कैंट के निगम में शामिल होने को ना, कैंट बोर्ड के नगर निगम क्षेत्र में शामिल किए जाने की कवायद में जुटने वालों के लिए को बुरी खबर आयी है। केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने लोकसभा में एक सवाल में स्पष्ट किया है कि देश की छावनियों को नगर निगम में शामिल किए जाने का केंद्र सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं है। न ही ऐसा भविष्य में किया जा रहा है। रक्षा राज्यमंत्री ने यह रक्षा मंत्रालय की ओर से यह उत्तर एक सांसद द्वारा रानी खेत कैंट को वहां के स्थानीय निकाय में शामिल किए जाने को लेकर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में दिया। दरअसल काफी अरसे से देश की छावनियों के सिविल एरिया से सटे इलाकों को वहां के स्थानिय निकायों में शामिल किए जाने की मांग उठायी जाती रही है। पिछले दिनों मेरठ में भी कैंट बोर्ड के मनोनीत सदस्य तथा भाजपा के कुछ नेताओं ने मेरठ कैंट को नगर निगम मेरठ में शामिल किए जाने की मांग को लेकर हस्ताक्षर मुहिम चलायी थी। लेकिन रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट द्वारा सदन में दिए गए जवाब के बाद कैंट को नगर निगम क्षेत्र में शामिल किए जाने की अटकलों पर अब खुद ही विराम लग गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि प्रयोग के तौर पर रक्षा मंत्रालय ने अंबाला छावनी का कुछ हिस्सा अंबाला के निगम को ट्रांसफर कर दिया था। रक्षा मंत्रालय का यह प्रयोग पूरी तरह से केवल विफल ही साबित नहीं हुआ बल्कि उस इलाके में रहने वालों नागरिकों पर यह प्रयोग आज भी कहर बना हुआ है। दरअल हुआ यूं कि रक्षा मंत्रालय के निर्देश पर अंबाला छावनी का कुछ हिस्सा जो सिविल का इलाका कहलाता था उसको वहां के निगम को ट्रांसफर करने के आदेश कर दिए गए। लेकिन वहां के निगम ने उस हिस्से को स्वीकार करने से साफ इंकार कर दिया। परिणाम यह हुआ कि उस हिस्से को न तो कैंट प्रशासन ही कोई सुविधा दे रहा है न ही वहां का सिविल प्रशासन वहां कोई सुविधा मुहैय्या करा रहा है।