
फीस वृद्धि की मार हा-हाकार, महंगाई की मार से बेहाल आम आदमी पर अब फीस वृद्धि की मार पड़ी है। प्रदेश की योगी सरकार ने प्राइवेट स्कूलों को फीस वृद्धि की इजाजत दे दी है। इसके लिए बाकायदा आदेश जारी किया गए है। लेकिन योगी सरकार का फीस वृद्धि का यह फैसला अभिभावकों के गले नहीं उतर रहा है। उनका कहना है कि पहले से महंगाई की मार और पेट्रोलियम पदार्थों में जारी मूल्य वृद्धि से बेहाल आम आदमी पर यह बड़ी मार है। फीस वृद्धि के फरमान से अभिभावकों में जबरदस्त नाराजगी है। वहीं दूसरी ओर प्राइवेट स्कूल संचालकों की यदि बात की जाए तो फीस वृद्धि के सरकारी आदेश के बाद वो फूले नहीं समा रहे हैं। उनका कहना है कि अरसे से लंबित मांग पूरी हो गयी है। लेकिन अभी भावकों का आरोप है कि यह फैसला गलत है। इसको वापस लिया जाना चाहिए। सामाजिक सरोकारों से जुड़े विपुल सिंहल ने जानकारी दी कि कुछ प्राइवेट स्कूल संचालकों ने तो कोरोना काल तक की शर्म नहीं की। उस दौरान भी फीस वृद्धि कर दी। इसी मुददे पर newstracker24.in ने अभिभावकों का दर्द साझा करते हुए उनसे बात की।
गाजियाबाद पेरेंट एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा त्यागी ने कहा कि अब वक्त आ गया है जब पेरेंट्स क्रांति होनी चाहिए। यह बेहद शर्मनाक है कि पहले से इतनी महंगी शिक्षा उस पर फीस वृद्धि की मार। बहुत हुआ है अत्याचार।
सामाजिक कार्यकर्ता सरीता सिंहल का कहना है कि योगी सरकार का यह फैसला मीडिल क्लास खासतौर से गरीब मीडिल क्लास के लिए अत्याचार सरीखा है। यदि ऐसा ही रहा तो न कम से कम मीडिल क्लास के बच्चे तो शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाएंगे।
छात्रा मानसी सिंहल फीस वृद्धि के फैसले से बेहद व्याकुल हैं। उनका कहना है कि वर्तमान में महंगाई के जो हालात हैं उसमें हमारे अभिभावकों पर फीस वृद्धि की एक और मार किसी भी प्रकार से उचित नहीं ठहरायी जा सकती
गाजियाबाद पेरेंट एसोसिएशन के पीआरओ विवेक त्यागी ने बेहद सख्त लहजे में सरकारी हुकुम की मजम्मत करते हुए कहा कि बगैर किसी देरी व शर्त से फीस बढ़ाने के आदेश के वापस लिया जाना चाहिए। यह किसी भी तरह स्वीकार्य नहीं है।