कोर्ट में सुनवाई और ई रिक्शाओं की मुसीबत, मेरठ / महानगर के यातायात के लिए मुसीबत बनीं ई रिक्शाओं को लेकर हाईकोर्ट में कल (आज) सुनवाई होगी। यह सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की कोर्ट में होने जा रही है। आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज चौधरी ने इसको लेकर एक जनहित याचिका दायर की थी। जनहित याचिका को हाईकोर्ट ने सुनवाई योग्य माना और मेरठ के साथ-साथ प्रदेश भर के तमाम प्रमुख शहरों के अफसरों तथा प्रदेश के सरकार के मुख्य सचिव को ई रिक्शाओं की समस्याओं को लेकर नोटिस जारी कर दिए। आरटीआई एक्टिविस्ट ने जानकारी दी कि हाईकोर्ट में दो बार सुनवाई हो चुकी है। पिछली बार हुई सुनवाई में मेरठ के अफसरों ने ई रिक्शाओं को लेकर प्लानिंग पर काम करने तथा ब्लू प्रिंट तैयार कर लिए जाने की बात कहकर वक्त ले लिया था। 20 सितंबर का तारीख सुनवाई के लिए मुकर्रर की गयी थी। शुक्रवार को मेरठी अफसरों को कोर्ट को बताया होगा कि उन्होंने ई रिक्शाओं की मुसीब से निजात के लिए क्या कदम उठाए।
दरअसल में मेरठ शहर और उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में अवैध तरीके से सड़कों पर दौड़ रही ई रिक्शाओं से सड़कों और चौराहों पर लग रहे जाम से लोगों को हो रही परेशानी के मद्देनजर हाई कोर्ट इलाहाबाद में दायर की गई है। इस पर जनहित याचिका पर 14 अगस्त को हो थी। चीफ जस्टिस की कोर्ट में हुई सुनवाई में सरकारी वकील ने अवैध ई रिक्शाहों को कंट्रोल करने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के अभी पूर्ण न कर पाने के कारण चीफ जस्टिस से कुछ और समय देने का आग्रह किया था। उसके उपरांत कोर्ट द्वारा एक माह का और समय सरकार को दिया गया और कहा गया की 20 सितंबर को सारी कार्यवाही रिपोर्ट लेकर अदालत में उपस्थित हो। आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज चौधरी के एडवोकेट सौरभ सिंह और एडवोकेट भानु प्रताप सिंह सुनवाई पक्ष रखा।
परवान नहीं चढ़ पर रहे प्रयास
हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के मद्देनजर महानगर में ई रिक्शाओं की समस्या को लेकर फिलहाल तो टैÑफिक पुलिस के प्रयास उतने ज्यादा प्रभावी नजर नहीं आ रहे जितना कि उम्मीद की जा रही है। ई-रिक्शाओं के लिए रूट तय करने को लेकर बार-बार तारीख बदली जा रही है। प्रयासों की गति का अंदाजा इसी बात से लगाय जा सकता है कि अभी केवल बामुकिश्ल सौ ई रिक्शाओं पर ही रूट वाले स्टीकर लगाए जा सके हैं। ऐसा नहीं है कि प्रयासों में कमी है, दरअसल अवैध ई रिक्शाएं मुसीबत बनी हुई हैं।
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