जवानी में दिल का कातिल कौन

जवानी में दिल का कातिल कौन
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जवानी में दिल का कातिल कौन, हृदय रोग, जीवन शैली पर आधारित रोग है, इसलिए इसके कई रिस्क फैक्टर हैं, जैसे- कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, हाई ब्लड प्रेशर, अनियंत्रित ब्लड शुगर लेवल, डायबिटीज, मसालेदार भोजन का अधिक सेवन, तंबाकू का सेवन या धूम्रपान करना आदि प्रमुख हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि युवाओं में फ्राइड और फास्ट फूड के प्रति आकर्षण बहुत तेजी से बढ़ा है।

पिछले दो दशकों में भारत में दिल की रोगियों की संख्या करीब 40 से 45% तक बढ़ गई है भारत में यह दर 155.7 से बढ़कर 209.01 प्रति लाख की आबादी पर हो गई है। हृदय रोग, जीवन शैली पर आधारित रोग है, इसलिए इसके कई रिस्क फैक्टर हैं, जैसे-  कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, हाई ब्लड प्रेशर, अनियंत्रित ब्लड शुगर लेवल, डायबिटीज, मसालेदार भोजन का अधिक सेवन, तंबाकू का सेवन या धूम्रपान करना आदि प्रमुख हैं।

युवाओं में तेजी से बढ़ रहा हार्ट रिस्क

जवानी में दिल का कातिल कौन

आजकल युवाओं में फ्राइड और फास्ट फूड के प्रति आकर्षण बहुत तेजी से बढ़ा है. इसमें कई बार उपयोग किए गए तेल की मात्रा भी अधिक होती है. युवाओं में तेजी से बढ़ते कोलेस्ट्रॉल लेवल का एक कारण फ्राइड फूड का ज्यादा सेवन भी है. यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि युवाओं में जो हृदय रोग तेजी से बढ़  रहे हैं, उनमें यह रेडीमेड खाना भी एक मुख्य कारण है.

बच्चों में भी बढ़ रही हृदय संबंधी समस्याएं

बीते कुछ सालों में बच्चों में भी कोलेस्ट्रॉल लेवल तेजी से बढ़ा है. बच्चे आजकल घर में बना पौष्टिक खाना खाने के बजाय तले हुए खाद्य पदार्थ या जंक फूड खाना पसंद करते हैं. इसके अलावा बच्चे फिजिकल एक्टिविटी के बजाय घर में ही अपना ज्यादा समय सोशल मीडिया या ऑनलाइन गेम्स खेलने में बिताते हैं. इस कारण से बच्चों में कोलेस्ट्रॉल की समस्या देखी जाने लगी है. यदि बच्चे कोई भी फिजिकल एक्टिविटी नहीं करते हैं और रोज ही बाहर का खाना खाएंगे तो जल्द हार्ट संबंधी बीमारी के शिकार हो सकते हैं.

जीवनशैली में खामियों का परिणाम है दिल का रोग

हृदय रोग, दरअसल जीवन शैली में आने वाली खामियों के कारण होने वाला एक रोग है. अनियमित खानपान, अनिद्रा, तनाव और ज्यादातर समय मोबाइल पर बिताना आदि सभी हमारी खराब जीवनशैली का हिस्सा बन गए हैं. अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करके ही हम दिल की बीमारियों से खुद को बचा सकते हैं. जीवन शैली में बदलाव के लिए आप ये महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं.

ये लक्षण दिखें तो तत्काल कराएं दिल की जांच

हर व्यक्ति में हार्ट अटैक आने से पहले अलग-अलग लक्षण दिखाई दे सकते हैं. आमतौर पर अधिकांश लोगों में हार्ट अटैक आने के कुछ दिनों या कुछ घंटों पहले सीने में दर्द, जकड़न, कंधों में दर्द, शरीर में बहुत अधिक थकान, सोने में घबराहट महसूस करना, दिल की धड़कन का तेज होना और थोड़ा सा पैदल चलने पर सांस फूलने की समस्या होने लगती है. इसके अलावा शरीर में कमजोरी, चक्कर आना, सिर घूमना, जी मिचलाना, उल्टी होना और पेट खराब होने जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं. आमतौर पर पुरुषों और महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण लगभग समान पाए जाते हैं. रात में सोते समय लगातार खर्राटे लेना या पर्याप्त नींद नहीं ले पाना भी हार्ट अटैक के खतरे को और भी बढ़ा देता है. टहलने पर पैरों में तकलीफ होना और पैरों में सूजन होना भी हार्ट अटैक के कुछ लक्षणों में से एक है.

इस कारण से आता है हार्ट अटैक 

हार्ट अटैक आने का मुख्य कारण हमारे शरीर की खून की नलियों में ब्लॉकेज होना है. हार्ट अटैक के जोखिम से बचने के लिए शरीर में कोलेस्ट्रॉल पर काबू रखना सबसे जरूरी है. दरअसल कोलेस्ट्रॉल खून को गाढ़ा करता है और इस कारण से हार्ट को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. शरीर में यदि कोलेस्ट्रॉल ज्यादा होता है तो ब्लॉकेज होने की आशंका भी बढ़ जाती है. इसके अलावा यदि शरीर में डायबिटीज नियंत्रण में ना हो तो यह दिल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है. क्योंकि डायबिटीज होने पर ब्लड शुगर लेवल घटता और बढ़ता रहता है और यह कंट्रोल नहीं होने पर यह हार्ट अटैक का मुख्य कारण बन सकता है. आमतौर पर पुरुषों में हार्ट अटैक होने की आशंका 40 साल की उम्र के बाद बढ़ जाती है. वहीं महिलाओं में 50 साल से अधिक की उम्र में हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है.

