कैंट बोर्ड: नहीं होंगे चुनाव, कैंट बोर्ड के चुनाव नहीं कराएजाएंगे बल्कि शीघ्र ही कैंट बोर्ड के तमाम वार्ड के बड़े हिस्से या कुछ वार्ड पूरी तरह से महानगर के नगर निगम क्षेत्र में मर्ज करा दिए जाएंगे। दरअसल चुनाव टलने की आहट सुनाई पहले से दे रही थी, लेकिन शुक्रवार को साफ हो गया कि कैंट बोर्ड के चुनाव नहीं होने जा रहे हैं। इस आश्य के आदेश भी मेरठ समेत देश की तमाम छावनियों में पहुंच गए हैं। इससे पहले जैसे ही कैंट बोर्ड के चुनाव का एलान किया गया था तमाम दावेदारों ने तैयारियां शुरू कर दी थीं। दावेदारी के मामले में सबसे ज्यादा चहल पहल भाजपा में नजर आती थी। एक ओर जहां चुनाव को लेकर तमाम तैयारियां चल रही थीं, वहीं दूसरी ओर कैंट बोर्ड के चुनाव कराए जाने के सरकार के फैसले का बड़े स्तर पर विरोध भी शुरू हो गया था। देश भर की तमाम छावनियों से कैंट बोर्ड के चुनाव कराए जाने पर गंभीर सवाल उठाते हुए पत्र रक्षा मंत्री व पीएमओ को भेजे गए। सवाल किया गया कि एक ओर तो भारत सरकार कैंट बोर्ड के वार्ड को महानगर पालिकों व नगर निगमों में मर्ज किए जाने की बात कह रह रही है। इस आश्य की पत्रावली अंतिम चरण में होने का दावा भी मोदी सरकार के मंत्री लगातार कर रहे हैं। बामुश्किल दो साल के भीतर सभी कैंट बोर्ड के वार्ड नगर निगमों में मर्ज कर दिए जाने का दावा किया जा रहा है। ऐसे में बोर्ड के चुनाव कराए जाने का क्या औचित्य है। वहीं दूसरी ओर इस मामले में रक्षा मंत्रालय के उच्च पदस्थ चुनाव कराए जाने के आदेश जारी किए जाने को लेकर बड़ी चुक या कहें मिस्टेक मान रहे हैं। इसके चलते बगैर देरी किए चुनाव रद्द कर दिए जाने के आदेश जारी कर दिए गए।
कैंट बोर्ड के चुनाव कराए जाने का विरोध करने वालों में देश की तमाम छावनियों के साथ ही मेरठ कैंट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष विपिन सोढ़ी भी शामिल रहे। उन्होंने बताया कि चुनाव का एलान होने के साथ ही उन्होंने रक्षा मंत्रालय के एक उच्च पदस्थ अधिकारी से बाकायदा बात कर चुनाव कराए जाने के निर्णय को अव्यवारिक बताया। साथ ही याद दिलाया कि एक ओर कैंट बोर्ड के वार्ड नगर निगम में मर्ज किया जाना दूसरी ओर चुनाव बात कुछ जमी नहीं। विपिन सोढी ने भी चुनाव रद्द किए जाने की बावत एक पत्र रक्षा मंत्री भारत सरकार को भेजा था। इसी प्रकार के विरोधों के साइड इफैक्ट के चलते चुनाव आतोगत्वा रद्द हो गए।