अपार आईडी से गुरुजी को दुख अपार

अपार आईडी से गुरुजी को दुख अपार
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अपार आईडी से गुरुजी को दुख अपार,
अंतिम तिथि खत्म होने के बाद भी अटका पड़ा है काम
मेरठ/सूबे के सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की अपार आईडी बनाने के काम में पूरा स्टाफ उलझ कर रह गया है। 31 जनवरी तक अपार आईडी बनाने का काम निपटाने का फरमान जारी किया गया था, लेकिन अपार आईडी का काम निपटत नजर नहीं आ रहा है। वहीं दूसरी ओर शासन में बैठे अफसरों ने प्रदेश भर के सरकारी व प्राइवेट स्कूलों के प्रिसिंपल व अन्य स्टफ से अपार आईडी के कार्य को लेकर अपडेट तलब कर ली है। अपार आईडी बनाने में सबसे बड़ी मुसीबत तकनीकि खमियां व तकनीकि जानकारी की कमी होना बताया गया है। इसी वजह से सरकारी स्कूलों का पूरा स्टाफ अपार आईडी बनाने के चक्कर में हलकान है। इसके बाद भी यह काम पूरा होता नजर नहीं आ रहा है।
यू-डायस पोर्टल पर 31 तक होना था अपलोड
स्कूल के बच्चों की अपार आईडी का पूरा डाटा यू-डायस पोर्टल पर भरे जाने की अन्तिम तिथि 31 जनवरी बीत जाने पर भी काम अभी भी अधूरा ही है। कई तकनीकी कमियों के चलते, यू-डायस पोर्टल की धीमी स्पीड के चलते शिक्षा विभाग को सूचनाये उपलब्ध कराना शिक्षकों व प्रधानाचार्यों सहित बाबुओं के लिये अपार आईडी एक टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। इस संबंध में शिक्षकों व शिक्षक संगठनों ने उच्चाधिकारियों से समय सीमा बढ़ाये जाने की मांग भी की है।
गलती किसी की भरे कोई
अपार आईडी बनाने में सबसे बड़ी मुसीबत मानवीय गलतियों की है। मसलन किसी बच्चे की जन्म तिथि उसके आधार कार्ड में कुछ है जब इसको मैच किया गया तो वहां कुछ दूसरी डिटेल नजर आयी। इसके अलावा जहां बच्चे का जन्म हुआ मसलन नर्सिंगहोम की साइट पर कुछ और दर्शाया जा रहा है। प्रदेश भर की यदि बात करें तो अपार आईडी का कार्य अभी महज तीस फीसदी ही पूरा हो पाया है। पोर्टल पर डाटा के मैच न करने से पोर्टल पर आॅनलाइन सूचनायें अपलो नहीं हो पा रही है और कार्य जस का तस पड़ा हुआ है। इसके अलाावा आधार कार्ड में सूचनाओं की विसंगतियों के कारण नहीं हो पा रही है।
अभिभावकों की करनी पड़ रही भुगतनी
उधर जिला विद्यालय निरीक्षक व बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्य न होने पर विद्यालय व प्रिसपल के खिलाफ कार्यवाही करने की धमकी दे रहे है। आधार कार्ड में हुयी विसंगतियों के प्रति अभिभावक भी जिम्मेदार है। विद्यालय में प्रवेश के समय अंकित करायी गयी सूचनाओं में अपनी मर्जी से जन्म-तिथि, नाम में परिवर्तन करा कर आधार कार्ड बनवा लेते है। बाद में यही आधारकार्ड अपार आइडी के लिये दे है। जिससे डाटा मैच न हो पाने के कारण अपार आईडी बन नहीं पा रही है। आधार में त्रुटि सुधार में अभिभावक कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे है। जिसके कारण अपार आईडी का कार्य अटका पड़ा है।वही शिक्षक संगठनों का कहना है कि शिक्षा का अधिकार के तहत अपार आईडी अनिवार्य नहीं है। विभागीय अधिकारी मात्र परेशान करने के लिये आदेश जारी कर देते है। छात्र से संबंधित जानकारी पेन (परमानेंट एजुकेशन नंबर) से ही मिल जाती है। वहां अपार आईडी का क्या मतलब है? एक शिक्षक के अनुसार पेन तो बच्चों का विद्यालय से ही प्राप्त हो जाता है जबकि अपार के लिये बच्चों को डिजिटल लॉकर पर आईडी बनानी होगी जो अव्यवहारिक है। महानिदेशक बेसिक शिक्षा ने अपार आईडी का कार्य समय पर न पूरा होने पर सरकारी शिक्षकों के वेतन कटौती की बात कही थी।

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