बिजली को हर माह करोड़ों का झटका-अंजान बने हैं पावर अफसर

बिजली को हर माह करोड़ों का झटका-अंजान बने हैं पावर अफसर
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बिजली को हर माह करोड़ों का झटका-अंजान बने हैं पावर अफसर, शहर और देहात में दौड़ रहे हजारों ई रिक्शा हर माह पीवीएनएल को करोड़ों का फटका लगा रहे हैं, लेकिन पावर अफसरों के रवैये की यदि बात की जाए तो वो इससे पूरी तरह से अंजान नजर आते हैं। मेरठ महानगर और देहात इलाके में कितने ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं इसका ब्योरा तो पावर अफसरों के पास नहीं हैं, लेकिन इतना जरूर मानते हैं कि जितने ई-रिक्शा मेरठ में दौड़ रहे हैं उसके सापेक्ष चार्जिग स्टेशन नहीं है। आरटीओ के सरकारी आंकड़ों की मानें तो अभी तक करीब आरटीओ में जितने ई-रिक्शा रजिस्टर्ड हैैं, उससे ज्यादा सड़क पर दौड़ रहे हैैं। विभागीय आंकड़ों पर यदि यकीन करें तो करीब अट्ठारहा से बीस हजार के बीच ई रिक्शा आरटीओ में रजिस्टर्ड हैं इसके विपरीत जितने आरटीओ में रजिस्टर्ड हैं उससे दो गुने से ज्यादा अवैध रूप संचालित किए जा रहे हैं। आरटीओ के आंकड़ों पर यदि यकीन करें तो कम से अट्ठारह हजार ई रिक्शा अधिकृत मान लिए जाएं तो बड़ा सवाल यही कि इनकी चार्जिंग कहां हो रही है। इनमें यदि अवैध रूप से संचालित ई-रिक्शाओ को भी जोड़ दिया जाए जिनकी संख्या चालिस हजार के पार आंकी जा रही है तो यह आंकड़ा करीब साठ हजार बैठ जाता है। साठ हजार ई रिक्शा यदि के आंकड़े यदि दुरूस्त है तो फिर लगे हाथों इनकी चार्जिग में कितनी बिजली कंज्यूम हो रही है इसकी भी बात कर ली जाए।

कामर्शियल चार्जिंग स्टेशन ऊंट के मुंह में जीरा

यह तो साफ हो गया है कि जितनी बड़ी संख्या में मेरठ में ई रिक्शा संचालित हो रहे हैं उसके अनुपात में चार्जिंग स्टेशन का इंतजाम पीवीएनएल की ओर से नहीं किया गया है।  इस संबंध में  पीवीएनएल के अधीक्षण अभियंता नगर राजेन्द्र अग्रवाल ने जानकारी दी कि शहर में ई-रिक्शा के चार्जिंग के चवालिस कामर्शियल चार्जिंग स्टेशन हैं। यदि इस दावे को भी सही मान लिया जाए तो क्या वैध व अवैध कुल मिलकर लगभग साठ हजार ई-रिक्शा के लिए चवालिस चार्जिंग स्टेशन पर्याप्त हैं। यह सवाल के पीछे भी माकूल तर्क है। एक ई रिक्शा चार्ज करने के लिए करीब दस से बाहर घंटे का वक्त लगता है। यदि वैध रिक्शा की यदि बात की जाए तो करीब अट्ठाहर से बीस हजार ई-रिक्शा चार्ज करने में कितना वक्त लगेगा। इसमें यदि अवैध मसलन चालिस हजार ई रिक्शा और जोड़ दिए जाएं तो कितना वक्त लगेगा। इन पर बैटरी चार्ज कराने के लिए कामर्शियल रेट देना होता है।

प्रतिदिन करीब साठ लाख का फटका

हालांकि केवल रजिस्टर्ड की बात करें तो  करीब बीस हजार  ई-रिक्शा हैैं।  इन ई-रिक्शा की बैटरी अवैध रूप से चार्ज की जाती हैं और इस अवैध चार्जिंग के जरिए हर दिन बिजली विभाग को करीब बाइस लाख का चूना लगाया जा रहा है। अगर इसमें पूरे जिले में अवैध रूप से संचालित करीब चालिस  हजार ई-रिक्शा की चार्जिंग के आंकड़े को भी जोड़ दिया जाए तो प्रतिदिन बिजली चोरी का आंकड़ा करीब सत्तार  लाख को पार कर जाएगा।

