवार रहा करते थे। साल 1960-62 के आसपास इस बंगले के एक बड़े हिस्से को बालकिशन दास ने खरीद कर कार शोरूम बनाने के लिए अवैध निर्माण कर लिया। दास मोटर्स के नाम से खोला गया कार शोरूम साल 1968-69 में वजूद में आया। तब ये यह कायम है। दास मोटर्स के बाद इसके बंगले के एक हिस्से को 1965-86 में प्रेम प्रकाश नाम के शख्स ने खरीद लिए। जिस पीपीपी हाल का आज वजूद खत्म कर दिया गया है, वह पीपीपी हाल तब प्रेम प्रकाश के नाम पर ही इजाद किया गया था। पीपीपी हाल के लिए इस बंगले के दूसरे हिस्से का सौदा  साल 1985-86 में हुआ था। इसके बाद इस बंगले में बाकि हिस्से भी बिकते चले गए और वहां दुकानें व शोरूम बनते चले गए।

कसूरवार कैंट बोर्ड की लचर पैरवी

आबूलेन बंगला नंबर-172  में अब तक जितने भी अवैध निर्माण हुए हैं और उनके खिलाफ मसलन ध्वस्त करने के लिए जो कार्रवाई की जानी चाहिए थी और नहीं की गयी  जानकार उसके लिए सीधे कैंट बोर्ड की लचर पैरवी को जिम्मेदार ठहराते हैं। सूत्रों ने जानकारी दी है कि कार शोरूम दस मोटर्स के खिलाफ जब कैंट बोर्ड के तत्कालीन प्रशासन ने कार्रवाई की तो उस कार्रवाई के खिलाफ अवैध निर्माण करने वाले हाईकोर्ट जा पहुंचे। उनके हाईकोर्ट जाने के बाद कैंट बोर्ड के स्तर से यदि मजबूती से कोर्ट में पैरवी की गयी होती तो आज दास मोटर्स अवैध निर्माणों के खिलाफ कैंट बोर्ड के दावों की पोल खोलता ना नजर आ रहा होता। जो स्थिति आज दास मोटर्स के अवैध निर्माण की है वहीं स्थित पीपीपी कान्फ्रेस हाल के अवैध निर्माण की भी हुई और जिस अवैध निर्माण की अब तैयारी की बात सुनने में आ रही है, कुछ वैसी ही स्थित आने वाले समय में उस प्रस्तावित अवैध निर्माण की होगी इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।

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