लैटर-कार्रवाई के बजाए भूमाफियाओं के मददगार बने हैं अफसर

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सेवा में

श्रीमान

 

विषय: मेरठ छावनी में अवैध निर्माण व कब्जों पर कार्रवाई करने के बजाए सीईओ व डीईओ कार्यालय भूमाफियाओ का मददगार व सरपरस्त बना

 

मान्यवर,

मेरठ छावनी में कुछ ऐसे भूमाफिया जिनके कृत्यों के चलते संवेदनशील मेरठ छावनी की सुरक्षा को गंभीर  खतरा हो सकता है, उनके अवैध निर्माणों व कब्जों मेरठ कैंट बोर्ड प्रशासन तथा मेरठ का रक्षा संपदा कार्यालय बजाए कार्रवाई के ऐसे भूमाफियाओं के अवैध निर्माणों को संरक्षण दे रहा है। खेद को विषय है कि मेरठ छावनी में सक्रिय जिन भूमाफियाओं के अवैध निर्माणों की सूचना व शिकायत   राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व रक्षा मंत्री तथा सैन्य प्रशासन के उच्च पदस्थ अधिकारियों को शिकायत भेजी गयी थीं तथा उन शिकायतों का संज्ञान लेकर जांच कर कृत कार्रवाई से अवगत कराए जाने के निर्देश दिए गए थे, मेरठ कैंट बोर्ड व रक्षा संपदा अधिकारी कार्यालय ने उक्त मामलों में बजाए ठोस कार्रवाई कर अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने के बजाए शिकायतकर्ता को अपनी बात रखने का मौका दिए बगैर ही भेजी गयी शिकायतों के संदर्भ में कृत कार्रवाई व जांच का शिकायत का निस्तरण करने के ठोस कार्रवाई के बगैर ही उक्त शिकायत को निस्तारित कर दिए जाने की रिपोर्ट संबंधित को प्रेषित कर दी। इससे यह स्पष्ट है कि मेरठ कैंट बोर्ड और मेरठ का रक्षा संपदा अधिकारी कार्यालय भूमाफिया के कितने ज्यादा प्रभाव में है और भूमाफियाओं के अवैध निर्माणों को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। पूर्व में मेरठ छावनी में भूमाफियाओं के जिन कृत्यों से राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय व आवास, रक्षा मंत्री तथा रक्षा सचिव आदि को अवगत कराया जा चुका है उनमें से कुछ का उल्लेख नीचे पुन: दिया जा रहा है।

-मेरठ के आबूलेन स्थित आवासीय बंगला नंबर 182 को भूमाफियाओं द्वारा खुर्दबुर्द कर दिया जाना। इस आवासीय बंगले में अवैध कामर्शियल कांप्लैक्स जय प्लाजा बनाकर उसमें लगभक 350 दुकानों का निर्माण। दुखद यह है कि विधिक कार्रवाई के नाम पर अवैध कामर्शियल कांप्लैक्स में एक बार भी ध्वस्तीकरण नहीं किया गया। विधिक कार्रवाई के नाम पर संबंधित अधिकारियों के कृत्यों से भूमाफियाओं को केवल अपने अवैध निर्माणों को बचाने में मदद ही मिल रही है। जय प्लाजा के मामले में पूर्व में कैंट बोर्ड की एक बैठक में अध्यक्ष व कमांडर राजीव कुमार ने अवैध निर्माण न होने देने के आदेश दिए थे, उनके आदेशों के बावजूद वहां दुकानों का अवैध निर्माण पूरा कराने में मदद की गयी। दुकानें बनकर तैयार हो गयीं, वहां शटर आदि लग गए। यह काम जब हुआ जब वहां सील लगायी गयी थी। उसके बावजूद यदि अवैध निर्माण पूरा कर लिया जाता है तो कैंट बोर्ड प्रशासन के उच्च पदस्थ अधिकारियों की जिम्मेदारी तो तय की जानी चाहिए।

