महानिदेशक बेसिक के आदेश पालन के नाम पर सिर्फ खेल

महानिदेशक बेसिक के आदेश पालन के नाम पर सिर्फ खेल
Share

महानिदेशक बेसिक के आदेश पालन के नाम पर सिर्फ खेल, महानिदेशक बेसिक के आदेश पालन के नाम पर सिर्फ खेल,  उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा महानिदशेक व प्रमुख सचिव के आदेशों के पालन के नाम पर मेरठ में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के अधिकारी सिर्फ और सिर्फ खेल कर रहे हैं।
पहले महानिदेशक के आदेश, उसके साथही प्रमुख सचिव के लगातार अनेक पत्र और अब हाईकोर्ट का आदेश, इसके बाद क्या एडी बेसिक व बीएसए मठाधीश बाबू प्रदीप बंसल को हिला पाएंगे।
मेरठ मंडल के अलावा प्रदेश के बाकि अन्य सभी मंडलों व जनपदों में लिपिक 4 जुलाई 2021 के आदेश के बाद बीआरसी में भेज दिए गए हैं।
समीक्षा क्यों नहीं अब तक:-पिछले करीब बीस से पच्चीस सालों के दौरान जो भी आदेश हुए हैं उनको मेरठ मंडल क्या लागू किया गया है इसकी समीक्षा या परीक्षण अभी तक क्यों नहीं किया गया। इसके लिए कौन जिम्मेदार है। क्यों सीएम कार्यालय इसका संज्ञान लेगा।
इसकी पड़ताल में बेसिक के मठाधीश व कमाऊ पूत कहलाने वाले कुछ लिपिकों का बेहद चौंकाने वाला खेल सामने आया है। यह खेल ही नहीं बल्कि महानिदेशक के आदेशों को उलटने पलटने के नाम पर साजिश की श्रेणी में रखा जा सकता है। अब इसकी क्रोनोलॉजी समझ लीजिए। मसलन कोई आदेश महानिदेशक कार्यालय से हुआ। उस आदेश के आनुपालन के नाम पर मेरठ बेसिक कार्यालय में महानिदेशक के आदेश के अनुपाल का उल्लेख करते हुए आदेश करा दिया जाता है। कृत कार्रवाई से महानिदेशक को अवगत करा दिया जाता है। लेकिन इसके बाद मठाधीशों का असली खेल शुरू होता है। कृत कार्रवाई का पत्र भेजे जाने के कुछ दिन बाद एक अन्य आदेश स्थानीय स्तर पर निकाला जाता है। जिसमें बताया जाता है कि पूर्व की व्यवस्थां ही लागू रहेंगी। महानिदेशक के आदेशों को रद्दी की टोकरी में फैंकते हुए पूर्ववर्ती व्यवस्था करने के इस आदेश की कापी शासन या कहें महानिदेशक कार्यालय को भेजने के बजाए स्थानीय स्तर पर ही डंप कर दी जाती हैं।
अनुपालन या फिर खेल:-महानिदेशक कार्यालय से आने से वाले आदेशों को किस प्रकार से डंप किए जाने का यह खेल केवल मेरठ के ही बीएसए कार्यालय  में चल रहा है। मंडल के अन्य जनपदों में महानिदेशक के आदेशों का अनुपालन किया जा रहा है। साथ ही कृत कार्रवाई से महानिदेशक कार्यालय को अवगत भी कराया जाता है, लेकिन मेरठ बीएसए कार्यालय में किस प्रकार से कृत कार्रवाई से अवगत कराने के बाद खेल कर दिया जाता है, इसका खुलासा वाकई चौकाने व हैरान कर देने वाला है।
कोर्ट के आदेश के बाद क्या: – ब्लाक पर भेजे जाने का विरोध केवल पटल परिवर्तन कार्यालय परिवर्तन नहीं कोर्ट ने आदेश जिला में कहीं भी कार्य को भेजा सकता है बेसिक शिक्षा के। कोर्ट के इतर पूर्व में इनकी नियुक्ति भी ब्लाक पर होनी थी।
