मंदिर असौड़ा हाउस में मुनिश्री उपवाच, श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर असौड़ा हाउस मेरठ में प्रातः 7:00 अभिषेक एवं शांतिधारा कराई गई जिसमें शांतिधारा का उच्चारण आचार्य श्री के द्वारा किया गया।
इसके पश्चात आचार्य श्री ने कहा कि मनुष्य को अपने जीवन में आजीविका चलाने और अपने आत्म कल्याण की कला जरूर सीखना चाहिए पिता का धन पुत्र का होता है और मां का अपना निजी धन पुत्री का होता है इसलिए पिता के धन का बटवारा पुत्रों में होता है यदि पुत्र न हो तो पुत्री में होता है पति पत्नी को साथ रहकर नौकरी करना चाहिए साथ रहकर काम करने से प्रेम और विश्वास बढता है नफरत और संदेश दूर होता है शील और संयम का रक्षण होता है। पुरुष घी है और नारी अग्नि है इसलिए नारी रुपी अग्नि के सामने पुरुष रुपी घी पिघले बिना नहीं रहता है। ये विचार आचार्यश्री निर्भयसागर जी महाराज ने असौडा हाउस जैन मंदिर में धर्म सभा को मंगल प्रवचन में व्यक्त किये। उन्होंने कहा पुरुष भोगता है स्त्री भोग्या है जब से पुरुष ने अपनी मूछ मुड वाली है तब से स्त्री की पूछ बढ़ गई है इच्छा पूर्ति नहीं हो सकती है। इच्छा नहीं जिज्ञासा पूर्ति करो। सुन्दर रुपया बनना बुरा नहीं है लेकिन रुपवान होकर व्यसन में फसना बुरा है सुन्दरता के साथ स्वछंदता नारी के लिए आत्मघाती बम्ब है बाल खोलकर अर्ध नग्न अवस्था में घूमना नारी की चारित्र हीनता को व्यक्त करता है उससे त्रिरिया चरित्र दिखता है इससे भारतीय शीलवान नारी को बचना चाहिए नारी ममता की मूर्ति है संस्कृति की जननी है संस्कारों की रक्षक है आचार्यश्री ने कहा रात का दीपक चंद्रमा है दिन का दीपक सूर्य है कुल का दीपक पुत्र है आत्मा का दीपक ज्ञान है। आचार्य श्री ने सामायिक के पश्चात शंका समाधान एवं प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम मंदिर परिसर कराया। आचार्य श्री का पंजाबी पुरा के लिए विहार हुआ। मंदिर जी में सुभाष विपिन कपिल राकेश पूनम संजय मनोज प्रतीक नवीन आभा सोनिया पूनम सविता अक्षिता संपदा आदि उपस्थित रहे।