“कथा संवाद” में गंभीर चर्चा, गाजियाबाद। मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन के कथा संवाद में कुछ गंभीर चर्चाएं की गईं जिसकी उम्मीद आमतौर पर लेखकों से ही की जा सकती है। लेखक हरि सुमन बिष्ट ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि लेखक का धर्म कागज काले करना नहीं बल्कि व्यक्ति को मनुष्य बनाना होता है। हमारे पास मनुष्य नाम का जो व्यक्ति था, आजादी मिलने के बाद हमने उसे मार दिया। संवादहीनता के बढ़ते दौर में ऐसे आयोजन ही जड़ता को तोड़ने का काम करते हैं। इस कार्यशाला में सुनी गई पकी-अधपक्की रचनाएं भविष्य के प्रति आश्वस्त करती हैं। मुख्य अतिथि और सुप्रसिद्ध रचनाकार राकेशरेणु ने कहा कि ऐसी कार्यशाला हमारी कल्पनाशीलता को मूर्त रूप देने के साथ यह भी सिखाती हैं कि हमारी रचना की भाषा और शिल्प कैसे गढ़ा जाता है। हमारे रचनाक्रम में शामिल होने से पहले बहुत कुछ लिखा जा चुका है, बहुत कुछ प्रकाशित हो चुका है। उसे पढ़ भी लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में सुनी गई कई कहानियां रुढ़िवादिता और अंधविश्वास के परंपरागत खांचों से बाहर नहीं निकल पाई हैं। खांचों को तोड़कर ही समाज का कल्याण संभव है।
“कथा संवाद” में प्रतिभा प्रीत की कहानी ‘मुक्ति’, शकील सैफ की ‘करामाती जिन्नात’, सिमरन की ‘मां’, तेजवीर सिंह की ‘गुनमुनी’, मनु लक्ष्मी मिश्रा की ‘मृत्यु नहीं जीवन’, डॉ. अजय गोयल की ‘इंडिया मस्ट बी ब्लेड’, संस्था के अध्यक्ष शिवराज सिंह की ‘आत्मा’ और डॉ. प्रीति कौशिक की शीर्षक विहीन कहानी पर हुए विमर्श में सुभाष चंदर, सुरेंद्र सिंघल, आलोक यात्री, अनिल शर्मा, हंसराज सिंह, सत्यनारायण शर्मा ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन लेखिका रिंकल शर्मा ने किया। इस अवसर पर डॉ. बीना शर्मा, सिनीवाली शर्मा, नेहा वैद, डॉ. निधि अग्रवाल, अनिल मीत, पवन कुमार ‘पवन’, अक्षयवरनाथ श्रीवास्तव, संजीव शर्मा, सरोज गुप्ता, नित्यानंद तुषार, डॉ. मिथिलेश भास्कर, बी. एल. बतरा, राजीव सिंघल, जावेद खान सैफ, आचार्य शील भास्कर, अंजलि, टेकचंद, सौरभ कुमार, निकिता करायत, पराग कौशिक, शिवानी, हेमलता, अभिषेक कौशिक, कुलदीप, राममूर्ति शर्मा, गजेंद्र चौधरी, साजिद खान सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित थे।