काबिल को बना डाला डिफाल्टर

काबिल को बना डाला डिफाल्टर
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काबिल को बना डाला डिफाल्टर, जो काबिल टीचर थी उस पर डिफाल्टर का तमगा लगाना मेरठ जिला के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भारी पड़ गया। मामला जब सीएम योगी तक पहुंचा तो अब महकमे के मेरठ के बेसिक शिक्षा अधिकारी लीपापोती व सफाई देने पर उतर आए हैं। जिला के बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की यह कारगुजारी अब भले ही उन पर भारी पड़ रही हो और खुद की गर्दन बचाने को एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ने की कोशिश की जा रही हों, लेकिन जिस टीचर को डिफाल्टर साबित करने का प्रयास किया गया, उसको काफी मानसिक वेदना से होकर गुजरना पड़ा। दरअसल इस मामले की यदि बात की जाए तो टीचरों को परेशान करने के खेल में मामले से जुड़े अधिकारी अपनी ही गलती से हिट विकेट हो गए हैं।

यह है पूरा मामला:

मेरठ जनपद के विकास क्षेत्र रजपुरा के जूनियर हाई स्कूल रजपुरा में सहायक अध्यापिका शिप्रा कुशवाह से यह पूरा मामला जुड़ा है, जिन्हें कारगुजारियां दिखाते हुए बेसिक शिक्षा विभाग के मेरठी अधिकारियों ने बाकायदा एलानिया डिफाल्टर बना डाला। इसको लेकर शिप्रा कुशवाह निवासी गोरखपुर  ने 8 जून 2023 को जिलाधिकारी काे पत्र लिखकर बताया कि साल 2015 से वह जूनियर हाईस्कूल रजपुरा में बतौर सहायक शिक्षक कार्यरत हैं। जिस वक्त उन्होंने कार्यभार ग्रहण किया था, उस समय स्कूल में मात्र 15 बच्चे थे। सकारात्मक छवि, शैषणिक योग्यता व दृढ निश्चय का ही यह परिणाम है कि आज इस स्कूल में सौ से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं। इसके बावजूद डिफाल्टर लिस्ट में नाम को शामिल इसलिए कर दिया गया ताकि मेरी छवि नारात्मक व धूमिल हो जाए। जिलाधिकारी को प्रेषित पत्र में शिप्रा कुशवाह ने बेसिक शिक्षा के मेरठी अधिकारियों पर क्षेत्रवाद से ग्रसित होने के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि यह सब उनके साथ तब किया गया जब वह लगातार परिश्रम से स्कूल में अभूतपूर्व सुधार लाने में सफल रही हैं।

सेलरी पर बैठाया पहरा:

शिप्रा कुशवाह ने बताया कि 25- दिसंबर-2022 को पोर्टल बंद होने की स्थिति में आकस्मिक अवकाश हेतु विद्यालय इंचार्ज इरम जहां, एसएमसी अध्यक्ष व खंड विकास अधिकारी को लिखित तौर पर सूचना के बावजूद अनुपस्थित मानकर शिप्रा का एक दिन यानि 25 दिसंबर 022  का वेतन रोक दिया गया। अगले दिन डायट की गीता चौधरी ने स्कूल का निरीक्षण किया। उस दिन शिप्रा अवकाश पर थीं, लेकिन गीता चौधरी ने उन्हें अनुपस्थित दर्शा दिया और बाकि रही सही कसूर खंड शिक्षा अधिकारी कमलराज ने सेलरी काट कर पूरी कर दी।

नियमावली रद्दी की टोकरी में

आरोप है कि परेशान करने पर उतारू बेसिक शिक्षा विभाग के मेरठी अधिकारियों ने विभाग के कायदे कानून भी रद्दी की टोकरी में फैंक दिए। शिप्रा का कहना है कि नियमानुसार मासिक कार्यकाल हर माह की बीस तारीख को पूरा हो जाता है। इस प्रकार माह दिसंबर में वेतन रोके जाने का कोई औचित्य ही नहीं बनता। यदि वेतन काटना भी था तो माह जनवरी में काटते। हालांकि वह तो बाकायदा सूचित करने के बाद ही अवकाश पर थीं। इतना ही नहीं परेशान करने के चलते ही  इसके बाद माह फरवरी में एक बार फिर एक दिन का वेतन रोक दिया गया। इस संबंध में जब अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्होंने निस्तारित करते हुए सफाई दी कि यह त्रुटिवश हो गया।

