कभी भी गिर सकता है हरि लक्ष्मी लोक

कभी भी गिर सकता है हरि लक्ष्मी लोक
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कभी भी गिर सकता है हरि लक्ष्मी लोक, हजारों लोगों की जान खतरे में व्यापारियों का भी सौ करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो सकता है, इसको महज आशंका भर न समझा जाए, जो कुछ सामने दिखाई दे रहा है उसके चलते मेरठ शहर के बीचों-बीच स्थित हरिलक्ष्मी लोक कभी भी भर भरकर बैठ सकता है या फिर ध्वस्त हो सकता है, यह भी संभव है कि वह पीछे की ओर जो कालोनी या कहें इलाका उससे समीप है उस ओर ढह जाए। इसकी ठोस वजह भी है, दरअसल हरिलक्ष्मी लोक जिस नींव पर टिका हुआ है, उस नींव ने जमीन का साथ लगभग छोड़ दिया है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि ईव्ज चौराहा के आसपास जितनी भी आबादी है उस सारी आबादी का घरों से निकलने वाला पानी हरिलक्ष्मी लोक बिल्डिंग की नींव में जा रहा है। इस बिल्डिंग के अध्यक्ष व वरिष्ठ व्यापारी नेता सुधांधू जी महाराज बताते हैं किलगभग 20 वर्षों से हरि लक्ष्मी लोक बिल्डिंग की नीव में सीवर का पानी जा रहा है हल्की सी बारिश में बेसमेंट की दीवारों से पानी निकल आता है कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है शहर की सबसे पुरानी बिल्डिंग है नगर निगम के अधिकारियों ने आंखें मूंद रखी हैं कई बार आंदोलन भी किए पर उनकी इस बिल्डिंग पर नजर नहीं जाती नगर निगम के अधिकारी हो सकता है कोई बड़ा हादसा होने का इंतजार कर रहे हैं यह बिल्डिंग कभी भी धराशाई हो सकती है। सुधांशु जी महाराज एक अरसे से हरिलक्ष्मी लोक में रहने वालों की जानमाल को खतरा जानकर नगर निगम प्रशासन के अफसरों को नींद से जगाने का प्रयास भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यदि इस साल बारिश से पहले हरिलक्ष्मी लोक बिल्डिंग की नीव में जाने वाले पानी को नहीं रोका गया तो हो सकता है कि यह बारिश हरिलक्ष्मी लोक बिल्डिंग, इसमें रहने वाले लोग तथा कारोबार करने वाले व्यापारियों पर गरां यानि भारी गुजरें। अगर ऐसा हुआ तो इसके लिए सीधे-सीधे नगर निगम प्रशासन तथा भाजपा के वो नेता जिन्होंने इस इलाके में नाला निर्माण के लिए जो रकम कई साल पहले नगर निगम प्रशासन से रिलीज करायी थी, उसमें अड़गा लाकर नाला निर्माण का काम रूकवा दिया था। उन्होंने बताया कि नींव में पानी बुरी तरह से बैठ गया है। जब नींव में जगह नहीं बची तो यह पानी दुकानों का फर्श तोडकर बाहर निकलने लगा है। दीवारों से रिस-रिस कर बाहर आ गया है। यहां हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कारोबार का कराना अब दुश्वार हो गया है। सुधांधु जी महाराज बताते हैं कि सबसे ज्यादा चिंता उन्हें इस बिल्डिंग में रहने वालों की  जिंदगी की है। पैसा तो कमाया जा सकता है लेकिन यदि जान पर बन आयी तो उस हानि की भरपाई संभव नहीं है।

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