CEO कैंट का लैटर बम

जीओसी पर भारी बोर्ड की कारगुजारी
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CEO कैंट का लैटर बम, सीईओ मेरठ कैंट की ओर से डोर टू डोर ठेकेदार को भेजा लेटर, बम साबित हो रहा है, जिसके चलते बोर्ड के सेनेट्री सेक्शन के इंस्पेक्टर योगेश यादव व अभिषेक गंगवार के वो आरोप भी सही साबित हो रहे हैं, जिसकी वजह से दोनों को नाप दिया गया। पूरे मामले को समझने के लिए क्रोनोलॉजी को समझना जरूरी है। डोर टू डोर  कूडा उठाने के लिए आगरा की अग्रवाल एंड कंपनी को  ठेका दिया गया, लेकिन जो एग्रीमंंट की शर्ते थी,  कंपनी ने उनका पालन नहीं किया। सेनेट्री इंस्पेक्टरों ने  तत्कालीन सीईओ नवेन्द्र नाथ को ध्यान दिलाया तो उन्हें घर बैठा दिया गया। नवेन्द्रनाथ यही नहीं रूके, सफाई अधीक्षक की रिपोर्ट को आधार बनाकर भारत सरकार को भारी राजस्व का चूना लगा दिया। ये तमाम कारगुजारियां तब सामने आयी, जब डिफेंस मिनिस्ट्री के आदेश पर डायरेक्टर मध्य कमान डीएन यादव जांच को मेरठ कैंट बोर्ड पहुंचे। इंजीनियरिंग व सेनेट्री सेक्शन की कारगुजारियां सामने आ गईं, जिसके चलते दोनों कंप्यूटर सील कर सीईओ रूम में रखवा दिए गए। दरअसल इंजीनियरिंग सेक्शन के कंप्यूटर पर वर्क आर्डर तैयार किया गया था। यह बात भी डीएन यादव के समक्ष  उजागर हुई, सेनेट्री इंस्पेक्टर की रिपोर्ट ने इन बातों को तत्कालीन सीईओ के संज्ञान में करीब छह माह पूर्व ही  ला दिया था, लेकिन बजाए ठेकेदार पर कार्रवाई के दोनों को ही घर बैठा दिया गया, तब बोर्ड के तमाम अफसरों पर ठेकेदार का रंग चढ़ा था।  एमएसडब्लू रूल 2016 का पालन नहीं किया जा रहा है, का संज्ञान तक लेने की जरूरत नहीं समझी गयी। लेकिन सीईओ ज्योति  कुमार के 5 अगस्त 2022 को आगरा की अग्रवाल एंड कंपनी को लिखे लेटर ने बम का काम किया। जिन तमाम आपत्तियों का जिक्र इंस्पेक्टरों की रिपोर्ट में है, वहीं बातें सीईओ के लेटर में कही गई हैं।  जिस रिपोर्ट पर बर्खास्ती सरीखी सजा दी जाती है, उन्हीं तमाम खामियों को लेकर सीईओ  की ओर से ठेकेदार को लेटर लिखे जाने के बाद क्या अब  इंस्पेक्टरों पर की गई कार्रवाई सवालों के घेरे में नहीं।

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