कर्ज उतारने को बापू के सपने की नीलामी, इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ दूसरा हो ही नहीं सकता कि भारत जैसे देश और वो भी 1857 के प्रथम स्वातंत्रा संग्राम की गवाह रही मेरठ की मिट्टी पर साकार हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपने को अपना कर्ज उतारने के लिए नीलाम करने पर तुला है। यहां सवाल सरकारों पर भी है। धन्नासेठों के कर्ज माफ किए जा सकते हैं तो फिर मेरठ के गढ रोड स्थित गांधी आश्रम का क्यों नहीं। यह सवाल सांसद, विधायक, मंत्री व सिस्टम से भी है। गांधी आश्रम की करोड़ो रूपये की जमीन की नीलामी को जिला प्रशासन ने रोक दिया। प्रशासन की टीम ने वहां पहुंचकर नीलामी प्रक्रिया को रुकवा दिया और कोर्ट के फैसले तक मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं करने की चेतावनी दी। गांधी आश्रम की गढ़ रोड़ स्थित खसरा नंबर 5852 में स्थित 800 वर्गमीटर जमीन की नीलामी की कोशिश विवादों में आ गई है। कोर्ट में मामला होने के बाद भी गांधी आश्रम प्रबंध समिति जमीन की नीलामी करा रही थी। यह जमीन गांधी आश्रम के प्रबंधन में कुमार आश्रम के नाम से थी। जमीन के मालिकों ने जब अपना हक मांगा तो मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया। 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि उक्त जमीन से 800 वर्ग मीटर जमीन गांधी आश्रम को दान दी जाए, क्योंकि उसने लंबे समय तक इसकी देखभाल की है। आदेश पर अमल करते हुए जमीन के मालिक राजकुमारी पत्नी स्व. केएल कपूर और रानी कपूर आदि ने जमीन का दान पत्र तैयार कर गांधी आश्रम के पक्ष में रजिस्ट्री कर दी। रजिस्ट्री में यह भी स्पष्ट कर दिया कि गांधी आश्रम इस जमीन को व्यावसायिक नहीं बल्कि आवासीय उपयोग करेगा। गांधी आश्रम ने इसका कोई उपयोग नहीं किया और जमीन की चहारदीवारी कराकर एक गेट लगा दिया गया। गांधी आश्रम के सचिव पृथ्वी सिंह रावत का कहना है कि गांधी आश्रम पर वर्तमान में चार करोड़ रुपये बैंक लोन है, जबकि दो करोड़ के करीब कर्मचारियों की देनदारी है। कोरोना काल में गांधी आश्रम का कारोबार पूरी तरह प्रभावित हो चुका है, जिस कारण जमीन की नीलामी की जा रही है।