indian honey-विदेशी मांगे मोर

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indian honey-विदेशी मांगे मोर, विदेश में बढ़ रही है भारतीय शहद की मांग मेरठ में गंगा नगर स्थित आईआईएमटी विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संकाय में एक वेबीनार का आयोजन किया गया जिसमें 50 से अधिक विद्यार्थियों तथा शिक्षकों ने भाग लिया। मुख्य वक्ता प्रोफेसर बलराज सिंह भूतपूर्व कुलपति कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर एवं वर्तमान में राष्ट्रीय समन्वयक मधुमक्खी पालन एवं परागण (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) पूसा इंस्टीट्यूट नई दिल्ली नेअपने उद्बोधन में बताया कि भारतवर्ष में शहद का उत्पादन (2013-14) 76150 मेट्रिक टनकी तुलना में लगभग 60% 120000 मेट्रिक टन (2019-20)बढ़ चुका है। इसी के सापेक्ष वर्तमान में निर्यात भी 110% तक बढ़ चुका है। भारतीय शहद की मांग विदेशों में अधिक होने के कारण इसको व्यवसाय के रूप में अपनाने पर अत्यधिक लाभ की संभावनाएं हैं। उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालक के रूप में मधु के बॉक्सेस को ऐसे स्थान पर रखना चाहिए जिस क्षेत्र में पेस्टिसाइड एवं रसायनों का कम से कम उपयोग किया गया हो। तथा वर्ष भर पराग एवं परागकण एवं मकरंद (नेक्टर) की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए क्रॉप कैलेंडर भी ऐसा बनाना चाहिए जिससे विभिन्न फसलों के मौसम के अनुसारफूलों का उत्पादन लगातार होता रहे। अन्यथा बक्सों को अन्यत्र स्थान पर ले जाने की आवश्यकता पड़ती है। डीन डॉ एनके प्रूथी ने प्रो बलराज सिंह द्वारा दी गयी महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए आभार व्यक्त किया तथा भविष्य में भी आप द्वारा हमारे संस्थान को मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान विकसित करने में मदद देने की अपेक्षा की। वेबीनार को सफल बनाने मेंअनुज मिश्रा, डॉ राजकुमार सिंह,डॉ राजकुमार एवं अन्य शिक्षकों का सहयोग रहा।

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