हाई ब्लड प्रेशर हो तो भी रहे अलर्ट 

हाई ब्लड प्रेशर भी हार्ट अटैक का एक मुख्य संकेत माना जाता है. यदि रक्तचाप (blood pressure) लगातार ज्यादा रहता है तो दिल को काम करने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करना पड़ती है. ऐसे में दिल की मांसपेशियों पर दबाव पड़ने से दिल का दौरा पड़ सकता है. इसके अलावा जिन लोगों को अनुवांशिक तौर पर हार्ट की बीमारी रहती है, उन्हें भी अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखने जरुरत होती है.

रोज 40 मिनट करें कार्डियो एक्सरसाइज

अनियमित जीवनशैली होने पर शरीर कई तरह के विकार से ग्रस्त हो जाता है. रोज करीब 45 मिनट ब्रिस्क वॉक करने से हार्ट में ब्लॉकेज होने का खतरा कम हो जाता है. यदि आप ब्रिस्क वॉक नहीं करना चाहते हैं तो उसके बजाय किसी अन्य कार्डियो एक्सरसाइज जैसे साइकिल चलाना, स्विमिंग करना या रस्सी कूदने जैसी फिजिकल एक्टिविटी भी कर सकते हैं. अब तक हुए कई शोधों में पता चला है कि रोज करीब 30 से 40 मिनट पैदल चलने से दिल संबंधी बीमारियों का जोखिम कम किया जा सकता है. इसके अलावा अपनी डायट में फाइबर व प्रोटीन फूड ज्यादा लेना चाहिए.

बच्चों में दिल की समस्या क्यों
कुछ शिशुओं में उनके व्यक्तिगत जीन या गुणसूत्रों में परिवर्तन के कारण हृदय संबंधी दोष होते हैं। ऐसा माना जाता है कि सीएचडी जीन और अन्य कारकों के संयोजन के कारण होता है, जैसे कि पर्यावरण में मौजूद चीज़ें, माँ का आहार, माँ की स्वास्थ्य स्थितियाँ, या गर्भावस्था के दौरान माँ की दवा का उपयोग।
किस उग्र में हो सकती है दिल की समस्या
जबकि अधिकांश दिल के दौरे के शिकार मध्यम आयु वर्ग या अधिक उम्र के होते हैं, सच्चाई यह है कि हृदय रोग किसी भी उम्र के किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है, यहां तक ​​​​कि उन लोगों को भी जो व्यायाम करते हैं और सभी सही खाद्य पदार्थ खाते हैं।
बचपन की कौन से बीमारी से जवानी में दिल का रोगा
आमवाती हृदय रोग, आमवाती बुखार की सबसे गंभीर जटिलता है, जो स्ट्रेप गले के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारी है। आपके बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली स्ट्रेप संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन कर सकती है, लेकिन कुछ मामलों में, ये एंटीबॉडी हृदय वाल्व को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे आमवाती हृदय रोग हो सकता है।
कमजोर दिल के सिमटम
सांस लेने में तकलीफ होना: दिल कमजोर होने इसके प्रमुख लक्षणों में से एक सांस लेने में कठिनाई होना। खासकर, शारीरिक गतिविधि के दौरान या सपाट लेटते समय। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कमजोर दिल रक्त को कुशलता से पंप करने में संघर्ष करता है, जिससे फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा हो जाता है।
किस की अधिकता से हार्ट अटैक
हाई कोलेस्ट्रॉल– कोलेस्ट्रॉल शरीर की हर कोशिका में पाया जाने वाला वसा जैसा पदार्थ है. अधिक मात्रा में बनने पर यह ब्लड में कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा देता है और रक्त नलिकाओं में जमा हो जाता है. इससे धमनियां संकरी हो जाती हैं और कोरोनरी आर्टरी डिसीज यानी दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है
रहेगा दिल जवां-ये खाएं हमेशा
ब्रोकली, गाजर, और पत्तीदार सब्जियां हृदय के स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती हैं। डेयरी उत्पादः कैल्सियम, प्रोटीन और विटामिन से भरपूर डेयरी उत्पाद कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों को रोकने में मदद कर सकते हैं। कम फैट वाले या फैट-फ्री डेयरी उत्पाद ज्यादा फैट वाले विकल्पों से ज्यादा स्वस्थ होते हैं।
इनसे करें परहेज
फुल फैट क्रीम, दूध, दही, घी, इन सारी चीजों को खाने से बचें। अगर आपकी लाइफस्टाइल में फिजिकल वर्क कम शामिल है तो इन्हें खाने से सेहत को नुकसान होता है और हार्ट डिसीज होने का खतरा रहता है। अगर आपकी एज 40 के पार है तो एग यॉक को खाने से बचें। इसमे कोलेस्ट्रॉल का लेवल काफी हाई होता है।
नहीं ठीक होते दिल के ये मरीज
कोरोनरी हृदय रोग को ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन उपचार लक्षणों को प्रबंधित करने और दिल के दौरे जैसी समस्याओं की संभावना को कम करने में मदद कर सकता है।

 

 


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