अनाड़ी हाथों में पावर स्टेशन,
अनाड़ी हाथों में पावर स्टेशन-बन रहे मौत का सबब
मेरठ। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के आदेशों के इतर बजाए आठ घंटे की ड्यूटी के एक तो चौबीस-चौबीस घंटे ड्यूटी और दूसरे नॉन आईटीआई यानि अनाड़ी हाथों में बिजलीघर तो हादसे तो होंगे ही। अनाड़ी हाथों बिजलीघरों की जिम्मेदारियों को दे दिया जाना आए दिन स्टाफ व दूसरे लोगों खासतौर से किसानों की मौत का कारण बन रहा है। यूपी पावर कारपोरेशन के आंकड़ों पर यदि गौर करें तो प्रदेश में हर माह करीब सौ मौतें इसी प्रकार की लापरवाही मसलन अनाड़ी हाथों में बिजलीघरों को सौंप दिए जाने की वजह से हो रही है।
जो होना चाहिए वो नहीं, जो नहीं होना चाहिए वो रहा हो
लाइनों पर आए दिन होने वाली मौताें व दूसरे हादसों के पीछे केवल पीवीवीएनएल मेरठ ही नहीं बल्कि सूबे में जितने भी डिस्कॉम हैं तथा उनको लेकर नीति का निर्धारण करने वाले इन हादसों के लिए जिम्मेदार बताए जा रहे हैं। पीवीवीएनएल के तमाम कर्मचारी नेताओं का मानना है कि गलत नीतियों के चलते ही लाइन पर काम करने के दौरान होने वाले हादसे हो रहे हैं। दरअसल होना तो यह चाहिए कि केवल आईटीआई होल्डर को ही बिजलीघर की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। मेरठ की यदि बात की जाए तो जनपद में कुल 160 छोटे बड़े बिजलीघर हैं। इन बिजलीघरों के संचालन का काम केवल वहीं कर सकता है जो इसकी तकनीकि जानकारी रखता हो और ऐसे आईटीआई होल्डर को ही बिजलीघर के रखरखाव मसनल एसएसओ यानि सब स्टेशन ऑपरेटर की जिम्मेदारी देनी चाहिए। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है, यही वजह मौतों के आंकड़ों के लगातार बढ़ने का बड़ा कारण है। केवल स्टाफ ही मौत सरीखे हादसों का शिकार नहीं हो रहे हैं, बल्कि आम आदमी खासतौर से किसान भी ऐसे ही हादसों का शिकार हो रहे हैं। करीब दो माह भावनपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में इसी प्रकार के लाइन पर हुए हादसे में किसान की मौत हो गयी थी। उस मौत से कोई सबक नहीं सीखा गया। इससे पहले फाजलपुर इलाके में लाइन पर काम कर रहे सदर क्षेत्र निवासी एक संविदा कर्मचारी की मौत हो गयी थी। चार दिन पहले ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र के माधवपुरम बिजलीघर का कर्मचारी लाइन पर काम करते हुए अचानक लाइन छोड़ दिए जाने की वजह से बुरी तरह झुलस गया। उसको एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
ये है हादसों की वजह
हादसों की वजह की यदि बात की जाए तो उसके लिए सिस्टम चलाने वालों की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। एसएसओ यानि सब स्टेशन ऑपरेटर के पद पर नॉन आईटीआई की नियुक्तियां किया जाना जबकि आईटीआई होल्डर टीजी-टू की इस पद पर अनदेखी आमतौर पर कर दी जाती है। खामियाें की यदि बात करें तो केवल नॉन आईटीआई पूर्व सैनिकों को बिजलीघरों की जिम्मेदारी नहीं सौंपी जा रही है बल्कि टीजी-टू से करीब दोगुनी सेलरी लगभग तीस हजार प्रति माह पर उनको रखा जा रहा है, जबकि आईटीआई होल्डर टीजी-टू नाम न छापे जाने की शर्त पर बताते हैं कि वो मात्र बीस से पच्चीस हजार प्रतिमाह के वेतन पर बिजलीघर की जिम्मेदारी उठाने को तैयार हैं। साथ ही यह भी वादा सरकार से करेंगे कि यदि बीस से पच्चीस हजार तक की सेलरी देते हैं तो कभी भी नियमितिकरण या फिर हड़ताल जैसी कोई बात नहीं की जाएगी।
सीएमडी के आदेश ठोकर पर
बीते सप्ताह यूपी पावर कारपाेरेशन के सीएमडी डा. आशीष गोयल (आईएएस ) पीवीवीएनएल आए थे। यहां उन्होंने दो दिन तक लगातार समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने एक आदेश जारी किया था साथ ही पीवीवीएनएल प्रशासन को निर्देशित किया था कि कोई भी आठ घंटे से ज्यादा ड्यूटी ना करे। क्योंकि हादसों के लिए लगातार लंबी डयूटी जिम्मेदार होती है। सीएमडी की इस बात में सच्चाई भी है, लेकिन उनके आदेशों का कितना पालन किया जाएगा यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन अभी तो जो पता चला है वो यह कि सीएमडी के आदेशों का असर अभी जनपद के किसी बिजलीघर खासतौर पर एसएसओ पर नजर नहीं आ रहा है।
चौबीस घंटे ड्यूटी-तीन दिन घर पर
आरोप है कि सैनिक कल्याण निगम की ओर से जिन पूर्व सैनिकों को पीवीवीएनएल या प्रदेश के दूसरे डिस्कॉम में नौकरी के लिए भेजा जा रहा है और उन्हें एसएसओ बनाकर बिजलीघर सौंप दिए गए हैं, उनमें से ऐसे पूर्व सैनिक एसएसओ की बड़ी संख्या है जो चौबीस घंटे ड्यूटी करते हैं और तीन दिन घर पर बैठकर चौथे दिन फिर काम पर आते हैं, जबकि एग्रीमेंटमें आठ घंटे की डयूटी का उल्लेख होने की जानकारी सूत्रों ने दी है। हालांकि अधिकृत रूप से इसकी पुष्टि तो जांच के बाद ही अफसर कर सकते हैंं।
अनाड़ी हाथ जान से खिलवाड़
नॉन आईटीआई जिन पूर्व सैनिकों की एसएसओ के पद पर तैनाती की गयी है उनको बिजलीघर सौंपकर केवल जान से खिलवाड़ करने का काम किया जा रहा है। इस पर आपत्ति करने वालों का नाम न छापे जाने की शर्त पर कहना है कि नॉन आईटीआई को नहीं पता होता कि जब लाइन पर काम के दौरान शट डाउन लिया जाता है तो वहां लाइन चालू नहीं की जानी चाहिए जो शट डाउन लेकर जाता है वही आकर लाइन चालू करता है या फिर काल कर स्टेशन पर लाइन चालू करने को कहता है तब लाइन चालू की जाती है, लेकिन पिछले दिनों हुए हादसे बता रहे हैं कि गंभीर लापरवाहियां बरती जा रही हैं। इसके अलावा तमाम दूसरे तकनीकि काम जिनमें कितनी देर सप्लाई बाधित हुई, कितनी देर शट डाउन लिया गया। कहां फीडर में तकनीकि खामियां आयीं, कहां लोड कम आया और कहां लोड अधिक हो गया, यह तकनीकि चीजें केवल आईटीआई होल्डर ही बेहतर तरीके से मैनेज कर सकता है। इसलिए बेहतर है कि आईटीआई होल्डर को ही एसएसओ बनाया जाए। पूर्व सैनिकों की जहां तक बात है तो उन्हें बिजलीघर में सिक्योरिटी पोस्ट दी जाए।