चालिस करोड़ की संपत्ति अब जांच , नगर निगम मेरठ के एक कर्मचारी बेनामी संपत्ति की जांच में फंस गए हैं। उन पर चालिस करोड़ की संपत्ति नौकरी पर रहते हुए अर्जित करने के गंभीर आरोप लगे हैं। फिलहाल जांच बैठा दी गयी है। निगम के पार्षद जब अपने-अपने इलाके में विकास के काम बताते हैं तो अफसर हाथ झाडकर खड़े हो जाते हैं। खजाने की खस्ता हालत का वास्ता भी दिया जाता है। इसके इतर यदि स्टाफ की बात की जाए तो उनमें से कई मालामाल हैं। उनकी अमीरी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुछ की संपत्ति की जांच की मांग की गयी है। सामाजिक कार्यकर्ता ऋषिराज और शौकीन तथा कुछ अन्य ने दो दिन पूर्व नगरायुक्त को पत्र देकर नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में तैनात एक कर्मचारी ललित स्टीफन की संपत्ति की जांच की मांग की है। इस शिकायत पर प्रभारी कार्मिक को जांच सौंपी गयी है। जांच रिपोर्ट भी तलब की गयी है। जांच आदेश 28 जून को जारी किए गए हैं। उक्त कर्मचारी पर रूडकी रोड पर जी लिटरेरा स्कूल के पास प्लाट, साकेत में प्लाट, मवाना बहसूमा रोड पर प्लाट व खेती की करीब आठ बीघा पक्का जमीन, दौराला में बेनामी संपत्ति, शुगर मिल के सामने बफावत रोड पर प्लाट, नंगलाताशी में जनता फ्लैट मे भी बेनामी संपत्ति। इसके अलावा वीवीआईपी सिविल लाइन के साकेत इलाके में होटल व रेस्टोरेंट के आरोप भी जांच की मांग को लेकर सौंपे गए पत्र में बताए गए हैं। बकौल इस पत्र के ऋषिराज व शौकीन आदि का यह भी कहना है कि नगर के शरद गोयल नाम के शख्स के साथ व्यासाय में साझेदारी है। सबसे गंभीर पांच से दस रुपए सैकड़े पर ब्याज का काम करने का आरोप है जो बेहद गंभीर माना जा रहा है किसी निगम कर्मचारी के लिए। उसकी भी जांच की बात कही गयी है। इस कर्मचारी पर नोएडा, गाजियाबाद, फरूखाबाद शहर में भी संपत्ति की जानकारी पत्र में देते हुए कहा गया है कि करीब चालिस करोड़ की कुल संपत्ति है। फिलहाल जांच के आदेश दिए हैं।