-वेस्ट एंड रोड स्थित बंगला 210-ए में सब डिविजन आफ साइट, चेज आफ परपज के गंभीर मामलों के अलावा इस बंगले में एक और कोठी धन शाकुंतलम का अवैध निर्माण तथा इसी बंगले के एक हिस्से में पूर्व में अवैध रूप से फ्लैट बनाकर उनका बिक्रय किया जाना के संबंध में मेरठ कैंट बोर्ड या मेरठ के रक्षा संपदा अधिकारी कार्यालय में अवैध निर्माण, सब डिविजन आफ साइड व चेज आफ परपज होते हुए भी कोई ध्वस्तीकरण कार्रवाई का न किए जाना संबंधित अधिकारियों के सरकार के प्रति उनकी निष्ठा को संदिग्ध साबित करने को पर्याप्त है।

-मेरठ के सरकुलर रोड पर आवासीय बंगला में अवैध रूप से होटल बनवा दिया गया। इस बंगले में व्हाइट हाउस के नाम से हाेटल के अवैध निर्माण की यदि निष्पक्ष जांच करा दी जाए तो मेरठ कैंट बोर्ड तथा रक्षा संपदा अधिकारी कार्यालय के उच्च पदस्थ अधिकारियों की भूमाफियाओं से सांठगांठ बेपर्दा हो जाएगी। आरोप है कि इस बंगले पर भूमाफियाओं ने न केवल अवैध कब्जा किया बल्कि उस कब्जे को कानूनी रूप देने में मदद करने में अधिकारियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन उनकी साजिश कामयाब नहीं हो सकी, यह बात अलग है कि भारत सरकार की इस सपंत्ति मेरठ के सरकुलर राेड स्थित बंगला नंबर 276 में अधिकारियों ने अवैध निर्माण में मदद कर व्हाइट हाउस के नाम से होटल बनवा दिया।

-मेरठ के माल रोड से सटे सैन्य क्षेत्र बीआई लाइन में बंगला नंबर-45 कैंट बोर्ड के पूर्व सदस्य अनिल जैन ने बड़े स्तर पर अवैध निर्माण कर लिया। मानकों के विपरीत जाकर बंगले की चारदीवारी को ऊंचा कर वहां लोहे की ग्रिल लगवा दी हैं। कार्रवाई के नाम पर रक्षा संपदा अधिकारी कार्यालय ने बीते साल महज एक नोटिस चस्पा भर किया था, लेकिन बंगले के भीतर किए गए अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के बजाए हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। इस मामले में रक्षा संपदा अधिकारी कार्यालय के संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जानी आवश्यक है ताकि अन्य के लिए नजीर बने और भविष्य में मेरठ कैंट स्थित भारत सरकार के बंगलों काे खुर्दबुर्द होने से बचाया जा सके।

-मेरठ कैंट बोर्ड में करीब पचाच सौ ऐसे अवैध निर्माण हैं जिनकी वर्तमान में जांच चल रही है। उक्त जांच का संज्ञान सीबीआई द्वारा भी लिया गया है। इन तमाम पूर्व में कराए गए अवैध निर्माणों में  मेरठ कैंट बोर्ड व रक्षा संपदा अधिकारी कार्यालय के कुछ उच्च पदस्थ अधिकारियों की भूमिका की जांच करायी जानी भी अवश्यक है। हैरानी तो इस बात की है कि पहले से अवैध निर्माणों की जांच में घिरे मेरठ कैंट बोर्ड व रक्षा संपदा अधिकारी कार्यालय  के उच्च पदस्थ मेरठ के आबूलन स्थित जय प्लाजा में अवैध रूप से बनायी गयी दुकानों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

श्रीमान जी उक्त मामलों को संज्ञान लेते हुए जांच व कार्रवाई का आग्रह है ताकि देश की पुरानी छावनियों में शामिल मेरठ छावनी को भूमाफियाओं से सुरक्षित रखा जा सके। इस छावनी में अवैध निर्माणों पर अंकुश लगवाया जा सके।

 

भवदीय

शेखर शर्मा

पुत्र केके शर्मा

निवासी-जीएफ-19 अंसल कोर्ट प्लाजा

मेरठ बाईपास-उत्तर प्रदेश

 


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