इतनी बिजली होती है कंज्यूम

ई-रिक्शा में 12-12 वोल्ट की 4 बैटरी (48 वोल्ट) होती हैं। इन्हें चार्ज करने के लिए कम से कम 10 से 12 घंटे का समय लगता है। इसमें करीब 16 यूनिट बिजली खर्च होती है। शहर में दौड़ रहे आरटीओ में पंजीकृत करीब बीस हजार ई-रिक्शा प्रतिदिन करीब 2.88 हजार यूनिट बिजली खपत करते हैं, जो 7 रुपये प्रति यूनिट की दर से 20 लाख 16 हजार रुपये की बैठती है। यानी हर महीने करीब छह करोड़ 48 लाख और हर साल करीब 72 .  57  करोड. से ज्यादा की  की बिजली चोरी हो रही है। ई-रिक्शा सर्विस कमर्शियल गतिविधि के अंतर्गत आती है। इन्हें कमर्शियल कनेक्शन के जरिए ही चार्ज किया जा सकता है। । चार्जिंग स्टेशन प्रति ई रिक्शा 100 से 150 रुपए तक चार्जिंग फीस वसूलते हैं।

चोरी नहीं तो और क्या

जो ई रिक्शा पीवीएनएल की अनुमति से चलाए जा रहे चार्जिंग स्टेशनों के बजाए चोरी की बिजली से चार्ज किए जा रहे हैं यानि जो चार्जिंग स्टेशन अवैध रूप से संचालित किए जा रहे हैं या  फिर वो ई रिक्शा जो शाम होने के बाद जब घर पर खड़े कर दिए जाते हैं तो उनकी बैट्री घरेलू कनेक्शन से चार्ज की जाती है। कामर्शियल यूज में आने वाले ई रिक्शा को यदि घरेलू कनेक्शन से चार्ज किया जा रहा है तो यह भी बिजली चोरी की श्रेणी में आएगा इसमें कोई शक सुबहा नहीं होना चाहिए।

आरटीआई से मांगा है जवाब लोकेश अग्रवाल ने

 उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल उत्तर प्रदेश  के प्रदेश अध्यक्ष  लोकेश अग्रवाल ने बताया कि ई रिक्शा बैट्री चार्जिंग के नाम पर पीवीएनएल को हर माह करोड़ों का फटका लगाया जा रहा है। इसको लेकर कुछ बिंदुओं पर महकमे से आरटीआई के तहत जवाब मांगा गया है। उन्होंने दावा किया कि प्रतिमाह करोड़ों की बिजली चोरी का मामला है। इसकी जांच करायी जानी जरूरी है। 

यह कहना है कि  एससी ग्रामीण का

अधीक्षण अभियंता ग्रामीण प्रथम संजीव कुमार ने जानकारी दी कि देहात में तो इक्का दुक्का ही ई रिक्शा संचालित हो रहा है। गांव देहात में कोई भी ई-रिक्शा में नहीं बैठता है। गांव देहात में एक भी ई रिक्शा चार्जिंग स्टेशन की अनुमति किसी ने नहीं ली है।

यह कहना है एससी नगर  का

अधीक्षण अभियंता नगर राजेन्द्र अग्रवाल का कहना है कि ई रिक्शा की बैट्री का चार्ज किया जाना कामर्शिय यूज में आता है। इसके लिए शहर में करीब चवालिस स्थानों पर कामर्शिय चार्जिंग स्टेशन भी संचालित हो रहे हैं। जो घरेलू यूज के ई रिक्शा हैं उनको घरेलू कनेक्शन से चार्जिंग की अनुमति है।

क्या कहते हैं चीफ इंजीनियर

पीवीवीएनएल के चीफ इंजीनियर अनुराग अग्रवाल का कहना है कि यदि कोई अवैध रूप से ई रिक्शाओं की बैट्री की चार्जिंग करते पाया गया तो उसके खिलाफ कठोर विधिक कार्रवाई की जाएगी। 

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