कैंट बोर्ड़: सौ करोड़ के प्रोजेक्ट में पलीता, मेरठ छावनी के सभी आठ वार्डों के लिए घोषित किए गए करीब सौ करोड़ के सीवरेज प्रोजेक्ट को कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन की लेट लतीफी ने केवल पलीता ही नहीं लगाया, बल्कि सीवरेज प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद गंदगी से निजात दिलाने वाली सुविधा को भी छिन लिया। इतना ही नहीं सीवरेज प्रोजेक्ट के ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए सरकार को राजस्व की चपत लगाने का भी गुनाह किया। बोर्ड प्रशासन की कारगुजारी से इस प्रोजेक्ट की लागत अब करीब बीस फीसदी तक बढ़ गई है, यदि समय से निर्णय लिए गए होते तो प्रोजेक्ट को पूर्व निर्धारित बजट में ही पूरा किया जा सकता था। साल 2018 में छावनी क्षेत्र के लिए करीब सौ करोड़ की लागत से सभी आठ वार्डों में सीवरेज सिस्टम के प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली थी। इसके पहले फेस के लिए दस करोड़ मिल भी गए, उससे काम भी शुरू कर दिया गया। लेकिन इंजीनियरिंग सेक्शन की लेट लतीफी व अन्य फेस की तैयारियों में देरी के चलते कैंट की जनता के लिए गिफ्ट माने जाने वाले इस प्रोजेक्ट को ग्रहण लग गया। पहले फेस में वार्ड चार-पांच-छह में काम होना था। लाइन डालने के नाम पर इनमें खुदाई भी करा दी गई, लेकिन बजाए राहत के हालात और भी बद से बदत्तर हो गए। लोगों की जिंदगी नरक बना दी गयी। इस फेस में सीवरेज के नाम पर जब दस करोड़ ठिकाने लग गए तो उसके बाद जब सड़क बनाने की बात आयी तो यहां इंजीनियर सेक्शन के अफसरों ने ठेकेदार से दोस्ती निभाते हुए सड़क उस ठेकेदार से न बनवाते हुए दूसरे ठेकेदार से यह काम कराया और कैंट बोर्ड पर अतिरिक्त भार डालने का गुनाह किया। मेरठ छावनी की जनता को सीवरेज प्रोजेक्ट के पूरे होने का आज भी इंतजार है। लेकिन कैंट बोर्ड के इंजीनियर सेक्शन के अफसरों की कारगुजारी से नहीं लगता कि यह पूरा हो पाएगा। इसको लेकर भाजपा नेता व तमाम जनप्रतिनिधि भी इन अफसरों से खासे नाराज हैं।