कैंट बोर्ड: एक करोड‍़ के पार्क में इंसानाें की नो एंट्री

कैंट बोर्ड: एक करोड‍़ के पार्क में
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कैंट बोर्ड: एक करोड‍़ के पार्क में इंसानाें की नो एंट्री, रजबन में जिस पार्क का उद्घाटन कैंट बोर्ड मेरठ के अधिकारियों ने सांसद व विधायक से करा कर वाहवाही लूटी थी, उसमें पशु बांधे जा रहे हें।

अदालत के आदेश पर मेरठ छावनी के वार्ड आठ रजबन इलाके में पशु डेयरियों को हटवा कर यहां अवैध कब्जे से सरकारी जमीन मुक्त कराई गई थी। बाद में  जिस जमीन पर बच्चों के लिए पार्क बनाने का दावा कर अधिकारी खुद ही अपनी पीठ थपथपा रहे थे, उस पार्क में इन दिनों इंसानों की नो एंट्री सरीखे हालात हैं। इस पार्क के निर्माण पर कथित तौर पर अनियमितता बरतते हुए करीब एक करोड़ के खर्च का दावा किया गया था। कैंट बोर्ड के अधिकारियों ने रजबन के इस इलाके से जिन डेरियों को हटाकर कर वहां पार्क बनाने का दावा किया था, वह पार्क अब डेयरियों के ही पशु बांधने के काम आ रहा है। बोर्ड के एक करोड‍़ खर्च कर तैयार कराए गए पार्क को कैंट अफसर पूरी तरह से भूले बैठे हैं। पार्क का प्रयोग डेयरी संचालक अपने पशु बांधने के लिए कर रहे हैं। दोपहर में पशुओं को चरने के लिए पार्क में खोल दिया जाता है। अदालत के आदेश पर आबादी के बीच चल रहीं पशु डेयरियों को हटाने की जहां तक बात है तो कैंट बोर्ड प्रशासन ने जिन डेयरियों को खदेड़ दिए जाने की बात कही थी, रजबन व तोपखाना समेत उनमें से ज्यादातर स्थानों पर वो डेयरियां दोबारा से नजर आने लगी हैं। डेयरियों के दोबारा आने से एक बार फिर आसपास के नाले नालियों में डेयरियों से निकलने वाले गोबर भरने लगा है। वहां फिर गंदगी देखी जा सकती है। लेकिन लगता है कि कैंट बोर्ड के खजाने से अवैध तरीके सेा व अनियमितताएं बरतते हुए एक करोड‍़ का खर्चा करा कर पार्क बनाने वाले इंजीनियरिंग सेक्शन प्रभारी पियूष गौतम  को अपनी इस लापरवाही व कारगुजारी से कोई सरोकार नजर नहीं आता। इसे  लापरवाही की इंतहा नहीं कहें तो और क्या कहें।

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