यह है परिषदीय व्यवस्था:- 12 मार्च 1997 सचिव बेसिक शिक्षा परिषद,  जिसके अधीन परिषदीय बाबूओं की सेवाएं  होती है,  उन्होंने एक  आदेश किया कि भविष्य में जो भी नियुक्ति व चतुर्थ श्रेणी से प्रमोशन होगा वह स्वीकृत पदों पर बाबूओं के जिला में उनके सापेक्ष आधार पर नियुक्ति ब्लाक स्तर पर जो बेसिक शिक्षा का कार्यालय यानि बीआरसी है,  वहां की जाएगी। लेकिन मेरठ  जनपद में कुछ पूर्ववर्ती बेसिक शिक्षा अधिकारियों जो मठाधीश लिपिकों की कठपुतली बनकर काम करने को लेकर खासे बदनाम रहे हैं उन्होंने इसमें खेल करने में मुख्य भूमिका निभाई।
मठाधीश को नहीं हिला सके आदेश:- शासन के स्पष्ट आदेशों के बावजूद जिन्हें आज मठाधीश कहा जाता है ऐसे लिपिकों ने  खेलकर अपनी नियुक्ति जिला मुख्यालय पर नियुक्ति करा ली। साल  2008 तक इसकी व्याख्या करते हुए कई आदेश आए। इन आदेशों में कहा गया है कि इनसे ब्लाक कार्यालय पर भी परिषदीय कार्य लिया जाए। लेकिन इस आश्य के आदेश दबा दिए गए।्र 23 जून 2021 को अपर प्रमुख सचिव रेनुका कुमार व महानिदेशक स्कूली शिक्षा विजय करण आनंद ने भी आदेश किए थे। इसके अनुपालन में दोबारा बेसिक शिक्षा सचिव प्रताप सिंह बधेल ने 4 जुलाई 2021 को प्रदेश के सभी बीएसए व मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक को पत्र जारी कर आदेशित किया कि उपरोक्त दोनों पत्रों के अनुपाल में जनपद के बेसिक शिक्षा अनुभाग में चाहे खंड शिक्षा अधिकारी मुख्यालय या जनपद में अन्य कहीं भी कार्यरत परिषदीय लिपिकों को नियुक्ति की तिथि से अवरोही क्रम में जनपद के प्रत्येक विकास खंड पर या कहें बीआरसी पर यदि संभव हो तो दो दो लिपिकों की नियुक्ति  करें। इसके अलावा आदेश मेे यह भी स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई कर कृत कार्रवाई की सूची व प्रमाण पत्र सचिव परिषदीय कार्यालय को प्रेषित किया जाए।
अनुपालन के नाम पर कर दिया गया खेल:- उक्त आदेश के अनुपाल के नाम पर मठाधीश लिपिक ने खेल कर दिया। हुआ यह कि  मेरठ में 1 अप्रैल 2022 को एक आदेश निकाला जाता है।  इस आदेश में मेरठ में परिषदीय कार्यालय में कार्यरत 16  लिपिकों में से आठ को बीआरसी भेज दिया जाता है। वहीं शासन से जो आदेश आया है उसमें कहा गया है कि कार्य तो बीआरसी में लिया जाएगा लेकिन वेतन आहरण पूर्व की भांति होता रहेगा। केवल आठ लिपिकों को बीआरसी में भेजा जाता है, जबकि एक मठाधीश भ्रष्टाचार के मामले में फंसा लिपिक खुद व अपने करीबी लिपिको को मुख्यालय में ही बनाए रखने में सफल हो गया। आज भी वहां वहीं पर जमा है। अब असली खेल यहां शुरू होता है। उक्त आदेश के इतर एक अन्य आदेश एक साल बाद तत्कालीन मंडलायुक्त के प्रेशर के चलते एक अन्य