कैँट बोर्ड में तूफान तो अभी बाकि है, महज चार जांचों में ही कैंट बोर्ड मेरठ की चूल हिल गयी हैं, जबकि अभी 43 शिकायतों की जांच होनी बाकि है। महानिदेशक रक्षा मंत्रालय के आदेश पर डायरेक्टर मध्य कमान ने जिन चार शिकायतों की अभी तक जांच की है उनमें सेनेट्री सेक्शन के इंस्पेक्टर के सस्पेंशन से लेकर एई व जेई की सेलरी व इन्क्रिमेंट पर गाज से लेकर न जाने अभी तक क्या-क्या कार्रवाई हो चुकी है। जानकारों का कहना है कि महज चार जांचों में यह हाल तो अंदाजा लगाइए जब बाकि की 43 शिकायतों की डीएन यादव सरीखे सख्त मिजाज माने जाने वाले अधिकारी जांच करेंगे तो क्या हश्र होगा। शिकायतों की यदि बिंदुवार जांच की बात की जाए तो सबसे बड़ी कार्रवाई दैनिक वेतन भाेगी स्टाफ के ठेकेदार पर कार्रवाई मानी जा रही है। जांच में गंभीर खामियां पाए जाने पार ठेका निरस्त किए जाने में एक पल की देरी नहीं की गई। इससे बड़ा प्रकरण डोर टू डोर ठेके को लेकर चल रहा है। इस ठेके को लेकर पूर्व में जो सबसे ज्यादा हो हल्ला मचा रहे हैं, उनकी चुप्पी पर ही सवाल उठ रहे हैं। पूछा जा रहा है कि इस यूटर्न की वजह क्या है। इससे भी यदि बड़े मसले की बात की जाए तो वो है कैंट बोर्ड का स्टांप घोटाला, जिस कैंट बोर्ड का नामक खाते हैं, उसी को अनयूज्ड स्टांप लगवाकर चूना लगा दिया। इस मामले को लेकर तत्कालीन रेवेन्यू हेड जयपाल तोमर पर तमाम गंभीर आरोप लगे थे। जयपाल तोमर पर फिलहाल कार्यालय अधीक्षक का दायित्व है। लेकिन जो कुछ कैंट बोर्ड में चल रहा है उसके चलते जयपाल तोमर को अब कुर्सी में कांटे नजर आने लगे हैं। चौथी जांच की यदि बात की जाए तो वो हैं अवैध निर्माण। अवैध निर्माण मामलों की जांच में सबसे चौंकाने वाला खुलासा साल 2019 के बाद से कोई रिपोटिंग का न किया जाना। रजिस्टर का खाली मिलना। इस सारे खेल के पीछे कैंट बोर्ड के एई व जेई पर गंभीर आरोप लग रहे हैं।