क्यों कार्रवाई में कांप रहे हाथ

क्यों कार्रवाई में कांप रहे हाथ
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क्यों कार्रवाई में कांप रहे हाथ, गरीबों के नाम पर करीब साढ़े तीन करोड़ की चपत सूबे की सरकार को लगाने वाले तथा गरीबों के नाम पर उनका निवाला डकारने वालों पर कार्रवाई का वो गरीब बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं जिनके नाम पर यह शर्मसार करने वाले हरकत खाद्य आपूर्ति विभाग के अफसरों ने। ऐसे अफसराें क खिलाफ कार्रवाई को सूबे की योगी सरकार ने एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने अपनी रिपोट में तत्कालीन डीएसओ व कई एआरओ तथा सप्लाई इंस्पेक्टराें समेत 69 राशन डालरों को भी घोटाले का कसूरवार माना था।

डा. वाजपेयी की शिकायत का सीएम योगी ने लिया था संज्ञान

राज्यसभा सदस्य डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने जानकारी दी कि जब यह मामला उनके संज्ञान में आया तो साल 2018 में उन्हाेंने एक पत्र लिखकर सीएम से जांच कराए जाने का आग्रह किया था। उनकी शिकायत को गंभीरता से लेते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक एसआईटी का गठन कर दिया था। एसआईटी के अफसर मेरठ आए थे। यहां उन्होंने कई दिन रहकर जांच पड़ताल की थी। हालांकि आरोप है कि उस जांच को भी घोटाले को अंजाम देने वालों ने प्रभावित करने का पूरा प्रयास किया, लेकिन जाचं पूरी हुई और कथित तौर से गरीबों के नाम पर निवाला डकारने वालों के नाम भी सामने आए।

बड़ी संख्या में राशन कार्ड निरस्त

एसआईटी की जांच के उपरांत निवाला डकारने के इस प्रकरण में मेरठ जनपद में बड़ी संख्या में फर्जी राशन कार्ड भी निरस्त किए गए। इसके अलावा यूनिट भी खत्म की गयीं। शासन की एसआईटी के आदेश पर हुई इस कार्रवाई से हड़कंप मचा रहा। कई घाेटालेबाज तो तब अंडरग्राउंड तक हो गए थे। लेकिन डा. वाजपेयी की सख्ती व निगरानी के चलते एसआईटी के काम में बाधा डालने के मंसूबे धरे के धरे रह गए।

ऐसे दिया गया अंजाम घोटाला

घोटाला अंजाम देने वालों ने दरअसल गरीबों के नाम निवाला डकारने का यह करनामा अंजाम देने के लिए बड़ी संख्या मे राशन कार्डों में फर्जी यूनिट जोड़ दीं। लेकिन ज्यादा राशन कार्ड ऐसे थे जिनमें से जांच के दौरान यूनिट काट दी गयी थीं। आरोप है कि जिन राशन कार्डों की यूनिट काटी गयीं, घोटाले को अंजाम देने वालों नेक उन काटी गयी यूनिट का भी राशन सरकारी गोदाम से उठाया और यह सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक डा. लक्ष्मीकांत वाजेपी की शिकायत पर शासन की गठित एसआईटी ने ऐसे राशन कार्ड निरस्त नहीं करा दिए।

अफसरों को बचाने का मंसूबा

एसआईटी ने अपनी जांच में तत्कालीन डीएसओ के अलावा कई एआरओ व सप्लाई इंस्पेक्टरों के अलावा प्राइवेट ऑपरेटर जिसका आज तक यही नहीं पता चला कि वह काम कैसे कर रहा था, क्योंकि जो काम वह कर रहा था सरकारी नियमों के अनुसार उस सीट पर कोई भी प्राइवेट कर्मचारी नहीं बैठाया जा सकता है, लेकिन यहां डीएसओ कार्यालय में यह सब खेल चल रहा था। प्राइवेट आपरेटर के अलावा 69 राशन डीलरों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गयी। शाहनवाज को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। राशन डीलरों पर मुकदमे दर्ज हैं लेकिन उन अफसरों का क्या जिनके साइन से घोटाला अंजाम दिया गया।

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