कैंट अफसरों की कारगुजारी का मुजस्समा गोल्डन स्पून

कैंट बोर्ड अफसरों का खेल उजागर
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कैंट अफसरों की कारगुजारी का मुजस्समा गोल्डन स्पून, रजबन करई गंज स्थित आवासीय भवन संख्या 35/36 में चार मंजिला होटल गोल्डन स्पून मेरठ कैंट बोर्ड अफसरों की लापरवाहियों का मुजस्समा यानि बूत बना है। होटल गोल्डन स्पून इस बात का भी गवाह है कि यदि कैंट प्रशासन और निर्वाचित बोर्ड यानि उपाध्यक्ष सरीखे किसी से सेटिंग है और रकम खर्च करने की कूबत है, तो आवासीय संपत्ति में तमाम कायदे कानून ताक पर रखकर उस संपत्ति को अवैध निर्माण कर व्यवसायिक बनाया जा सकता है। एक दो मंजिल नहीं बल्कि चार मंजिल तक, भले ही रक्षा मंत्रालय से केवल तीन मंजिल की अनुमति है। कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन मे सेटिंग है तो फिर रक्षा मंत्रालय के कायदे कानून भी कोई मायने नहीं रखते। किसी भी आवासीय में चार मंजिला व्यवसायिक भवन बनाइये और लिफ्ट भी लगाइये। लेकिन इसके लिए बोर्ड में सेटिंग जरूरी है। जिस गोल्डन स्पून का यहां जिक्र किया गया है, वह साल 2017 में जब राजीव श्रीवास्तव सीईओ थे और इंजीनियरिंग सेक्शन के प्रभारी एई पीयूष गौतम थे, तभी इसका निर्माण शुरू हुआ। तब इसकी पहचान पंजाबी तड़का रेस्टोरेंट के नाम से हुआ करती थी, अब यह गोल्डन स्पून होटल के नाम से खड़ा होकर कैंट बोर्ड के भ्रष्टाचार की गवाही दे रहा है। हैरानी तो इस बात की है कि पंजाबी तड़का से शुरू हुआ इसका सफर गोल्डन  स्पून की चार मंजिलों तक जा पहुंचा और आवश्यक लाइसेंस भी प्राप्त कर लिए। हैरानी है कि  कैंट बोर्ड अफसरों को भनक तक नहीं लगी। इस प्रकार के अवैध निर्माणों में मौके पर जाकर निर्माण सामग्री जब्त की जाती है, बिल्डिंग सील व अधिग्रहण सरीखी कार्रवाई की जाती है। इस प्रकार के मामलों में पीपीई एक्ट कार्रवाई की जाती है। लेकिन कैंट बोर्ड की यह कार्रवाई करने का साहस नहीं जुटा सका। ग्लोडन स्पून में अवैध रूप से शराब परोसने पर पुलिस दबिश भी दे चुकी है। कैंट बोर्ड से चंद कदम की दूरी पर होने के बाद भी अफसरों को गोल्डन स्पून नजर नहीं आता।

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