डीएन यादव की वापसी- राहत की सांस, डीजीसी मिनिस्ट्री आफ डिफैंस के निर्देश पर मेरठ छावनी आए डायरेक्टर मध्य कमान लखनऊ डीएन यादव की गुरूवार दोपहर को वापसी हो गई हैं। डीएन यादव के इस दौरे ने कैंट बोर्ड ही नहीं बल्कि तमाम उन लोगों में भी तूफान उठा रहा, जिन्होंने अवैध निर्माण किए हुए हैं। वो अपने करीबी कैट अफसरों से पल-पल का अपडेट लेते रहे, साथ ही यह भी पूछते रहे कि कहीं बुलडोजर तो नहीं आ रहा है। लेकिन इस दौरे के साइड इफैक्ट या प्रभाव की यदि बात की जाए तो रडार पर कैंट बोर्ड का सेनेट्री व इंजीनियरिंग सेक्शन रहा। इनमें भी कागजी कार्रवाई का सामना सेनेट्री सेक्शन को अधिक करना पड़ा। इस सेक्शन के हेड और एक इंस्पेक्टर को सोकाज थमा दिए गए। कंप्यूटर सील कर दिया, कागजी कार्रवाई के नाम पर प्रवास के दौरान इंजीनियरिंग सेक्शन को बचाने का काम उसके कवच ने किया। हालांकि अभी किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी क्योंकि शिकायकर्ताओं ने जो साक्ष्य सौेपे हैं उनमें इंजीनियरिंग सेक्शन ही सबके रडार पर रहा। सुनने मे आया है कि जांच और मौके पर निरीक्षण के दौरान कई बार डीएन यादव खासे नाराज दिखाई दिए। सबसे ज्यादा नाराजगी उन्होंने मछेरान जहां अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने खुद मौके पर मौजूद रहकर अवैध कब्जे हटवाए थे। अच्छी खासी रकम खर्च कर कैंट बोर्ड ने वहां बच्चाे के लिए पार्क बनवा दिया था, वहां एक बार फिर मीट मार्केट देखकर उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया सुना जाता है। ऐसा ही कुछ 22बी के ट्रेड लाइसेंस और सरकुल रोड स्थित वाइट हाउस रेस्टोरेंट एंड बार के अवैध निर्माण तथा सदर बाजार स्थित जौली शापिंग सेंटर के अवैध निर्माणाें को लेकर भी बताया जाता है। दरअसल जौली सेंटर के पीछे तो कुछ भाजपाई पड़े बताए जाते हैं। काम निबटाने के बाद भले ही डीएन यादव वापस लौट गए हों, लेकिन इसके साइड इफैक्ट या कहें तो कैंट अफसर भी मान रहे हैं कि कुछ भी ठीक नहीं है। किस की राहत और किसे आफत शीघ्र ही साफ हो जाएगा।