बढ़ाना है रेवेन्यू तो दरें करो कम, जीएसटी का कलेक्शन तभी बढ़ेगा जब दरें कम होंगी, अन्यथा नहीं। यह दो टूक मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसो. के महामंत्री विजय आनंद अग्रवाल ने जीएसटी कमिश्नर को बता दिया। दरअसल गुरूवार को मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल अध्यक्ष प्रदीप कुमार अग्रवाल एवं महामंत्री विजयआनन्द अग्रवाल के नेतृत्व में आज प्रातः जीएसटी कमिश्नर ग्रेड वन एचएन सिंह से उनके कार्यलय में मिला।
बातचीत के दौरान जीएसटी ग्रेड वन कमिश्नर द्वारा जब यह पूछा गया की पिछले 3 महीनों में रेवेन्यू में काफी गिरावट आई है तो, इस पर उपस्थित सराफा व्यापारियों ने बताया कि एक तो जीएसटी की दरें 3% सोने चांदी की फेस वैल्यू पर बहुत अधिक है। सोना व चांदी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा का एक स्वरूप है। मजदूरी कार्य पर जीएसटी ली जाए उचित है, लेकिन सोना और चांदी जो के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में संपूर्ण विश्व में स्थापित है उन पर केवल .5% जीएसटी का प्रावधान ही होना चाहिए। दूसरा सोने पर आयात शुल्क जो कि 15% लगाया गया है सर्वथा अनुचित है, इसको घटाकर 5% किया जाना चाहिए। ताकि सोना स्मगलिंग द्वारा भारत में ना आए। अगर सोना बिल पर्चे से नम्बर एक में भारत में आएगा तो, बिल पर्चे से ही बिकेगा। लेकिन 15% इंपोर्ट ड्यूटी होने की वजह से सोना समंगलरो द्वारा पश्चिम बंगाल अथवा नेपाल बॉर्डर से स्मगलिंग किया जा रहा है। इसमें सरकारी विभाग डीआरआई और बॉर्डर पर सुरक्षा की चेकिंग में लगे अधिकारी भी लालच वश सम्मिलित है। इसके अलावा व्यापारी लंबे समय से शास्त्रीनगर स्थित नई सड़क पर नगर निगम के स्वामित्व वाली भूमि भूखंड 6041 पर ज्वेलरी पार्क की स्थापना एवं फैक्ट्री प्लेटेड कॉन्प्लेक्स की स्थापना की मांग कर रहे हैं। सुरक्षा की दृष्टि से और एप्रोच की दृष्टि से यह भूमि मेरठ में ज्वेलरी उद्योग व्यवसाय के लिए सबसे उपयुक्त भूमि है। अगर इस पर ज्वैलरी पार्क और फैक्ट्री प्लेटेड कंपलेक्स का निर्माण होता है तो हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। और सरकार का रिवेन्यू 300 करोड़ रुपए से ज्यादा का सर्राफा व्यापारी जनरेट कर कर देंगे। सर्राफा व्यापारियों ने मांग की कि, जिस तरह से उद्योग बंधु, व्यापार बंधु, किसान बंधु, आदि की प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सभा उनकी समस्याओं का हल होता है उसी प्रकार से सर्राफा व्यापार बंधु की सभा प्रशासनिक और शासन के अधिकारियों के साथ हर महा सभा आयोजित होनी चाहिए। क्योंकि सराफा व्यापारियों को सुरक्षा कारणों से या व्यापारिक गतिविधियों को सार्वजनिक ना करने की वजह से सबके साथ बैठकर अपनी बात रखने में संकोच होता है। इस अवसर पर पीएमएवाई के अंतर्गत उसकी आइडेंटी/आधार कार्ड मांगने का कारण भी सर्राफा व्यापार के पिछड़ने को एक बड़ी वजह बताया गया। सराफा बाजार, कागजी बाजार, छता अली राजा, नील की गली, कच्ची सराय, बाजार बजाजा आंशिक, ठठेरवाड़ा आंशिक, पत्थर वाला आंशिक, शीश महल, वैली बाजार, लाला का बाजार, आदि को सघन बाजार के रूप में मान्यता ना मिलना भी प्रमुख कारण है। जिसकी वजह से सर्राफा व्यापारी अपनी अचल संपत्ति रहन रख ऋण नहीं ले पाते और अपने व्यापार को अधिक नहीं बढ़ा सकते। सर्राफा व्यापारी सुयेश रस्तौगी ने कहा की आज आप एक करोड़ रुपए की गाड़ी लेने जाइए तो 2 घंटे में लोन की समस्त कार्यवाही पूरी कर गाड़ी आपके सुपुर्द कर दी जाती है। लेकिन अगर आप सर्राफा कारोबारी से आभूषण लेने जाते हैं तो, कोई इस तरह की फाइनेंस की व्यवस्था नहीं है। अगर सर्राफा व्यापारी किसी बैंक से फाइनेंस प्राप्त कर अपने व्यापार को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो बैंक नियमों का हवाला देते हुए फाइनेंस नहीं करते। सराफा व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिए अगर कोई एग्जीबिशन लगाई जाए तो, एग्जीबिशन हॉल की कोई व्यवस्था नहीं है। कॉन्फ्रेंस हॉल की व्यवस्था नहीं है, कोई ऑडिटोरियम नहीं है, कोई राउंड टेबल मीटिंग नहीं हो सकती, कोई प्रोजेक्टर के माध्यम से बड़ी कॉन्फ्रेंस या एजुकेशन हेतु शिक्षाप्रद कार्य नहीं हो सकता। अगर इन सब व्यवस्था हो को मेरठ में क्रियान्वयन में लाया जाए तो मेरठ का सर्राफा भारत की इकोनामी में बहुत बड़ा योगदान दे सकता है ऐसा मेरठ के हर सराफा व्यापारी का विश्वास है। इस अवसर पर राजेंद्र जैन, प्रदीप अग्रवाल, आकाश मांगलिक, मनोज गर्ग, राकेश जैन, अनिल जैन बंटी, बलराम जौहरी, दीपक जौहरी, दीपक कंसल, अशोक रस्तोगी, कोमल वर्मा, सुयश रस्तोगी, अनुराग रस्तोगी, आदि उपस्थित थे।