कैंट बोर्ड बैँठक में था मंजू गोयल का डिसेंट, रैपिड प्रोजेक्ट को जमीन देने के जिस मामले को लेकर मेरठ कैंट अफसरों की फजीहत हो रही है। तमाम प्रकार के आरोप लगाए जा रहे हें, पता चला है कि इस मामले में कैंट बोर्ड की तत्कालीन सदस्य मंजू गोयल ने बोर्ड की एक बैठक में डिसेंट दिया था। भरे बोर्ड की बैठक में मंजू गोयल ने सवाल किया था कि इतना कम calculation क्यों है। उन्होंने इसके लेकर बोर्ड की बैठक में पुरजोर तरीके से आवाज उठायी थी। वार्ड छह की सदस्य आज हमारे बीच नहीं हैं अन्यथा पुष्टि भी की जा सकती थी, लेकिन यह सब चीजें कैंट बोर्ड की तत्कालीन बैठक की मिनटस का हिस्सा तो होनी चाहिए जो कुछ मंजू गोयल ने रैपिड प्रोजैक्ट के जमीन हस्तातरण सौदे के calculation को लेकर सवाल उठाए थे, उनका भी उल्लेखन अवश्य होना चाहिए, ऐसा सभी का मनना है। प्रधान निदेशक मध्य कमान के मेरठ दौरे के दौरान यह मामला बाहर ही नहीं आया बल्कि सुर्खियां भी बना। कुछ लोगों ने इसको लेकर प्रधान निदेशक को ध्यान दिलाया। हालांकि एक अन्य सूत्र की मानें तो प्रधान निदेशक मध्य कमान मामले का संज्ञान दिलाए जाने से पहले ही मेरठ कैंट के अफसरों की इस कारगुजारी को पकड़ चुके थे। उनकी तेज तर्रार निगाहों से यह कारगुजारी छिपी नहीं रह सकी। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं कि इस पूरे मामले का पटक्षेप कैसे हुआ या फिर यह प्रकरण अभी भी फ्लोर पर पर है, इसके एंड का इंतजार इससे जुड़े अफसरों को है। क्योंकि जब तक यह फ्लोर या फिर पाइप लाइन में रहेगा और इसका निस्तारण नहीं किया जाएगा तब तक बैचेनी बनी रहेगी। हालांकि एक अन्य सूत्र की माने तो यदि रैपिड प्रोजेक्ट पर काम करने वाली कार्यदायी संस्था से जमीन हस्तातरण का सौदा फाइनल भी कर लिया जाता है तो भी करीब तीन सौ करोड़, (जैसा इस मामले को लेकर खुलासे करने वालों का दावा है) के राजस्व नुकसान के इस मामले की जांच होना तय समझा जा रहा है।