आदेश 1 फरवरी 2023 को यह आदेश तत्कालीन बीएसए विश्व दीपक त्रिपाठी ने किया। आदेश अवरोही क्रम में बनना था,  लेकिन खेल कर दिया। खुद व करीबियों को बचाते हुए बाकि अन्य 13 परिषदीय लिपिकों को बीआरसी में भेजे जाने का आदेश कर दिया। दूसरा बड़ा खेल एक बार फिर किया गया। सेटिंग कर बीएसए को कथित रूप से  प्रभावित कर उक्त आदेश को अगले दिन यानि 2 फरवरी 2022 को निरस्त करने का निकाला गया जो पूरी तरह से  जिसमें नियम विरूद्ध था। उसमें कहा गया कि नियमों का पालन नहीं किया गया। एक दिन पहले के आदेश को नियमों के विपरीत बता दिया गया। साथ ही आदेश में फिर खेल कर दिया। इस  आदेश में पूर्व में बीआरसी में ट्रांसफर वाले आदेश को  निरस्त कर दिया। साथ ही बताया गया कि 1अप्रैल  2022 वाला आदेश प्रभावी रहेगा। उल्लेखनीय है कि उक्त आदेश तत्कालीन बीएसए  के निर्देश  लिपिक प्रदीप बंसल ने जारी किए और इसमें खुद व चहेतों को जिला मुख्यालय पर बनाए रखने का खेल कर दिया।
शिकायत शासन को भेजी:- इस सारे खेल के सामने आने के बाद भाजपा नेता मनोज कुमार ने शासन को इसकी शिकायत भेज दी। शिकायम के माध्यम से खेल सामने आने के बाद हड़कंप मचना जरूरी था और हुआ भी वैसा ही। यह बात अलग है कि इस सारे खेल के किरदारों को अभी सजा का एलान होना बाकि है। या फिर यह मान लिया जाए कि मेरठ बीएसए के मठाधीश और उनके संकट मोचन अफसर खुद को अब महानिदेशक से भी ऊपर समझने लगे हैं तभी महानिदेशक स्तर से जारी की जाने वाले व्यवस्था मेरठ में आकर दम तोड़ देती है। ऐसा पहली बार नहीं अरसे से चल रहा है।
कहने सुनने को कुछ नहीं:- जिस मामले में हाईकोर्ट ने बीआरसी में परिषदीय लिपिकों से काम करने के आदेश को सही माना है, उस आदेश के आने के बाद अब कहने या सुनने को कुछ ज्यादा नहीं रह गया है। हालांकि अभी भी सवाल यही है कि क्या मेरठ में व्यवस्था परिवर्तन हो पाएगी। या फिर बेसिक शिक्षा कार्यालय में जैसा खेल अब तक चलता रहा है, वो जारी रहेगा।
मेरठ बीएसए अपवाद है क्यों:- मेरठ के बेसिक शिक्षा कार्यालय में मृतक आश्रित कोटे में लिपिक प्रदीप बंसल की नियुक्ति होती है। नियुक्ति की आर्हता पूरी करने को लेकर शिकायतें महानिदेशक को अब तक भेजी जा चुकी हैं, तब से प्रदीप बंसल बीएसए कार्यालय में एक ही सीट पर जमे हुए हैं। ऐसा पूर्ववर्ती एडी बेसिक या फिर बेसिक शिक्षा अधिकारी सरीखे अफसरों के बगैर संभव नहीं। या फिर यह मान लिया जाए कि महानिदेशक बेसिक के आदेश मेरठ में स्कूलों पर तो लागू होते हैं लेकिन परिषदीय कार्यालय के लिपिकों पर नहीं।
वर्जन
इस मामले की जांच कराकर अवश्य कार्रवाई की जाएगी। महानिदेशक के आदेशों के अनुपालन में कोताही का कोई मतलब ही नहीं । क
आशा चौधरी
बेसिक शिक्षा अधिकारी

@Back Home


Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *