तेज आवाज से बचें: डा. आलोक

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तेज आवाज से बचें: डा. आलोक, मेरठ परीक्षितगढ़ इन दिनों शादियों का मौसम चल रहा है और बिना बैंडबाजा व साउंड के शादी समारोह अधूरा रहता है, लेकिन साउंड की ज्यादा तेज आवाज आपके कानों की सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है। अमूमन 60 डेसिबल साउंड की आवाज सामान्य श्रेणी में रहती है, लेकिन जैसे-जैसे यह बढ़ने लगती है, इंसान के कानों को उतना ही नुकसान पहुंचाने की स्थिति पैदा होने लगती है। विशेषज्ञों का कहना है कि तेज आवाज में सड़कों पर बजने वाले डीजे के साउंड की आवृत्ति जब 120 डेसिबल से उपर पहुंच जाती है तो इसके गंभीर परिणाम सामने आने का खतरा पैदा हो जाता है। आवाज को मापने का जरिया डेसिबल होता है, यदि कोई भी साउंड सिस्टम बजते समय उससे निकलने वाली आवाज की आवृति 60 डेसिबल तक हो तो यह सामान्य बताई जाती है। लेकिन जैसे-जैसे आवृति बढ़ने लगती है। तो साउंड बॉक्स के सबसे नजदीक रहने वाले इंसानों पर इसका सीधा असर पड़ने लगता है। इसके साथ ही 100 डेसिबल तक ध्वनी की आवृति होने तक इंसानी शरीर इसे सहन कर सकता है लेकिन जब यह 100 से ज्यादा पहुंच जाती है तो इसके गंभीर परिणाम सामने आनें लगते हैं।  तेज आवाज में गानें सुनने का असर तुरंत ही सामनें नहीं आता। लेकिन जितनी देर तक तेज आवाज में रहा जाए उसके परिणाम उतनी ही जल्दी सामनें आनें लगते हैं। उदाहरण के लिए 120 डेसीबल आवाज को यदि दो घंटे तक सुना जाए तो उसके परिणाम एक साल बाद ही सामनें आनें लगते है। वहीं जितना समय कम होता जाएगा उतना ही असर देर से शुरू होने के चांस रहते हैं।  समारोहों में बजने वाला तेज आवाज का साउंड सिस्टम कानों की सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है। यह निर्भर करता है कि कितनी देर तक उंची आवाज में गानें सुने गए। हालांकि इसका असर तुरंत नजर नहीं आता, लेकिन कुछ समय बाद यह अपना असर जरूर दिखाता है। डा.आलोक कुमार नायक ईएनटी सीएचसी परीक्षितगढ़

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