भोला रोड पीपली में भी अवैध कालोनी, मेरठ विकास प्राधिकरण के कुछ भ्रष्ट जोनल व अवर अभियंताओं के छत्रछाया में बिल्डर बने भूमाफियाओं का अवैध कालोनी का धंधा खूब फलफूल रहा है। मेरठ का स्मार्ट सिटी बनाने का दम भरने वाले विकास प्राधिकरण के उच्च पदस्थ अफसरों तक या तो काली कमाई से काटी जा रही अवैध कालोनियो के नाम पर हो रही काली कमाई में हिस्सा मिल रहा है या फिर यह मान लिया जाए कि सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ के अवैध कालोनियों के खिलाफ बुलडोजर अभियान की विकास प्राधिकरण के कुछ ऐसे ही अफसरों ने कमर तोड़कर रख दी है। जिसकी वजह से अवैध कालोनियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही है। मेरठ महानगर तेजी से अवैध कालोनियों का नगर बनता जा रहा है। अब भोला रोड स्थित पीपली या पीपला गांव में अवैध कालोनी: टीपीनगर से सटे बागपत रोड के भोला रोड स्थित पीपील या पीपला गांव जो प्राधिकरण के जोन सी-वन में आता है, के भीतर कौने पर इन दिनों अवैध कालोनी का काम तेजी से चल रहा है। गांव वालों ने नाम न छापे जाने की शर्त पर बताया कि इस कालोनी को अक्सर चर्चा में रहने वाले व खुद के बड़े केंद्रीय व योगी सरकार के मंत्रियों व क्षेत्रीय संगठन के पदाधिकारियों से कनेक्शन रखने वाले कोई बोबी शर्मा व तरूण नाम का शख्स मिलकर काट रहे हैं। जब गांव वालों से पूछा कि बोबी शर्मा व तरूण कौन है तो उन्होंने बताया कि भाजपा का झंड़ा लगाए लग्जरी गाड़ियों में यहां कुछ लोग आते हैं। वो लोग बार-बारा बोबी शर्मा कहकर एक शख्स को संबोधित करते हैं, जबकि जिस शख्स को बोबी शर्मा बोला जाता है वह किसी तरूण नाम के शख्स का नाम लेता है।सत्ता व संगठन काे कर रहे बदनाम: बोबी शर्मा या तरूण नाम के जिस शख्स द्वारा अवैध कालोनी काटे जाने की जानकारी गांव के लोगों से मिली, यदि उनकी बात को सही मान लिय जाए तो सवाल तो पूछा जाएगा कि सूबे के ईमानदार मुख्यमंत्री जो खुद काली कमाई से बनने वाली अवैध कालोनियों के खिलाफ बुलडोजर की सख्ती से कार्रवाई की पैरवी करते हैं। अफसरों को आदेशित करते हैं, ऐसे ईमानदार सीएम के शासन में किसमें इतनी हिम्मत पैदा हो गई हो संगठनव सरकार को अवैध कालोनी के नाम पर बदनाम करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। वहीं जानकारों का कहना है कि रियल एस्टेट खासतौर से अवैध कालोनी काटने वालों की यदि बात की जाए तो इनको संगठन या उसके सिद्धांतों से कोई सरोकार नहीं होता। इनका सीधा सा सरोकार काली कमाई को ठिकाने लगाना होता है। जिस भी पार्टी की सरकार होती है, ऐसे तत्व उसी का झंड़ा उठा लेते हैं। इसमें भी कोई दो राय नहीं कि इनके तगड़े कनेक्शन होते हैं। इनके कनेक्शन फेरिस्त में अफसर, सत्ता से जुड़े लोग, उठने वाली आवाजों को बंद करने के लिए माफिया सभी शामिल होत हैं। कृषि भूमि निशाने पर: अवैध कालोनी काटने वाले ऐसे भूमाफियाओं के रडार पर अक्सर कृषि भूमि ही होती है। ये लोग भोले भाले किसानों से बीधों में खेत खरीद लेते हैं। एग्रीमेंट के नाम पर थोड़ी बहुत रकम भी किसान को दे दी जाती है। उसके बाद शुरू होता है खेतों को अवैध कालोनी में कनवर्ट करने का काम। वहां सड़कें बनाकर बिजली के खंबे लगा दिए जाते हैं। भले ही बिजली का कनेक्शन चालू न हो, ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि जो लोग इनके झांसे में फंसकर अवैध कालोनियों में प्लाट या घर खरीदने आते हैं उनसे डीलिंग की जा सके। सवाल एमडीए अफसरों पर: अवैध कालोनी काटने वाले इस काले धंधे में हैं, यह बात समझ में आती है, लेकिन सवाल मेरठ विकास प्राधिकरण के उन अफसरों पर है जो कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। तीन बीधे के खेत में यदि कोई अवैध कालोनी काटता है, उसकी खबर किसी को न लगे इस बात का यकीन किया जाना मुश्किल है। जोनल व जेई नहीं करते काल रिसीव: अवैध कालोनी को लेकर यदि जोन के जाेनल अरूण कुमार व अवर अभियंता उमा शंकर से पूछा जाता है तो वो काल ही रिसीव नहीं करते।