सर्वे के नाम पर अवैध वसूली से उबाल

सर्वे के नाम पर अवैध वसूली से उबाल
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सर्वे के नाम पर अवैध वसूली से उबाल, मेरठ में आवासीय व गैर आवासीय संपत्तियों पर गृहकर निर्धारण के नाम पर सर्वे कराने वाले नगर निगम मेरठ के अफसर व सर्वे करने वाली कंपनी तथा उसके कर्मचारियों पर भारी भरकम गृह कर कर भय दिखा कर अवैध उगाही के आरोप लग रहे हैं। इस मामले के सामने आने के बाद भाजपाइयाें में उबाल है। इसको निगम अफसरों का सूबे की योगी सरकार को बदनाम करने वाला कृत्य बताया जा रहा है। मामले के सामने आने के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता अजय गुप्ता ने जांच करायी। उन्होंने बताया कि आवासीय व गैर आवासीय संपत्तियों पर गृहकर निर्धारण के नाम पर कराया जीआईएस सर्वे खामियों के पुलंदे के अलावा कुछ नहीं। यह सर्वे मैसर्स आईटीआई लि. एयूएनआईके आईटी सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड एंड मार्ग इन्फोटेक कराया जा रहा है।

अफसर ढिकाने लगा देंगे छह करोड़-सीएम योगी को पत्र

सर्वे के नाम पर छह करोड़ रुपए ठिकाने लगाने का इंतजाम कर लिया है। इतनी बड़ी रकम का ठेका दिया गया है तो यह बात गले नहीं उतरती कि बहती गंगा में हाथ ना धोए जाएं। इस मामले को लेकर निगम अफसरों को कठघरे में खड़े करने वाले भाजपा नेता अजय गुप्ता ने बताया कि सर्वे के नाम पर केवल धन उगाही की जा रही है। इसकी शुरूआत पहले चरण से ही हो गयी है। होना यह था कि घर-घर जाकर सर्वे करते लेकिन यह ना होकर गृह स्वामी को गृहकर बढ़ाने का भय दिखाकर अंधाधुंध उगाही की जा रही है। जीआईएस के सर्वे   के नाम से चल रहे उगाही के खेल  से केवल पब्लिक ही दशहत में नहीं है बल्कि इस सर्वे से निगम के कुछ अफसर निर्वाचित पार्षद व महपौर भी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। सीएम को भेजे पत्र में मामले की सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग की गई है।

रिश्वत करायी वापस

अजय गुप्ता ने खुलासा किया ऐसे प्रकरण बड़ी संख्या में हैं जो नगर निगम के अफसरों के समक्ष लाए गए और उनमें फिर पैसा वापस कराया गया। लेकिन दुख की बात यह है कि तमाम खामियों के बाद भी नगर निगम प्रशासन इसको लागू करने पर उतारू है। इसको लेकर पूरे महानगर में असंतोष व्याप्त है। जो अफसर इसको लागू करने पर उतारू हैं वह यह नहीं समझ रहे कि उनके इस कृत्य से आम जनता में योगी सरकार के प्रति गलत संदेश जाएगा।  या फिर यह मान लिया जाए कि ऐसे अफसर विपक्षी दलों के इशारे पर योगी सरकार को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा हैं।

खामिलयाें की है लंबी फेरिस्त

-सर्वे मौके पर जाकर नहीं किया गया है। कुछ सरकारी डाटा उठाकर उसके आधार पर इसको किया गया है।

-सर्वे से पूर्व इसकी सूचना निर्वाचित सदन के प्रतिनिधियों को नहीं दी गयी जाे सदन के प्रति अफसरों का गंभीर अपराध है।

-महानगर में 90 वार्ड हैं आरोप है कि सर्वे करने वाली फर्म ने महज 50 वार्ड का डाटा देकर हाथ झाड़ लिए हैं। सभी 90 वार्ड का डाटा दिया जाना चाहिए।

-सर्वे करने वाली कंपनी ने आवासीय व गैर आवासीय संपत्तियो का अलग-अलग डाटा भी प्रस्तुत नहीं किया है। जिसकी वजह से भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

-स्वकर प्रणाली 2004 से आवासीय व 2013 से गैर आवासीय भवनों पर लागू की गयी है। ऐसी संपत्तियों पर भी पुन गृहकर लागू किया जो नियम विरूद्ध है।

-नगर निगम मेरठ की अनेक संपत्तियों खासतौर से महानगर के कई  कूडा घरों  जैसी संपत्तियों पर भी सर्वे करने वाली कंपनी ने गृहकर  आरोपित किया है।

–जिन संपत्तियों पर पुराना भारी भरकम टैक्स है, उन्हें नया नंबर देकर नई संपत्ति दिखाने का गुनाह कर सर्वे करने वाली कंपनी ने राजस्व नुकसान का अपराध किया है।

-जो गृहकर दाता पहले से नगर निगम को हाउस टैक्स देते आ रहे हैं उनको भी नया नंबर देकर नयी संपत्तियों में शुमार कर दिया गया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितनी अंधेरगर्दी मचायी है।

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