गोरखपुर से एप्रोच के बाद सुनवाई:

शिप्रा का कहना है कि करीब छह माह से जब लगातार उन्हें परेशान किया जाता रहा तो उन्होंने अपने गृह जनपद गोरखपुर के रहने वाले सूबे के सीएम तक अपनी बात पहुंचायी, उसके बाद ही वेतन बहाली का आदेश जारी किया जा सका। पीड़ित टीचर ने जिलाधिकारी से खंड शिक्षा अधिकारी रजपुरा के खिलाफ कठोर कार्रवाई का आग्रह इसलिए किया ताकि भविष्य में किसी अन्य टीचर को इस प्रकार के मानसिक अवसाद न गुजरना पड़े। दरअसल शिप्रा गोरखपुर के महाराजा प्रताप इंटर कालेज में पढ़ी हैं जो महाराज के ट्रस्ट द्वारा संचालित किया जाता है। इसके अलावा उन्होंने गोरखपुर मठ से भी काल कराया था।

डीएम को रिपोर्ट का इंतजार:

बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से इस मामले में स्पष्टीकरण देने के लिए खंड़ शिक्षा अधिकारी कमल राज को 14 जून को 2022 को पत्र भेज कर यह भी अवगत कराया था कि इस मामले को लेकर गंभीर जिलाधिकारी ने फाइल पुटअप करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन जिला के बेसिक शिक्षा अधिकारी डीएम के आदेशों को लेकर कितने गंभीर हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 20 जून की सुबह दस बजे तक भी यह खंड़ शिक्षा अधिकारी कार्यालय से संबंधित प्रकरण को लेकर स्पष्टीकरण नहीं भेजा जा सका था।

वर्जन

रिश्वत मांगी गयी:

 सेलरी रोके जाने की जानकारी मिलने पर जब वह खंड़ शिक्षा अधिकारी से मिलने गयी तो उनसे रिश्वत की मांग की गयी। निदंनीय व आपत्तिजनक व्यवहार किया गया। इसी के चलते उन्हें शिकायत करनी पड़ी। अपनी परेशानी सीएम योगी यानि महाराज तक पहुंचानी पड़ी। इस मामले को लेकर महिला आयोग, थाना, सीएम कार्यालय, डीएम व सीडीओ समेत कई जगह शिकायत कर कार्रवाई का आग्रह किया है।

-शिप्रा कुशवाह

जूनियर हाईस्कूल रजपुरा के निरीक्षण के बाद ही यह सारा घटनाक्रम हुआ। कोई गलत मंशा नहीं। जिलाधिकारी के आदेश पर बेसिक शिक्षा अधिकारी मेरठ ने जो स्पष्टीकरण मांगा है उसको 21 जून को भेज दिया जाएगा।

-कमलराज खंड़ शिक्षा अधिकारी रजपुरा-मेरठ

इस मामले की फाइल 8 जून तक पेश किए जाने के जिलाधिकारी के आदेश के अनुपालन में देरी को लेकर जब बेसिक शिक्षा अधिकारी सुदर्शन लाल से सवाल के लिए उनके मोबाइल पर काॅल किया गया तो दूसरी ओर से काल रिसवी नहीं की गयी।

गले की बनेगा फांस प्रकरण

शिप्रा कुशवाह के दो बार एक-एक दिन की सेलरी रोके जाने की कारगुजारी लगता है कि मेरठ के बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों के गले की फांस बने जा रहा है। शिप्रा ने बताया कि महिला आयोग में जो शिकायत की गयी है, उसका संज्ञान ले लिया गया है। इतना ही नहीं महिला आयोग ने इस संबंध में जिला प्रशासन व संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण भी मांगा है। इसके अलावा एक जांच पुलिस क्षेत्राधिकारी कर रहे हैं। उन्होंने आरोपियों पर एफआईआर के लिए थाने में भी तहरीर दी है। इस मामले को लेकर शिप्रा कुशवाह ने जितने बड़े स्तर पर लिखा पढ़ी की है, उसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मुश्किल बढ़ना तय है। इतना ही नहीं इस मामले में आरोपियों को लीगल नोटिस भी जारी किया है जिसमें मानहानि की बात कही गयी है।

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