कार्रवाई या फिर बचाव का रास्ता, कैंट बोर्ड की बैठक में अध्यक्ष/कमांडर राजीव कुमार की नसीहत भरी हिदायत और चाहुं ओर उठ रही उंगलियों के बाद देर से ही सही आखिरकार कैंट बोर्ड प्रशासन की नींद टूट ही गयी और मेरठ शहर के आबूलेन स्थित आवासीय बंगला-182 को खुर्दबुर्द कर बनार गए अवैध कामर्शियल कांप्लैक्स जय प्लाजा में पिछले दिनों बनायी गयी दुकानें सील कर दी गयीं। हालांकि ऐसे लोगों की कमी नहीं जो जय प्लाजा में कैंट बोर्ड द्वारा लगायी गयी सील को अवैध निर्माण करने वालों को बचाव का रास्ता देना बता रहे हैं। उनका तर्क है कि अवैध निर्माण के मामलों को लेकर कैंट बोर्ड प्रशासन की ध्वस्तीकरण की रिवायत रही है, वाे रिवायत जय प्लाजा आबूलेन पर भी नजर आनी चाहिए थी।
शुरू से ही संदिग्ध कार्यप्रणाली
आबूलेन स्थित बंगला-182 में अवैध निर्माण कर बनायी गयी दुकानों को लेकर कैंट बोर्ड के उच्च पदस्थ अधिकारियों की कार्यप्रणाली शुरू से ही संदिग्ध और सवालों के घेरे में रही है। घनी आबादी वाले आबूलेन इलाके में स्थित आवासीय बंगला-182 जय प्लाजा में दुकानें कोई रातों रात नहीं बनायी गयी हैं। इन दुकानों को बनाने में कई माह का समय लगा है। पूरे शहर को पता होता है कि जय प्लाजा में अवैध निर्माण चल रहा है, लेकिन कैंट बोर्ड के अधिकारी इससे पूरी तरह से अंजान रहते हैं। ग्राउंड फ्लोर की मंजिल पर लैंटर डाल दिया जाता है। फर्स्ट फ्लोर पर भी लैंटर डाल दिया जाता है, लेकिन कैंट बोर्ड प्रशासन को भनक तक नहीं लगती।
बोर्ड बैठक में कमांडर की नाराजगी
आबूलेन स्थित आवासीय बंगला-182 के जय प्लाजा में ऊंपर नीचे दुकानें बना दी जाती हैं, इनकी खबर कैंट बोर्ड अध्यक्ष/कमांडर को तो होती है, लेकिन जो हालात नजर आते हैं उसके चलते लगता है कि शायद कैंट बोर्ड प्रशासन इतने बड़े अवैध निर्माण से पूरी तरह से अंजान था। उन्हें भनक तक लगती है जब विगत बोर्ड की बैठक में बोर्ड अध्यक्ष इसको लेकर नाराजगी जताते है और जय प्लाजा में अवैध निर्माण बंद कराए जाने को लेकर नसीहत भरी हिदायत देते हैं। साथ ही यह भी कि आगे कोई अवैध निर्माण जय प्लाजा में नहीं कराया जाना चाहिए।
कमांडर की नसीहत और अवैध निर्माण जारी
बोर्ड की उक्त विगत बैठक में अध्यक्ष सख्त लहजे में नसीहत देते हैं लेकिन दुखद पहलू यह है कि बोर्ड अध्यक्ष ने जिस दौरान बैठक में नसीहत भरी नाराजगी जतायी थी उस वक्त सील की गयी दुकानों का काम अधूरा पड़ा था। अध्यक्ष की नसीहत काे कितनी गंभीरता से लिया गया इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अवैाध निर्माण कर बनायी गयी दुकानों का काम न केवल पूरा हाे गया बल्कि वहां शटर लगाकर रंगाई पुताई भी करा दी गयी। जानकारों का मानना है कि ऐसा तब होता है जब किसी अवैध निर्माण को पुराना साबित किया जाना होता है।
कार्रवाई करने वाले बताते बचाव का रास्ता
आमतौर पर होता यह है कि कैंट बोर्ड प्रशासन जब किसी अवैध निर्माण खासतौर से जय प्लाजा सरीखे अवैध निर्माण पर नोटिस या सील सरीखी कार्रवाई करता है तो उसके पीछे असली मकसद उक्त अवैध निर्माण को बचाने का रास्ता भर देना होता है। होना तो यह चाहिए कि पूर्व में दिए गए नोटिसों के बाद पीपीपीई की कार्रवाई व ध्वस्तीकरण किया जाए, लेकिन ऐसा केवल गरीब के साथ होता है जय प्लाजा सरीखे कांप्लैक्सों में अवैध निर्माण करने वालों के लिए या फिर इसी तर्ज पर बाउंड्री रोड स्थित 22बी में अवैध होटल, सरकुल रोड पर व्हाइट आउस, रजबन में पंजाबी तड़का जिसका अब नाम अब गोल्ड स्पून रख दिया गया है या फिर आबूलेन स्थित बंगला 173 की अवैध दुकानें बनाने वालों के लिए सील की कार्रवाई के पीछे मकसद कार्रवाई नहीं बल्कि ध्वस्तीकरण सरीखी किसी भी संभावित कार्रवाई से अवैध निर्माण को महफूज रखने के लिए कोर्ट जाने का रास्ता देना होता है। माना जा रहा है कि ऐसा ही जय प्लाजा मामले में होने जा रहा है।
जब इस संबंध में सीईओ कैंट से पूछा गया तो तो उन्होंने बताया था कि अवैध निर्माण है जिसमें विधिक कार्रवाई की जा चुकी है।